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    PAK संग युद्धविराम, लेकिन सिंधु जल संधि पर रोक रहेगी बरकरार

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    भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे तनाव के बाद अब युद्धविराम पर सहमति बन गई है. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने जानकारी देते हुए बताया कि आज दोपहर 3:35 बजे दोनों देशों के DGMO (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) के बीच बातचीत हुई, जिसमें यह अहम फैसला लिया गया. मिसरी ने बताया कि बातचीत के दौरान दोनों देशों ने सहमति जताई कि आज शाम 5 बजे से आकाश, जल और थल यानी सभी मोर्चों पर सैन्य कार्रवाई तत्काल प्रभाव से बंद कर दी जाएगी. इसके साथ ही दोनों देशों के बीच सीजफायर हो गया है. मिसरी ने कहा कि 12 मई को दोनों देशों के अधिकारी आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे.

    वहीं, पाहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जो सख्त कदम उठाए थे, वे आगे भी जारी रहेंगे. जानकारी के मुताबिक, भारत ने 23 अप्रैल को पाकिस्तान के खिलाफ जो पेनल्टी एक्शन लिए थे, उनमें प्रमुख रूप से सिंधु जल संधि को निलंबित (abeyance) करना शामिल था और यह कदम अब भी प्रभावी रहेगा.

    यह भी पढ़ें: सिंधु जल संधि को लेकर पाकिस्तान को बड़ा झटका, विश्व बैंक ने विवाद सुलझाने पर कहा- हम कुछ नहीं कर सकते

    हालांकि, भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में गोलीबारी रोकने और सैन्य कार्रवाइयों पर विराम लगाने को लेकर सहमति बनी है, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया है कि आतंकवाद को कतई बख्शा नहीं जाएगा. भारत की नीति साफ है कि जब तक सीमा पार से आतंकवाद बंद नहीं होता, तब तक सामान्य रिश्तों की कोई उम्मीद नहीं.

    सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान द्वारा इस संघर्ष विराम को एक “द्विपक्षीय समझौता” करार दिया गया है, लेकिन भारत का जोर आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पर है. 

    इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच इस सीज़फायर समझौते में अमेरिका की मध्यस्थता अहम रही. ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, एक लंबी रात की बातचीत के बाद मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमति जताई है. 

    हालांकि, भारत की ओर से इस समझौते पर सीधा बयान नहीं आया है, लेकिन यह साफ है कि सिंधु जल संधि पर रोक जैसे कड़े कदम फिलहाल वापस नहीं लिए जाएंगे.

    क्या है सिंधु जल समझौता?

    सिंधु जल समझौता तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी मिलिट्री जनरल अयूब खान के बीच कराची में सितंबर 1960 में हुआ था. 62 साल पहले हुई सिंधु जल संधि के तहत भारत को सिंधु और उसकी सहायक नदियों से 19.5 फीसदी पानी मिलता है. पाकिस्तान को करीब 80 फीसदी पानी मिलता है. भारत अपने हिस्से में से भी करीब 90 फीसदी पानी ही उपयोग करता है. साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु घाटी को 6 नदियों में विभाजित करते हुए इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. इस समझौते के तहत दोनो देशों के बीच प्रत्येक साल सिंधु जल आयोग की बैठक अनिवार्य है.

    सिंधु जल संधि को लेकर पिछली बैठक 30-31 मई 2022 को नई दिल्ली में हुई थी. इस बैठक को दोनों देशों ने सौहार्दपूर्ण बताया था. पू्र्वी नदियों पर भारत का अधिकार है. जबकि पश्चिमी नदियों को पाकिस्तान के अधिकार में दे दिया गया. इस समझौते की मध्यस्थता विश्व बैंक ने की थी. भारत को आवंटित 3 पूर्वी नदियां सतलज, ब्यास और रावी के कुल 168 मिलियन एकड़ फुट में से 33 मिलियन एकड़ फीट वार्षिक जल आवंटित किया गया है.

    ये भी पढ़ें- 1965, 1971, करगिल तीन युद्धों में भी बंद नहीं हुआ पानी…’सिंधु स्ट्राइक’ से PAK को होंगे कैसे-कैसे नुकसान?

    भारत के उपयोग के बाद बचा हुआ पानी पाकिस्तान चला जाता है. जबकि पश्चिमी नदियां जैसे सिंधु, झेलम और चिनाब का लगभग 135 मिलियन एकड़ फीट वार्षिक जल पाकिस्तान को आवंटित किया गया है. सिंधु जल प्रणाली में मुख्य नदी के साथ-साथ पांच सहायक नदियां भी शामिल हैं. इन नदियों में रावी, ब्यास, सतलज, झेलम और चिनाब है. ये नदियां सिंधु नदी के बाएं बहती है. रावी, ब्यास और सतलुज को पूर्वी नदियां जबकि जबकि चिनाब, झेलम और सिंधु को पश्चिमी नदियां कहा जाता है. इन नदियों का पानी भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. ऐसे में ये समझौता स्थगित करना पाक को भारी पड़ेगा.



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