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    नहर में बहती थी लाशें, मगरमच्छ खाते थे सबूत… 50 कत्ल कर चुके दिल्ली के ‘डॉक्टर डेथ’ की खौफनाक कहानी

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    देश भर में ‘डॉक्टर डेथ’ के नाम से कुख्यात एक खतरनाक सीरियल किलर देवेंद्र शर्मा को दिल्ली पुलिस ने राजस्थान के दौसा जिले से गिरफ्तार कर लिया है. यह गिरफ्तारी एक साल की लंबी खोजबीन के बाद हुई है, जिसमें किलर को एक आश्रम से पकड़ा गया है. वहां वो एक फर्जी नाम से पुजारी के भेष में रह रहा था. पुलिस उसे लेकर दिल्ली आई है.

    जानकारी के मुताहिक, 67 साल का देवेंद्र शर्मा एक आयुर्वेद चिकित्सक था, लेकिन 1990 के दशक के मध्य में वो अपराध की दुनिया में चला गया. हत्या, अपहरण और मानव अंगों की तस्करी जैसे गंभीर अपराधों में लिप्त हो गया. उसको दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में सात अलग मामलों में उम्रकैद और एक मामले में मौत की सजा सुनाई जा चुकी है.

    डीसीपी (क्राइम ब्रांच) आदित्य गौतम ने बताया कि देवेंद्र शर्मा साल 2002 से 2004 के बीच कई टैक्सी और ट्रक चालकों की नृशंस हत्याओं में शामिल था. वो अपने साथियों के साथ मिलकर फर्जी यात्राओं के बहाने ड्राइवरों को बुलाता, फिर उनकी हत्या कर उनके वाहनों को ग्रे मार्केट में बेच देता था. सबूत मिटाने के लिए वो शवों को नहर में फेंक दिया करता.

    लोगों को मारकर मगरमच्छ का निवाला बना देता 

    उत्तर प्रदेश के कासगंज स्थित हजारा नहर में में बड़ी संख्या में मगरमच्छ मौजूद हैं. वो उन लाशों को अपना निवाला बना लेते थे. पुलिस के मुताबिक सीरियल किलर देवेंद्र शर्मा के खिलाफ कम से कम 27 आपराधिक मामले दर्ज हैं. वो सबसे पहले साल 1998 से 2004 के बीच एक अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट चलाने के कारण चर्चा में आया था. 

    125 से अधिक अवैध किडनी प्रत्यारोपण कराए

    उसने कबूल किया कि उसने डॉक्टरों और बिचौलियों की मदद से 125 से अधिक अवैध किडनी प्रत्यारोपण कराए. अपराध की दुनिया में उसकी एंट्री साल 1994 में एक असफल गैस डीलरशिप से हुए भारी घाटे के बाद हुई. इसके बाद उसने एक फर्जी गैस एजेंसी शुरू कर दी. उसकी आड़ में वो अवैध मानव अंगों की तस्करी करने लगा.

    21 टैक्सी चालकों की हत्या का आरोप लगा था

    साल 2004 में जयपुर में एक टैक्सी चालक की हत्या के मामले में एक अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. मार्च 2007 में फरीदाबाद की एडीजे कोर्ट ने उसको उसके दो साथियों के साथ कमल सिंह नामक एक टैक्सी चालक की हत्या का दोषी पाया. उस पर 21 टैक्सी चालकों की हत्या का आरोप लगाया गया था.

    14 मई 2008 को उसे गुड़गांव की एक अदालत ने नरेश वर्मा नामक एक टैक्सी चालक की हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई थी.

    दो महीने की पैरोल मिलने के बाद हुआ फरार

    साल 2004 में देवेंद्र शर्मा को पहली बार गिरफ्तार किया गया था. लेकिन यह पहली बार नहीं है जब वो जेल से छूटने के बाद फरार हुआ हो. साल 2020 में भी वो पैरोल पर छूटने के बाद सात महीने तक फरार रहा था. उसे बाद में दिल्ली में पकड़ा गया था. जून 2023 में उसे एक और मामले में दो महीने की पैरोल दी गई थी.

    आश्रम में आध्यात्मिक गुरु बनकर रह रहा था

    3 अगस्त, 2023 के बाद वो वापस जेल नहीं लौटा. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि देवेंद्र शर्मा की तलाश के लिए अलीगढ़, जयपुर, दिल्ली, आगरा और प्रयागराज जैसे शहरों में व्यापक अभियान चलाया गया. आखिरकार उसे दौसा के एक आश्रम में ट्रैक किया गया, जहां वो फेक पहचान के साथ आध्यात्मिक गुरु बनकर रह रहा था. 

    50 से अधिक हत्याओं के लिए जिम्मेदार

    पुलिस को संदेह है कि वो 50 से अधिक हत्याओं के लिए जिम्मेदार हो सकता है. सीरियल किलर की गिरफ्तारी के लिए बनाई गई पुलिस टीम में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर अनुज और इंस्पेक्टर राकेश कुमार, सहायक पुलिस आयुक्त उमेश बर्थवाल और पुलिस उपायुक्त आदित्य गौतम के निर्देशन में काम कर रहे थे.



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