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    ऑपरेशन सिंदूर-1 में इस्तेमाल हुए हैमर-स्कैल्प… पार्ट-2 में इस्तेमाल हो सकते हैं ये स्ट्राइकर, हंटर-किलर

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    ऑपरेशन सिंदूर-1 भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा 7 मई 2025 को किया गया एक महत्वपूर्ण सैन्य अभियान था, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया. यह अभियान 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था.

    इस ऑपरेशन में उन्नत प्रेसिशन हथियारों जैसे स्कैल्प (स्टॉर्म शैडो) क्रूज मिसाइल, हैमर (Highly Agile Modular Munition Extended Range) प्रेसिजन-गाइडेड बम, और लॉइटरिंग म्युनिशन्स का उपयोग किया गया, जो मुख्य रूप से राफेल लड़ाकू विमानों, M777 होवित्जर तोपों और अन्य प्लेटफॉर्म्स से लॉन्च किए गए थे.

    यह हमले “केंद्रित, संतुलित और गैर-वृद्धिकारी” थे, जिनमें पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को निशाना नहीं बनाया गया और नागरिक हताहतों को न्यूनतम रखा गया. इस ऑपरेशन में जैश-ए-मोहम्मद के 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए. 

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    ऑपरेशन सिंदूर पार्ट-2

    ऑपरेशन सिंदूर पार्ट-2 के बारे में अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि या विस्तृत जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है. हालांकि, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि पार्ट-2 पिछले अभियान की तरह ही आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए होगा, जिसमें मेटियोर, स्काईस्ट्राइकर, स्पाइस 2000 ग्लाइड बम, एक्सकैलिबर प्रेसिशन-गाइडेड आर्टिलरी शेल्स और अन्य उन्नत हथियारों का उपयोग हो सकता है. 

    संभावित परिदृश्य

    उद्देश्य: पाकिस्तान या PoK में आतंकी संगठनों के बचे हुए ठिकानों को नष्ट करना, विशेष रूप से उन शिविरों को जो ऑपरेशन सिंदूर-1 में प्रभावित नहीं हुए.

    हथियार: मेटियोर मिसाइल (हवाई युद्ध के लिए), स्काईस्ट्राइकर (लॉइटरिंग म्युनिशन), स्पाइस 2000 (ग्लाइड बम), और एक्सकैलिबर (आर्टिलरी शेल्स) का उपयोग संभावित है, क्योंकि ये हथियार सटीक और लंबी दूरी के हमलों के लिए उपयुक्त हैं.

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    रणनीति: भारतीय वायुसेना और सेना स्टैंड-ऑफ हमलों पर ध्यान दे सकती है, जिसमें राफेल विमान, M777 होवित्जर और ड्रोन-आधारित हथियार शामिल होंगे, ताकि भारतीय बलों को जोखिम कम हो और अधिकतम प्रभाव सुनिश्चित हो.

    राजनीतिक और कूटनीतिक प्रभाव: ऑपरेशन सिंदूर-1 की तरह पार्ट-2 भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय और पड़ोसी देशों के साथ कूटनीतिक चुनौतियां ला सकता है. 

    संभावित हथियारों का होगा इस्तेमाल
     
    आधुनिक और अत्याधुनिक हथियारों से लैस भारतीय सेना न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करने में सक्षम है, बल्कि दुश्मन के क्षेत्र में गहराई तक सटीक हमले करने की क्षमता भी रखती है. हैमर और स्कैल्प जैसे हथियारों के अलावा, भारत के शस्त्रागार में मेटियोर, स्काईस्ट्राइकर, स्पाइस 2000 ग्लाइड बम और एक्सकैलिबर प्रेसिशन गाइडेड आर्टिलरी शेल्स जैसे हथियार शामिल हैं. 

    1. मेटियोर (Meteor) मिसाइल

    मेटियोर एक बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (BVRAAM) है, जिसे यूरोप की MBDA कंपनी ने विकसित किया है. यह भारतीय वायुसेना के राफेल लड़ाकू विमानों का प्रमुख हथियार है. मेटियोर की सबसे बड़ी खासियत इसकी लंबी रेंज और “नो-एस्केप ज़ोन” है, जो इसे हवा में दुश्मन के विमानों को नष्ट करने में अत्यंत प्रभावी बनाती है. यह मिसाइल रैमजेट प्रणोदन प्रणाली से लैस है, जो इसे सुपरसोनिक गति प्रदान करती है.

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    Operation Sindoor Part-2, Weapons

    रेंज: 150-200 किलोमीटर

    गति: 4 मैक से अधिक (लगभग 4,900 किमी/घंटा)

    लंबाई: 3.67 मीटर

    वजन: 190 किलोग्राम

    वॉरहेड: हाई-एक्सप्लोसिव ब्लास्ट फ्रैगमेंटेशन

    मार्गदर्शन प्रणाली: एक्टिव रडार होमिंग, डेटा लिंक

    प्लेटफॉर्म: राफेल, तेजस (भविष्य में संभावित)

    मेटियोर की लंबी रेंज और सटीकता इसे हवाई युद्ध में गेम-चेंजर बनाती है. यह भारतीय वायुसेना को पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसियों की हवाई ताकत के खिलाफ निर्णायक बढ़त देती है.

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    2. स्काईस्ट्राइकर (Skystriker)

    स्काईस्ट्राइकर एक लॉइटरिंग म्युनिशन (कामिकेज़ ड्रोन) है, जिसे इज़राइल की एल्बिट सिस्टम्स ने विकसित किया है. यह हथियार दुश्मन के ठिकानों पर लंबे समय तक मंडराने और सटीक हमला करने की क्षमता रखता है. भारतीय सेना ने इसे अपनी आर्टिलरी और विशेष बलों के लिए चुना है. स्काईस्ट्राइकर का उपयोग बंकरों, कमांड सेंटरों और अन्य महत्वपूर्ण लक्ष्यों को नष्ट करने में किया जाता है.

    Operation Sindoor Part-2, Weapons

    रेंज: 20-100 किलोमीटर (वेरिएंट पर निर्भर)

    लॉइटरिंग समय: 2 घंटे तक

    वजन: 35 किलोग्राम

    वॉरहेड: 5-10 किलोग्राम हाई-एक्सप्लोसिव

    मार्गदर्शन प्रणाली: इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इन्फ्रारेड (EO/IR), जीपीएस

    लॉन्च प्लेटफॉर्म: ग्राउंड-बेस्ड लॉन्चर

    स्काईस्ट्राइकर की लॉइटरिंग क्षमता इसे युद्धक्षेत्र में गतिशील लक्ष्यों को ट्रैक करने और नष्ट करने में सक्षम बनाती है. यह सर्जिकल स्ट्राइक जैसे ऑपरेशनों में भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण है.

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    3. स्पाइस 2000 ग्लाइड बम (SPICE 2000 Glide Bomb)

    स्पाइस 2000 (Smart, Precise Impact, Cost-Effective) एक इज़राइली गाइडेड बम है, जिसे भारतीय वायुसेना ने 2019 के बालाकोट एयरस्ट्राइक में इस्तेमाल किया था. यह बम अपनी सटीकता और लंबी रेंज के लिए जाना जाता है. इसे मिराज-2000 और राफेल जैसे लड़ाकू विमानों से तैनात किया जा सकता है. स्पाइस 2000 कंक्रीट बंकरों और अन्य मजबूत संरचनाओं को नष्ट करने में सक्षम है.

    Operation Sindoor Part-2, Weapons

    रेंज: 60-100 किलोमीटर

    वजन: 907 किलोग्राम (2000 पाउंड)

    मार्गदर्शन प्रणाली: इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल, इन्फ्रारेड, जीपीएस/INS

    वॉरहेड: पेनेट्रेटिंग या ब्लास्ट फ्रैगमेंटेशन

    सटीकता: 3 मीटर से कम (CEP)

    प्लेटफॉर्म: मिराज-2000, राफेल, जगुआर

    बालाकोट हमले में स्पाइस 2000 ने अपनी प्रभावशीलता साबित की थी. यह भारतीय वायुसेना को स्टैंड-ऑफ हमले करने की क्षमता देता है, जिससे पायलटों को दुश्मन के हवाई रक्षा क्षेत्र में प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं पड़ती.

    यह भी पढ़ें: हैमर, स्कैल्प मिसाइलें और राफेल… आधी रात में ऐसे हो गया पाकिस्तान में खेल!

    4. एक्सकैलिबर प्रेसिजन गाइडेड आर्टिलरी शेल्स (Excalibur Precision Guided Extended Range Artillery Shells)

    एक्सकैलिबर एक अमेरिकी निर्मित प्रेसिजन-गाइडेड आर्टिलरी शेल है, जिसे भारतीय सेना ने अपनी M777 अल्ट्रा-लाइट होवित्जर तोपों के लिए अधिग्रहित किया है. यह शेल अपनी असाधारण सटीकता और लंबी रेंज के लिए प्रसिद्ध है. यह शहरी युद्ध और पहाड़ी क्षेत्रों में सटीक हमले करने में सक्षम है, जिससे नागरिक क्षति को कम किया जा सकता है.

    Operation Sindoor Part-2, Weapons

    रेंज: 40-57 किलोमीटर (तोप के प्रकार पर निर्भर)

    वजन: 48 किलोग्राम

    मार्गदर्शन प्रणाली: जीपीएस/INS

    सटीकता: 2 मीटर से कम (CEP)

    वॉरहेड: हाई-एक्सप्लोसिव फ्रैगमेंटेशन

    प्लेटफॉर्म: M777 होवित्जर, अन्य 155 मिमी तोपें

    एक्सकैलिबर शेल्स भारतीय सेना को पहाड़ी और सीमावर्ती क्षेत्रों, विशेष रूप से भारत-चीन सीमा पर LAC जैसे क्षेत्रों में, दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमले करने की क्षमता प्रदान करते हैं.

    5. हैमर (HAMMER) 

    हैमर (Highly Agile Modular Munition Extended Range): हैमर एक फ्रांसीसी निर्मित प्रेसिजन-गाइडेड बम है, जिसे भारतीय वायुसेना ने राफेल विमानों के लिए अधिग्रहित किया है. यह स्टैंड-ऑफ हमलों के लिए डिज़ाइन किया गया है. बंकरों, गुफाओं और अन्य मजबूत संरचनाओं को नष्ट करने में सक्षम है.

    Operation Sindoor Part-2, Weapons

    रेंज: 20-70 किलोमीटर

    वजन: 250-1000 किलोग्राम (वेरिएंट पर निर्भर)

    मार्गदर्शन प्रणाली: जीपीएस/INS, लेजर-गाइडेड

    वॉरहेड: पेनेट्रेटिंग या ब्लास्ट फ्रैगमेंटेशन

    प्लेटफॉर्म: राफेल

    6. स्कैल्प (Storm Shadow/SCALP EG)

    स्कैल्प एक लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल है, जो राफेल विमानों से तैनात की जाती है। यह गहरे दुश्मन क्षेत्र में महत्वपूर्ण लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन की गई है.

    Operation Sindoor Part-2, Weapons

    रेंज: 560 किलोमीटर से अधिक

    वजन: 1300 किलोग्राम

    गति: 0.8 मैक (लगभग 1000 किमी/घंटा)

    मार्गदर्शन प्रणाली: जीपीएस/INS, टेरेन रेफरेंस नेविगेशन

    वॉरहेड: 450 किलोग्राम पेनेट्रेटिंग

    प्लेटफॉर्म: राफेल

    हैमर और स्कैल्प भारतीय वायुसेना को लंबी दूरी से सटीक और घातक हमले करने की क्षमता प्रदान करते हैं. ये हथियार रणनीतिक लक्ष्यों को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

    भारत की सैन्य रणनीति में इन हथियारों की भूमिका

    ये हथियार भारत की सैन्य रणनीति को न केवल मजबूत करते हैं, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर देश की स्थिति को भी सुदृढ़ करते हैं. मेटियोर और स्कैल्प जैसे हथियार हवाई युद्ध में भारत को बढ़त देते हैं, जबकि स्काईस्ट्राइकर और स्पाइस 2000 जैसे हथियार सर्जिकल स्ट्राइक और स्टैंड-ऑफ हमलों में महत्वपूर्ण हैं. एक्सकैलिबर जैसे आर्टिलरी शेल्स पहाड़ी और सीमावर्ती क्षेत्रों में सटीकता प्रदान करते हैं.

    भारत का यह हथियारों का खजाना न केवल रक्षा के लिए है, बल्कि यह दुश्मन को स्पष्ट संदेश देता है कि भारत किसी भी खतरे का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है. इन हथियारों के साथ, भारतीय सेना न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा कर सकती है, बल्कि जरूरत पड़ने पर दुश्मन के घर में घुसकर वार करने की क्षमता भी रखती है.



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