भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात तो हैं, लेकिन जंग अभी शुरू नहीं हुई है. हां, पाकिस्तान की तरफ से कोशिश ऐसी ही, लेकिन भारत का फोकस अभी तक महज माकूल जवाब देने पर ही फोकस है.
भारत की तरफ से अभी तक ऐसा कोई भी नया कदम नहीं उठाया गया है, जो ऑपरेशन सिंदूर में तय नहीं किया गया था. साफ तौर पर ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के भीतर बने हुए आतकंवादी ठिकानों को तबाह किया जाना मकसद था, और अब भी बात उससे आगे नहीं बढ़ी है.
पाकिस्तान जरूर अलग अलग तरीके से युद्ध के लिए उकसाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन भारतीय सशस्त्र बल सिर्फ सरहद पार से होने वाली हरकतों को न्यूट्रलाइज करने कर रहे हैं.
पाकिस्तान भले ही अपनी फौज को सरहद तक पहुंचाने में लगा हो, लेकिन भारत हर हाल में जंग की स्थिति टालने की कोशिश कर रहा है – क्योंकि, एक बार अगर जंग की तरफ कदम बढ़ा दिये गये, तो हालात मुश्किल और बेकाबू होते देर नहीं लगेंगे.
पाकिस्तान की तरफ से उकसावे की कार्रवाई
ऑपरेशन सिंदूर के बाद की प्रेस ब्रीफिंग में बताया गया था कि कैसे पाकिस्तान नागरिक विमानों की आड़ लेकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई मार्गों का दुरुपयोग कर रहा है. लेकिन, भारतीय वायुसेना ने अपनी प्रतिक्रिया में संयम दिखाया और अंतरराष्ट्रीय नागरिक विमान सेवा की सुरक्षा भी सुनिश्चित की है.
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने लेटेस्ट प्रेस ब्रीफिंग में बताया है, मैंने पहले भी कई मौकों पर कहा है कि पाकिस्तान की कार्रवाइयां उकसावे और तनाव बढ़ाने वाली हैं… जवाब में भारत ने पाकिस्तान की ओर से की गई इन कार्रवाइयों का जिम्मेदारी के साथ संतुलित तरीके से बचाव किया है, और प्रतिक्रिया दी है.
पाकिस्तान ने फिर से शुक्रवार-शनिवार की रात जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन से हमले की कोशिश की, जिसे सेना ने नाकाम कर दिया है.
पाकिस्तान की हरकतें भी पहलगाम के हमलावरों जैसी ही लगती हैं. ननकाना साहब पर ड्रोन हमले का आरोप लगाना भी पाकिस्तान की तरफ से धार्मिक रंग देने की कोशिश ही है.
प्रेस ब्रीफिंग में बताया गया कि कैसे पाकिस्तान ने पूंछ में गुरुद्वारे पर हमला किया, लेकिन जिम्मेदारी लेने के बजाय वो भारतीय सेना पर आरोप लगाने का प्रयास कर रहा है – और ये सब एक ही तरीके से हर एक्ट को धार्मिक रंग देने की कोशिश ही है.
भारत सिर्फ संयम के साथ जवाब दे रहा है
कर्नल सोफिया कुरैशी के मुताबिक, पाकिस्तान ने पूरे बॉर्डर पर आक्रामक गतिविधियां जारी रखी है… ड्रोन और फाइटर जेट का इस्तेमाल कर रहा है. पाकिस्तान की फॉरवर्ड पोस्ट में सैनिकों का डिप्लॉयमेंट बढ़ रहा है – और ये सब भड़काने की कोशिश है.
लेकिन, भारत की तरफ से हर हमले को काउंटर और न्यूट्रलाइज करने की ही कोशिश हो रही है. पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल को न्यूट्रलाइज किया जा रहा है – लेकिन, अपनी तरफ से कोई ऐसी कार्रवाई नहीं की जा रही है, जैसी पाकिस्तान की तरफ से हो रही है.
भारत ने अपनी तरफ से पाकिस्तान के नागरिक ठिकानों, फौज या किसी भी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना बनाने की कोशिश नहीं की है, जबकि पाकिस्तान की तरफ से ऐसी बातों की जरा भी परवाह नहीं नजर आ रही है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश सचिव विक्रम मिसरी कहते हैं, मैं यही कहना चाहूंगा कि भारत तनाव बढ़ाने का काम नहीं कर रहा है… हमारा मकसद सिर्फ 22 अप्रैल के हमले का जवाब देना था… वो हमला ही वास्तविक तनाव बढ़ाने वाली घटना थी… उसका जवाब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर एक्शन से दिया है… हमारा मकसद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना था, मिलिट्री इन्फ्रास्ट्रक्चर हमारे टार्गेट नहीं थे.
फर्ज कीजिये, अगर पाकिस्तान की तरह भारत भी सरहद पार के सैन्य ठिकानों को टार्गेट करना शुरू किया तो क्या हाल होगा?
जिस तरह से भारत हमलों को नाकाम कर रहा है, जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को खत्म किया गया है, मिसाइल हमले को नाकाम किया जा रहा है, ड्रोन रास्ते में ही निबटा दिये जा रहे हैं – अगर भारत ने उसी लेवल का अटैक किया तो स्थिति कैसी होगी.
निश्चित तौर पर पाकिस्तान के सियासी और फौजी हुक्मरानों को भी हालात का अंदाजा हो रहा होगा. संभावित हमले की स्थिति के मुकाबले के बारे में भी सोच ही समझ रहे होंगे – और संभावित स्थिति का आकलन तो कर ही रहे होंगे.
भारत का जवाब भी तो पाकिस्तान के लिए समझाइश ही है, उम्मीद है पुराने अनुभव सद्बुद्धि भी देर सबेर दे ही देंगे.