अमेरिका और चीन के बीच 90 दिनों के लिए टैरिफ वॉर थम गया है. इसके बाद वैश्विक शेयर बाजारों में सोमवार को उछाल दर्ज किया गया. दुनिया भर के बाजारों में जबरदस्त तेजी देखी गई, जिससे वैश्विक मंदी का डर कुछ दिनों के लिए टल गया है.
बाजार पर क्या हुआ असर?
अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर पर 90 दिनों की राहत से अमेरिका के शेयर बाजार के लिए काफी दिनों बाद अच्छी खबर आई. S&P 500 3 मार्च के बाद अपने उच्चतम स्तर पर बंद हुआ और Nasdaq इंडेक्स 28 फरवरी के बाद अपना उच्चतम बंद पर बंद हुआ.
टैरिफ वॉर पर ब्रेक लगाने से निवेशकों का भरोसा लौटा है. डॉलर मजबूत हुआ और सोने की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है.
टैरिफ वॉर की वजह से दोनों देशों के बीच 600 बिलियन डॉलर का व्यापार ठप्प हो गया था.
अमेरिका-चीन के बीच क्या हुआ समझौता?
अमेरिका ने अगले 90 दिनों के लिए चीनी आयात पर टैरिफ को घटाकर 30 फीसदी कर दिया है. पहले 145 फीसदी टैरिफ लगाया जा रहा था.
चीन ने भी अमेरिका से आने वाले सामानों पर टैरिफ को घटाकर 10 फीसदी कर दिया है. जो कि पहले 125 फीसदी टैरिफ लगा करता था.
हालांकि, दोनों के देश के बीच जो अस्थायी समझौता हुआ है उससे मतभेद खत्म नहीं हुए हैं. जिस वजह से टैरिफ लगाया गया था उस मुद्दे को सुलझाया नहीं जा सका है. चीन के साथ व्यापार घाटे की वजह से अमेरिका ने टैरिफ जंग छेड़ी थी. साथ ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से फेंटेनाइल के मामले पर बीजिंग की ओर से अधिक कार्रवाई की मांग शामिल है.
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समझौते को लेकर दोनों देशों का रुख
अमेरिका-चीन के बीच सुधरते व्यापारिक रिश्ते पर डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि बहुत-बहुत अच्छा हो रहा है. चीन के साथ टैरिफ पर हुए समझौते को ट्रंप अपनी जीत मान रहे हैं. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप को इसलिए पीछे हटना पड़ा क्योंकि इससे अमेरिका को बड़ा नुकसान हो रहा था और निवेशकों का भरोसा घट रहा था. टैरिफ वॉर शुरू होने के बाद छोटे व्यापारी महंगे होते सामान और बढ़ती लागत से परेशान थे.
चीन के सरकारी मीडिया ने कहा है कि बीजिंग अपने मूल सिद्धांतों पर दृढ़ता से अडिग है. उसने अमेरिका के साथ बेहतर और अधिक सहयोग के लिए दरवाजे खोल दिए हैं.
चीन की ओर से आया ये बयान यह बताता है कि बीजिंग अमेरिका के साथ व्यापार में नरमी दिखाना चाहता है और संवाद के जरिए आगे बढ़ने चाहता है, जो एक सप्ताह पहले की कड़वी टकराव वाली भाषा से बिलकुल अलग है.
इनपुट: न्यूज एजेंसी रॉयटर्स और एएफपी