More
    HomeHomeबच्चों को पत्थरबाजी की ट्रेनिंग, NGO की साजिश... हिंसा पर 'ऑपरेशन मुर्शिदाबाद'...

    बच्चों को पत्थरबाजी की ट्रेनिंग, NGO की साजिश… हिंसा पर ‘ऑपरेशन मुर्शिदाबाद’ में चौंकाने वाले खुलासे

    Published on

    spot_img


    पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में 8 अप्रैल को अचानक हिंसा भड़की. सड़कों पर भीड़ जुटी और पुलिस की गाड़ियां आग के हवाले कर दी गईं. इन सब के बीच एक बड़ा सवाल ये है कि क्या ये सांप्रदायिक हिंसा थी? या इसके पीछे कुछ और था? इस सच को जानने के लिए आजतक ने पड़ताल की जिसका नाम था- ‘Operation Murshidabad’. हमारी जांच में जो सामने आया उसने सियासत, प्रशासन और एक खास एजेंडे के उस राज से पर्दाफश किया, जिसके डेडली कॉम्बिनेशन ने मिलकर ना सिर्फ बंगाल बल्कि देश के माहौल में जहर से भर दिया. 

    दरअसल, 8 अप्रैल को जंगीपुर के उमरपुर में एक प्रदर्शन ने हिंसा का रूप ले लिया. इस भीड़ ने पुलिस को घेरा, डंडे मारे, हथियार छीने और गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया. NH-12 जाम हो गया, जो कि राज्य का प्रमुख हाइवे है और देखते ही देखते पूरा इलाका जलने लगा. 
     
    दंगा कितना बड़ा था, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुद पश्चिम बंगाल पुलिस ने हाईकोर्ट में माना कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस से INSAS राइफल और पिस्टल छीन लिए थे. यानी हालात उतने बेकाबू थे कि पुलिस खुद अपनी जान बचाने में लगी थी.
     
    जहां हिंसा फैसली, वहां मुस्लिम राजनीति अहम आधार 

    हिंसा को समझने के लिए ऑपरेशन मुर्शिदाबाद के तहत पहले हमने इस इलाके को समझा, जहां ये हिंसा फैली. जैसे समसेरगंज, धुलियन, फरक्का. वहां मुस्लिम आबादी 84% से ज्यादा है. ये इलाके बंगाल की मुस्लिम राजनीति का सबसे अहम आधार हैं और लंबे समय से वहां सियासी प्रयोग होते रहे हैं.

    2021 में ये सीटें TMC, कांग्रेस और ISF में बंटी थीं. मुस्लिम वोटों का बंटवारा हुआ था. अब 2026 विधानसभा चुनाव से पहले वक्फ अधिनियम के विरोध के बहाने इन्हीं वोटों को फिर एकजुट करने की कोशिश हुई. टीएमसी के ही नेताओं ने वक्फ बिल के खिलाफ मार्च किया, और इस आंदोलन को खुली छूट दी गई. यानी सत्ता पक्ष ने ही विरोध की मशाल अपने हाथ में ली.
     
    बता दें कि समसेरगंज, फरक्का, जलंगी. ये सीटें अगर मुस्लिम वोट दो हिस्सों में बंटते तो TMC को नुकसान तय था. लेकिन अगर इस वक्फ मुद्दे पर मुस्लिम मतदाता एकजुट होते हैं तो चुनावी फायदे TMC के पाले में जा सकते हैं. 11 अप्रैल को प्रदर्शन का दूसरा चरण तय था और प्रशासन को पहले से अलर्ट था. लेकिन मौके पर न फोर्स थी, न कोई रणनीति.

    DIB इंस्पेक्टर राजीब ने हमारे हिडन कैमरे पर बताया, “हमने कहा था, सर ये भीड़ संभलने वाली नहीं है. लेकिन जो फोर्स आई वो नाकाफी थी. वहां से हमला शुरू हुआ, पहले पत्थर, फिर पेट्रोल बम.”

    पहले से तैयार थी हिंसा की स्क्रिप्ट?

    एक तरफ पुलिस मोर्चा संभाले हुए थी, दूसरी तरफ भीड़ दुकानें जला रही थी. ये हिंसा अपने आप नहीं हुई थी. इसकी स्क्रिप्ट पहले से तैयार थी. भीड़ ने एक साथ कई इलाकों में हमला किया ताकि पुलिस को भ्रम में रखा जा सके. ये एक बुनियादी उग्रवाद रणनीति होती है- “डिस्ट्रैक्ट एंड डिवाइड”.

    कई थानों पर हमले हुए, लेकिन BSF को पास होने के बावजूद तत्काल तैनात नहीं किया गया. सवाल ये है कि आखिर किसके आदेश पर पुलिस को कमजोर छोड़ा गया? मुर्शिदाबाद में दंगा एक दिन की घटना नहीं थी. ये महीनों की सियासी तैयारी, धार्मिक उकसावे और पुलिस की लापरवाही का नतीजा था.

    दंगे के दूसरे दिन, जब पुलिस पर पेट्रोल बम बरस रहे थे और NH-12 पर आगजनी हो रही थी, तब एक सवाल और गूंजने लगा कि कौन हैं वो लोग जो इन दंगों की प्लानिंग कर रहे थे? आजतक की जांच में सामने आया है कि NGO, स्कूल और धार्मिक ट्रस्ट के नाम पर एक पूरा नेटवर्क पिछले कई महीनों से इन इलाकों में एक्टिव था, जो बच्चों को पढ़ाई नहीं, बल्कि ‘तैयारी’ करा रहा था. पत्थरबाज़ी की तैयारी.

    बच्चों के जहन में जहर भर रहे NGO? 

    जब NH-12 पर दंगाई पुलिस पर हमला कर रहे थे, कैमरे में कुछ 12–15 साल के लड़के भी कैद हुए जिनके हाथों में थे पत्थर, रॉड और पेट्रोल से भरी बोतलें. NGO संचालक ने आजतक के हिडन कैमरे पर बताया, “बच्चों को हम सिर्फ awareness दे रहे हैं. जब जुल्म बढ़ता है, तो बच्चे भी समझते हैं. वो खुद खड़े हो जाते हैं और ये उनके हक की लड़ाई है.”

    आजतक की जांच में कम से कम 5 ऐसे NGOs सामने आए हैं जो शिक्षा, महिला कल्याण और अल्पसंख्यक अधिकार के नाम पर फंड लेते हैं लेकिन इनका असली काम है जहन में जहर भरना. इनमें से 3 NGOs को FCRA के तहत विदेश से फंडिंग मिलती है. और इन्होंने पिछले दो साल में लाखों रुपये का इस्तेमाल सिर्फ ‘मॉबिलाइज़ेशन कैम्प’ और ‘स्टूडेंट इंटरवेशन’ में किया.

    एक मौलवी ने हिडन कैमरे पर बताया, “बच्चे ही हमारी ताकत हैं. सरकार के खिलाफ आवाज़ उठानी है तो इन्हें ही आगे करना होगा. पुलिस बच्चे को नहीं मारती. ये फायदा है.”

    आजतक की जांच के बाद क्या एक्शन लेगी सरकार?

    हमने एक मदरसेनुमा स्कूल का स्टिंग किया, जहां कक्षा के अंदर बोर्ड पर लिखा था- ‘जुल्म के खिलाफ खामोशी भी गुनाह है.’ टीचर बच्चों को जिहाद और विरोध के मायने समझा रहा था. बच्चों ने बताया, “हमें बोला गया था, अगर पुलिस आती है तो उसे भगाओ. हम डरें नहीं.” एक दूसरे बच्चे ने बताया, “हमें पत्थर जमा करने को कहा गया था और छत से फेंकना था.”

    आजतक की रिपोर्ट आने के बाद अब राज्य सरकार पर दबाव है कि इन NGO और मदरसों की फंडिंग की जांच की जाए. लेकिन सवाल ये है कि जब ये सब महीनों से चल रहा था, तो पुलिस और इंटेलिजेंस को खबर क्यों नहीं हुई? क्योंकि मुर्शिदाबाद के स्कूलों में जहर बोया गया. NGO और मदरसा के नाम पर बच्चों को हथियार बनाया गया और इन बच्चों को मोहरा बनाकर भीड़ ने पुलिस को घेरा, थानों पर हमला किया.

    दंगे भड़काने के लिए एक अफवाह काफी होती है और इस बार वो अफवाह थी- “वक्फ की ज़मीन छीनी जा रही है”. Operation Murshidabad की तीसरी कड़ी में बताएंगे कि कैसे एक सुनियोजित नैरेटिव तैयार किया गया मस्जिदों में, सोशल मीडिया पर और NGO नेटवर्क के जरिए. सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर हुए. इनमें कहा गया-, “सरकार वक्फ बोर्ड की ज़मीन हड़प रही है, मदरसों को बंद करने की साजिश है, कब्रिस्तान की ज़मीन पर कब्जा.”

    ये पोस्ट वायरल हुए और दो हफ्तों के भीतर 5 ज़िलों में तनाव फैल गया. एक सोशल मीडिया कैम्पेनर ने स्टिंग में बताया, “हमने जो पोस्ट डाले, वो ज़रूरी थे. लोग सो रहे थे. ज़मीन जा रही थी. अगर हम नहीं उठाते मुद्दा, तो और कौन उठाता?”

    विदेशी नेटवर्क से सोशल मीडिया पर फैलाई गई अफवाह 

    आजतक की जांच में खुलासा कि 27 वॉट्सऐप ग्रुप्स, 6 टेलीग्राम चैनल्स और 13 फेसबुक पेजों पर वक्फ को लेकर एक जैसे कंटेंट फैलाए गए. इनमें से कुछ ग्रुप्स के एडमिन बांग्लादेश में लोकेटेड हैं. मस्जिद के मौलवी ने हिडन कैमरे में बताया, “हुकूमत हमारी जमीन ले रही है. कब्रिस्तान, मदरसे, सब को सरकारी जमीन बताकर हड़पा जा रहा है. अब नहीं रुके तो फिर कभी नहीं लड़ पाएंगे.”

    इन अफवाहों के बाद जुमे की नमाज के बाद कई मस्जिदों से नारेबाज़ी होती रही कि वक्फ की ज़मीन हमारी है, सरकारी दमन नहीं चलेगा. आजतक ने जिन पोस्ट्स को ट्रेस किया, उनमें से कई एक ही सर्वर से अपलोड हुए थे, IP ट्रैफिक विदेश से था. इसके पीछे एक साइबर सेल नेटवर्क काम कर रहा था जो पहले भी CAA-NRC विरोध प्रदर्शन के दौरान एक्टिव था.

    ‘वक्फ बचाओ, मुस्लिमों के हक की लड़ाई’, इन नारों के साथ दंगाई सड़क पर उतरे, थानों पर पत्थर फेंके, गाड़ियों को आग लगाई और पीछे थी एक अफ़वाह, जिसे बार-बार दोहराया गया. दंगे की स्क्रिप्ट सिर्फ गुस्से में नहीं लिखी गई थी उसे प्लान, प्रचार और प्रशिक्षण के तीन चरणों में अंजाम दिया गया. पहले बच्चों को मोहरा बनाया गया. फिर सोशल मीडिया से ज़हर फैलाया गया और फिर अफवाहों की आड़ में दंगे की ज़मीन तैयार की गई.

    Operation Murshidabad के इन खुलासों के बाद अब सवाल राज्य सरकार से है. क्या इन NGOs पर कार्रवाई होगी? क्या सोशल मीडिया नेटवर्क का सच सामने लाया जाएगा? और क्या बच्चों को हथियार बनाने वालों को कानून की सज़ा मिलेगी?



    Source link

    Latest articles

    Joe Jonas confesses ‘scary and intimidating’ part of Sophie Turner divorce

    Joe Jonas was scared to catch the “lovebug” again after his divorce from...

    EXCLUSIVE: 600 मिलियन इंडियन एजेंसियों का ट्रेस करना बाकी, ब्रिटिश HC से नीरव मोदी की जमानत याचिका फिर खारिज

    ब्रिटेन (UK) के हाईकोर्ट ने भगोड़े हीरा कारोबारी और पंजाब नेशनल बैंक (PNB)...

    UK migration drops sharply as thousands of Indian students and workers exit

    The UK’s latest migration statistics reveal a sharp impact of stricter visa and...

    Sound Talent Group Co-Founder Dave Shapiro Killed in San Diego Plane Crash

    Dave Shapiro, a co-founder of Sound Talent Group, has died. He was among...

    More like this

    Joe Jonas confesses ‘scary and intimidating’ part of Sophie Turner divorce

    Joe Jonas was scared to catch the “lovebug” again after his divorce from...

    EXCLUSIVE: 600 मिलियन इंडियन एजेंसियों का ट्रेस करना बाकी, ब्रिटिश HC से नीरव मोदी की जमानत याचिका फिर खारिज

    ब्रिटेन (UK) के हाईकोर्ट ने भगोड़े हीरा कारोबारी और पंजाब नेशनल बैंक (PNB)...

    UK migration drops sharply as thousands of Indian students and workers exit

    The UK’s latest migration statistics reveal a sharp impact of stricter visa and...