More
    HomeHome'हिंदुओं में मोक्ष, इस्लाम में वक्फ...', सुप्रीम कोर्ट में आध्यात्मिक तर्कों की...

    ‘हिंदुओं में मोक्ष, इस्लाम में वक्फ…’, सुप्रीम कोर्ट में आध्यात्मिक तर्कों की गूंज

    Published on

    spot_img


    वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान गुरुवार को एक दिलचस्प संवाद सामने आया. केंद्र सरकार के उस तर्क पर कि “वक्फ केवल दान है, और इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है.”

    याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने विरोध करते हुए कहा, “वक्फ ईश्वर को समर्पण है, परलोक के लिए. यह केवल समुदाय के लिए दान नहीं, बल्कि ईश्वर के लिए समर्पण है. इसका उद्देश्य आत्मिक लाभ है.”

    सिब्बल के इस तर्क पर चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, “हिंदुओं में मोक्ष की अवधारणा है.” उनके साथ जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने भी सहमति जताते हुए कहा, “ईसाई धर्म में भी स्वर्ग की आकांक्षा होती है.”

    केंद्र के दावे को चुनौती देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि “वेदों के अनुसार मंदिर हिंदू धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं हैं.  हिंदू धर्म के लिए अनिवार्य अंग नहीं हैं. वहां तो प्रकृति की पूजा करने का प्रावधान है अग्नि, जल, वर्षा, पर्वत, समुद्र सभी देवता हैं.”

    यह भी पढ़ें: ‘वक्फ अल्लाह का, कोई संपत्ति चली जाती है तो वापस पाना मुश्किल’, SC में सरकार ने किया वक्फ पर अंतरिम आदेश का विरोध

    सिब्बल की दलील

    कपिल सिब्बल ने दलील देते हुए कहा, ‘मैं इस्लाम के कुछ मूल सिद्धांतों के मुताबिक भी वक्फ ईश्वर को समर्पित करना है. परलोक के लिए. एक बार वक्फ, हमेशा वक्फ ही रहता है.’ मुख्य न्यायाधीश ने इस दौरान यह भी कहा कि दान तो हर धर्म का मूल तत्व होता है और सभी धर्मों में ईश्वर या समाज के लिए दान करने की परंपरा रही है.

    सिब्बल ने यह मुद्दा भी उठाया कि वक्फ प्रबंधन समिति में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का प्रावधान किया गया है, जबकि हिंदू धार्मिक संस्थानों की व्यवस्था में गैर-हिंदुओं को स्थान नहीं दिया जाता. उन्होंने कहा, “जहां हिंदू धार्मिक न्यासों में गैर-हिंदू शामिल नहीं होते, वहीं वक्फ बोर्ड में चार गैर-मुस्लिम सदस्यों का प्रावधान किया गया है. मेरे मत में एक भी काफी होता.”

    सिब्बल ने कहा कि वक्फ संपत्ति का पंजीकरण न करने का नतीजा यह नहीं था कि मालिकाना हक छिन जाए क्योंकि 1995 के अधिनियम ने राज्यों पर इसे पंजीकृत करने का दायित्व था. उन्होंने कहा, ‘वही 1954 से 2013 तक सिर्फ़ एक राज्य ने सर्वे पूरा किया था। इसमें किसकी गलती है? मुतव्वली की? यह आपका कानून (सरकार)है.’

    यह भी पढ़ें: ‘वक्फ इस्लाम का जरूरी हिस्सा नहीं, सिर्फ दान है’, केंद्र सरकार की सुप्रीम कोर्ट में दलील

    उन्होंने कहा कि इस कानून को वजह से मुस्लिम समुदाय प्रॉपर्टी से वंचित हो जाएगा क्योंकि राज्य सरकारों ने सर्वे नहीं किया और य़ह कहा जाएगा कि वक्फ रजिस्टर्ड ही नहीं थे. सिब्बल ने कहा कि सरकार के पोर्टल पर कुछ राज्यों में वक्फ नहीं दिखाया गया है. क्या इसका मतलब यह है कि गुजरात में वक्फ नहीं है?



    Source link

    Latest articles

    MG Select Experience Centre debuts in Delhi

    JSW MG Motor India has officially launched its premium brand initiative, MG Select,...

    All About the Piano Man, Fox’s ‘Fixer,’ ‘Alien’s Daddy Issues, a Snoopy Musical

    Billy Joel reflects on his life and remarkable career in a two-part biographical...

    More like this

    MG Select Experience Centre debuts in Delhi

    JSW MG Motor India has officially launched its premium brand initiative, MG Select,...