आज दुनिया को ये समझना ज़रूरी है कि आतंक के खिलाफ भारत ने दृढ़ संकल्प लिया है और आतंक के जड़ से खात्मे के लिए भारत ने दुनिया के 33 देशों में अपना प्रतिनिधिमंडल भेजा है, तो अब दुनिया को भी क्यों आतंक के खिलाफ एकजुट होने की ज़रूरत है? दरअसल, आज अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी के अदंर या कहें कि डोनाल्ड ट्रंप का नाक के नीचे दो इज़रायली राजनयिकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई. वो भी यहूदी म्यूजियम के सामने. यानी यहां भी आतंकी ने धर्म देखकर गोली मारी. अब वॉशिंगटन में इज़रायली राजनयिकों की हत्या पर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का खून खौल उठा है और इज़रायली पीएम ने कहा है कि यहूदी विरोधी भावना की कीमत तो चुकानी पड़ेगी.
बुधवार रात करीब 9 बजकर 5 मिनट…. अमेरिका के वॉशिंगटन में यहूदी म्यूज़ियम के बाहर इज़रायली दूतावास के दो कर्मचारियों की गोली मारकर हत्या कर दी जाती है, ये एक कपल था, दोनों ने हाल में सगाई की थी और जल्द ही शादी करने वाले थे. गोली चलाने वाले शख्स को गिरफ्तार कर लिया गया है, और इस हमले की जांच FBI की जॉइंट टेरिरिज्म टास्क फोर्स कर रही है. अभी तक जो बात सामने आई है वो ये कि हमलावर ने गिरफ्तारी के दौरान ‘फिलिस्तीन को आजाद करो’ के नारे लगाए. संदिग्ध हत्यारे के बारे में पता चला है कि वह 30 साल का इलियास रॉड्रिगेज इलिनॉयस है, जो शिकागो का रहने वाला है, ये हिस्ट्री रिसर्चर है और शिकागो के ही पास एवोनडेल इलाके में रहता है, लेकिन सच ये भी है कि इज़रायल और गाज़ा के बीच लड़ाई यहूदी बनाम इस्लाम की है.
अब ये समझने की कोशिश करते हैं कि इस हमले के पीछे मैसेज क्या है. सबसे पहले आपको इज़रायलियों पर हमले से ठीक पहले आई संयुक्त राष्ट्र की एक चेतावनी के बारे में बताते हैं जिसमें यूनाइटेड नेशन्स की तरफ से कहा गया कि अगर गाजा को तुरंत मदद न मिली तो अगले 48 घंटों में लगभग 14000 बच्चों की मौत हो सकती है. इजरायल ने तीन महीने पहले गाजा पट्टी की घेराबंदी कर दी, जिससे खाना-पानी जैसी बेसिक चीजें भी वहां नहीं पहुंच पा रही हैं. क्या इन हालातों में भी यूएन केवल चेतावनी ही दे पाएगा, या वो कोई ठोस एक्शन भी ले सकता है? और इसके चंद घंटों के बाद अमेरिका के अंदर इजरायली दूतावास के कर्मचारियों पर हमला होता है.
इजरायल के विरोध में खुलकर सामने आ रहे पश्चिमी देश
बता दें कि इजरायल के विरोध में अब पश्चिमी देश भी खुलकर सामने आ रहे हैं. ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा ने इजराइल-गाजा में जंग रोकने के लिए कहा है. ऐसा न करने पर उसके खिलाफ ठोस कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी है. इन तीनों देशों ने एक संयुक्त बयान भी जारी किया. इस बयान में इजराइल की तरफ से गाजा में पहुंचाई गई मदद को नाकाफी बताया. साथ ही हमास से उसकी कैद में मौजूद बाकी इजराइली बंधकों को जल्द रिहा करने के लिए भी कहा गया है, क्योंकि इजराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा में सीमित मात्रा में खाद्य सामग्री भेजने की इजाजत दे दी है.
नेतन्याहू ने किया पलटवार
हालांकि इजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने तीनों देशों के खिलाफ पलटवार भी किया है. नेतन्याहू ने कहा कि ये देश हमास को उसके हमले के लिए इनाम पेश कर रहे हैं. इसके अलावा 22 देशों ने गाजा में मदद की पूरी तरह से बहाली के लिए एक अलग बयान पर साइन किए. अब सवाल ये है कि क्या हमलावर ने इज़रायल के खिलाफ पश्चिमी देशों का रुख देखते हुए इज़रायलियों को टारगेट किया, तो बता दें कि इज़रायली पीएम नेतन्याहू ने चेतावनी देते हुए कहा है कि दुनिया को हमने पहले भी बताया था और फिर से बता रहे हैं कि यहूदी विरोधी सोच और इजरायल के खिलाफ काम करने वालों का क्या अंजाम होता है, हमारे खिलाफ खूनी जंग का बदला खून ही होगा. ऐसी ताकतों के खिलाफ हम डटकर लड़ेंगे.
इजरायली पीएम का दुनिया को मैसेज
इतना ही नहीं, अमेरिका में इज़रायलियों पर हमले से पहले नेतन्याहू ने एक बात दुनिया के सामने कही थी. नेतन्याहू ने गाजा पर पूरी तरह से कब्जा करने के अपने इरादे को दोहराया था. उन्होंने साफ कहा था कि जंग खत्म करने के लिए वो किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेंगे. नेतन्याहू ने हमास की शर्तों को ठुकराते हुए साफ कहा कि जंग अब गाजा पर कब्जे के बाद ही थमेगी.
घटना के बाद उठे कई सवाल
ऐसे में सवाल ये भी है कि क्या हमलावर ने नेतन्याहू की इसी चेतावनी का जवाब देने के लिए अमेरिका के अंदर इज़रायली दूतावास को कर्मचारियों पर गोलियां बरसाईं? लेकिन दुनिया ये भी जानती है कि गाज़ा पर इज़रायल का कहर इसलिए टूटा, क्योंकि हमास के आतंकियों ने इज़रायल में घुसकर बेगुनाहों को मारा था और अब हमास और गाज़ा को तो नेतन्याहू ने बर्बाद करके रख दिया है. लेकिन इजरायलियों पर अमेरिका के अंदर हमला हुआ है तो हमलाकर ने क्या सोचकर ये हमला किया? कहीं इसलिए तो हमलावर का हौसला बुलंद नहीं हो गया क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने हाल ही के सऊदी अरब के दौरे के दौरान सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा उर्फ अबु मोहम्मद अल-जुलानी से भी मुलाकात की थी.
अमेरिका ने सीरिया पर लगाए सभी बैन हटा दिए
अल शरा, हयात तहरीर अल-शाम यानी HTS का नेता है, जिसे कई देशों समेत अमेरिका ने आतंकी संगठन घोषित किया था और अमेरिका ने अल-शरा उर्फ अबु मोहम्मद अल-जुलानी पर करीब 85 करोड़ रुपए का इनाम रखा था. लेकिन पिछले साल दिसंबर में जुलानी के राष्ट्रपति बनने के बाद ये इनाम हटा लिया गया था. अल शरा ने ही बशर अल-असद के शासन को उखाड़ फेंकने के लिए HTS का नेतृत्व किया था और अब ना सिर्फ डोनाल्ड ट्रंप ने अल शरा से हाथ मिलाया, बल्कि सीरिया पर लगाए सभी बैन हटाने का ऐलान भी किया था.