भारत और चीन के बीच रिश्ता काफी जटिल है. भारत-पाकिस्तान के बीच मई महीने के दूसरे सप्ताह में सीमा पर चले तनाव के दौरान चीन ने खुलकर आतंकिस्तान का समर्थन किया. वित्त वर्ष 2024 में चीन और भारत के बीच 100 बिलियन डॉलर से अधिक का व्यापार हुआ. लेकिन, तब भी चीन ने डबल गेम खेला. चीन की ओर से पाक को मिल रहे समर्थन से क्षेत्रीय सुरक्षा की स्थिति और अधिक संवेदनशील हो गई है. हालांकि, रूस का मानना है कि चीन-भारत के बीच संबंध में दरार लाने के पीछे पश्चिम मुल्क हैं.
रूस के विदेश मंत्री की ओर से भारत और चीन के संबंध को लेकर बयान सामने आया है. जिसमें रूस ने पश्चिमी देशों को भारत-चीन के बीच बिगड़ते रिश्ते के लिए जिम्मेदार ठहराया है.
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि पश्चिमी देश भारत और चीन के बीच तनाव पैदा करने की एक रणनीति के तहत साजिश रच रहे हैं. पश्चिमी देश ‘डिवाइड एंड कन्कर’ (फूट डालो और राज करो) के तहत दोनों देशों के बीच संबंध बिगाड़ने में जुटे हैं. इस नीति के बारे में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी जिक्र किया था.
विदेश मंत्री लावरोव ने कहा कि पश्चिमी देश एशिया-प्रशांत क्षेत्र को अब ‘इंडो-पैसिफिक’ कहकर अपनी चीनी विरोध नीति को पूर्ण रूप से स्पष्ट कर दिया है. इसका मकसद साफ है कि भारत और चीन जैसे हमारे करीबी मित्रों के बीच विवाद और अविश्वास बढ़ाना.
ASEAN की भूमिका कमजोर करने का प्रयास
विदेश मंत्री लावरोव ने आरोप लगाया कि पश्चिमी देश ASEAN (दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन) को भी कमजोर करने में जुटे हैं. जिस तरह वे दुनिया के अन्य क्षेत्रों में प्रभुत्व (डॉमिनेंस) जमाना चाहते हैं, वैसी ही कोशिश वे साउथ-ईस्ट एशिया में भी कर रहे हैं.
यह भी पढ़ें: भारत चीन सीमा पर भी नये साल का जश्न, दोनों सेनाओं ने एक दूसरे को दिए उपहार
ASEAN क्या है?
ASEAN एक 10 देशों का समूह है. जिसमें इंडोनेशिया, थाईलैंड, ब्रुनेई, म्यांमार, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, कंबोडिया, लाओस और वियतनाम शामिल हैं. यह समूह एशिया में स्थिरता, समृद्धि को बढ़ावा देने और साझेदारी का महत्वपूर्ण स्तंभ माना जाता है.
इसका मुख्यालय इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में है. इसकी स्थापना 1967 में की गई थी.
इनपुट: टीएएसएस एजेंसी