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    Exclusive: बैसाखी पर शुरू हुई कहानी! ज्योति मल्होत्रा की तीर्थयात्रा कैसे बन गई भारत की सुरक्षा के लिए खतरा?

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    सिख धर्म के पवित्र स्थलों की आध्यात्मिक यात्रा की आड़ में एक ट्रैवल व्लॉगिंग के रूप में शुरू हुआ ज्योति मल्होत्रा से जुड़ा केस अब डिजिटल युद्ध और जासूसी के एक बड़े मामले में बदल गया है. ज्योति ने साल 2023 में 324वें बैसाखी महोत्सव के दौरान पहली बार पाकिस्तान की यात्रा की थी. अब सीमा पार से इंफ्लुएंस ऑपरेशन में कथित रूप से सहायता करने के लिए ज्योति भारतीय खुफिया एजेंसियों की जांच के दायरे में हैं.

    इंडिया टुडे द्वारा देखे गए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन डॉक्यूमेंट के मुताबिक, धार्मिक यात्रा में ज्योति मल्होत्रा की हरकीरत सिंह ने मदद की थी. हरकीरत सिंह एक प्रमुख समन्वयक है, जो आधिकारिक गलियारे के जरिए सिख जत्थों (तीर्थयात्री समूहों) को पाकिस्तान ले जाने के लिए जाना जाता है. हरकीरत ने कई ऐसी तीर्थयात्राओं का आयोजन किया है, जो अब ज्योति और अन्य को पाकिस्तान के लोगों से मिलवाने के आरोप में जांच के दायरे में है. जब ज्योति 2023 में बैसाखी यात्रा के लिए मंजूरी पाने में फेल रही, तो उसे कथित तौर पर एहसान से मिलवाया गया.

    बैसाखी यात्रा और पहला कनेक्शन

    हर साल, हजारों सिख तीर्थयात्री पाकिस्तान के पवित्र स्थलों- ननकाना साहिब, करतारपुर साहिब, पंजा साहिब और लाहौर में गुरुद्वारा डेरा साहिब की यात्रा करते हैं, जो SGPC (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति) और पाकिस्तान के इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड के बीच एक व्यवस्था के तहत होता है. ऐसी ही एक यात्रा की तैयारी के दौरान ज्योति की पहली मुलाक़ात एहसान उर्फ़ दानिश से हुई, जो एक पाकिस्तानी उच्चायोग अधिकारी है और जिसे बाद में 13 मई, 2025 को भारत द्वारा अवांछित व्यक्ति घोषित कर दिया गया.

    अप्रैल 2024 में 325वें बैसाखी महोत्सव के लिए ज्योति की दूसरी यात्रा ने और भी चिंता पैदा कर दी. वह न केवल पाकिस्तान लौटी, बल्कि 17 अप्रैल से 25 मई तक रुकी. जांचकर्ताओं का मानना ​​है कि इस अवधि में राजनयिक और डिजिटल चैनलों के ज़रिए संचालित पाकिस्तानी प्रभाव नेटवर्क में उनकी गहरी भागीदारी देखी गई.

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    तीर्थयात्रा से लेकर प्रचार युद्ध तक…

    खुफिया जानकारी से पता चलता है कि यूट्यूबर ज्योति एक गुप्त प्रभाव अभियान का हिस्सा बन गईं, जिसमें पाकिस्तान को अत्यधिक सकारात्मक रूप में चित्रित करना शामिल था. पाकिस्तान के हॉस्पिटेलिटी, बुनियादी ढांचे और कल्चर की तारीफ करने वाले उनके वीडियो को आधुनिक मनोवैज्ञानिक युद्ध रणनीति के घटकों के रूप में देखा गया. 

    इन क्यूरेटेड नैरेटिव्स ने जानबूझकर भू-राजनीतिक तनावों को कम करके आंका और इनका मकसद पाकिस्तान के लिए सहानुभूति पैदा करना था. एक्सपर्ट्स का मानना ​​है कि इस तरह का कंटेंट आधुनिक हाइब्रिड युद्ध में इस्तेमाल की जाने वाली व्यापक गलत सूचना रणनीति का हिस्सा है.

    मुखौटे के पीछे का आदमी

    ज्योति द्वारा अपनी एक पाकिस्तान यात्रा के लिए वीजा एक्सटेंशन हासिल करने की कोशिश एक अहम मोड़ बन गया. खुफिया सूत्रों के मुताबिक, हरकीरत सिंह ने उसे दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग में एक मध्यम स्तर के अधिकारी एहसान उर्फ ​​दानिश से मिलवाया था.

    एहसान (आधिकारिक नाम एहसान डार) राजनयिक कवर के तहत काम कर रहा था, लेकिन भारतीय एजेंसियों को संदेह था कि वह ISI इंटेलिजेंस कोऑर्डिनेटर के रूप में काम कर रहा है. उसकी भूमिका स्ट्रेटेजिक इन्फॉर्मेशन ऑपरेशन में शामिल करने के लिए ‘आसान टारगेट्स’ था, जिसमें सामाजिक पहुंच या प्रभाव वाले व्यक्तियों की पहचान करना और उन्हें विकसित करना शामिल था.

    एहसान डार कौन है?

    एहसान डार पाकिस्तान हाई कमीशन में वाणिज्य दूतावास और सांस्कृतिक कर्मचारी के रूप में तैनात था. इंटर्नल सर्विलांस ने प्रभावशाली लोगों, पत्रकारों और यूट्यूबर्स के साथ उनके लगातार संपर्क उजागर किया. उनका तरीका वीज़ा सहायता, सांस्कृतिक संपर्क या साक्षात्कार पर निर्भर था, जिससे तालमेल बढ़े. एहसान को 13 मई, 2025 को निकाल दिया गया. 

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    ज्योति मल्होत्रा: सॉफ्ट टारगेट

    कोविड-19 महामारी के दौरान नौकरी चली जाने से पहल ज्योति मल्होत्रा ने दिल्ली में कई छोटे-मोटे काम किए. उसके बाद उसने एक व्लॉग चैनल शुरू किया, जिसने खूब लोकप्रियता हासिल की. ​​इस दौरान, वह एहसान के संपर्क में आई, जिसने शुरू में छोटी हेल्प की पेशकश की.

    ज्योति की यात्राएं और बढ़ते डिजिटल फुटप्रिंट प्रभाव के संकेत देते हैं. जांचकर्ताओं का कहना है कि एहसान और उसकी टीम ने ज्योति को कंटेंट आइडिया और मैसेजिंग का सुझाव दिया, उसे ऐसे टॉपिक्स की राय दी, जो पाकिस्तान की तारीफ करते हुए भारतीय नीतियों की सूक्ष्म रूप से आलोचना करते थे. उसका लहजा यात्रा के उत्साह से बदलकर एक आइडियोलॉजिकल नैरेटिव की तरफ जाने लगा, जो पाकिस्तान के प्रचार के साथ निकटता से जुड़ा हुआ था.

    पहलगाम वीडियो: इन्फॉर्मेशन की जंग में एक केस स्टडी

    डिजिटल साक्ष्यों में से एक स्पेशल वीडियो की बारीकी से जांच की जा रही है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद अपलोड किए गए ज्योति के वीडियो में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों पर दोष मढ़ा गया है और सीमा पार आतंकी समूहों की ओर इशारा करने वाले बढ़ते सबूतों को नज़रअंदाज़ किया गया. अधिकारियों का मानना ​​है कि यह वीडियो आधुनिक सूचना युद्ध का उदाहरण है. 

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    जांच का बढ़ता दायरा…

    इंडिया टुडे के मिली आईबी रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में लंबे वक्त तक रहने के बाद ज्योति मल्होत्रा ने कई अन्य देशों- चीन, नेपाल, बांग्लादेश, दुबई, थाईलैंड, इंडोनेशिया और भूटान का दौरा किया. इनमें से हर यात्रा की अब एहसान से उसके संबंधों और उसके डिजिटल मैसेजिंग पैटर्न के मद्देनजर समीक्षा की जा रही है.

    नवंबर 2024 में कश्मीर की उसकी यात्रा ने भी नए सवाल खड़े किए. उसकी पाकिस्तान यात्रा मार्च 2025 में हुई थी. जांचकर्ताओं ने उसके डिजिटल डिवाइस जब्त कर लिए हैं. अब उसके मामले की स्टडी मॉडर्न इन्फ्लुएंस ऑपरेशन के एक टेम्प्लेट के रूप में किया जा रहा है.

    मामले में बड़ी तस्वीर

    ज्योति मल्होत्रा की कहानी डिजिटल जासूसी के दौर में एक चेतावनी भरी कहानी बन गई है. प्रभावशाली लोगों, व्लॉगर्स और पत्रकारों के तेजी से जनता की राय को आकार देने के साथ, खुफिया एजेंसियां ​​ऑनलाइन इन्फ्लुएंस के सॉफ्ट-पावर युद्ध के मैदान पर ध्यान खींच रही हैं.

    यह मामला इस बात पर जोर डालता है कि मॉडर्न वर्ल्ड की जासूसी अब सिर्फ चोरी किए गए दस्तावेजों या गुप्त कैमरों पर निर्भर नहीं है. यह अब यूट्यूब थंबनेल और इंस्टाग्राम रील्स पर सामने आती है. ज्योति मल्होत्रा, जो कभी सिर्फ एक ट्रैवल व्लॉगर थी, अब इंडिया की नैरेटिव जंग के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी दीवार के रूप में खड़ी हो सकती हैं.



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