भारत और पाकिस्तान के बीच शनिवार शाम 5 बजे से युद्धविराम समझौता लागू है. हालांकि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए तीन प्रमुख उद्देश्यों को पूरा किया. ये लक्ष्य हैं सैन्य, राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक. ये ऑपरेशन भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ.
1. सैन्य उद्देश्य- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था ‘मिट्टी में मिला देंगे’ और यही हुआ. बहावलपुर, मुरीदके और मुज़फ़्फराबाद स्थित आतंकी शिविरों को सटीक मिसाइल हमलों से तबाह कर दिया गया और मिट्टी में मिला दिया गया. ये वो क्षेत्र थे जहां पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों की मजबूत पकड़ मानी जाती थी।
2. राजनीतिक उद्देश्य- भारत ने सिंधु जल संधि को सीमापार आतंकवाद से जोड़ दिया है. सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद पूरी तरह बंद नहीं होता, तब तक संधि के तहत भारत का सहयोग स्थगित रहेगा. ये पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय और आंतरिक दबाव बढ़ाने की एक रणनीति है.
3. मनोवैज्ञानिक उद्देश्य- भारत ने ‘घुस के मारेंगे’ वाली नीति को साकार किया. हमने पाकिस्तान को भीतर घुसकर मारा. जिससे वहां की सैन्य और आतंकी संरचनाओं में घबराहट फैल गई. इससे भारतीय जनता में आत्मविश्वास और सेना पर भरोसा और मजबूत हुआ है.
भारत ने सावधानी से चुने अपने टारगेट
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक पहलगाम आतंकी के बाद भारत ने अपने टारगेट सावधानीपूर्वक चुने. साथ ही बेहतर तकनीक और तरीके का इस्तेमाल करने के साथ ही हथियार के चयन में भी सावधानी बरती. टारगेट पर बहावलपुर, मुरीदके औऱ मुजफ्फराबाद रहे. ये तीनों इसलिए अहम हैं, क्योंकि ये पाकिस्तान के आतंक में मिलीभगत से जुड़े हुए हैं.
‘जयशंकर ने रूबियो को हमले के बारे में दी थी जानकारी’
विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि जयशंकर ने 1 मई को अमेरिका के विदेशमंत्री मार्को रुबियो से फोन पर बात की थी और उन्हें साफ-साफ बताया था कि हम आतंकी ठिकानों पर हमला करेंगे. इसमें कहा गया था कि अगर पाकिस्तान हमला करेगा तो हम पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देंगे. भारत के एक्शन से पाकिस्तानियों के लिए हर रात बदतर होती जा रही थी. MEA के सूत्रों ने कहा कि भारत ने साफ संदेश दिया था कि अगर हमें पाकिस्तान से बात करनी है, तो वह सिर्फ पीओके, अवैध क्षेत्रों की वापसी और आतंकवादियों को सौंपने के बारे में होगी. मार्को रुबियो और जयशंकर के बीच परमाणु खतरे पर कोई बातचीत नहीं हुई. पाकिस्तान हमेशा परमाणु खतरे का मुद्दा उठाता है. उनके मंत्रियों ने ऐसा करना शुरू कर दिया था, इसमें कोई नई बात नहीं है.