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    आकाश से शिल्का तक… भारत के वो हथियार जिन्होंने हवा में ही धुआं-धुआं कर दीं PAK की मिसाइलें

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    8 मई 2025 को पाकिस्तान द्वारा भारत के 15 शहरों में सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमले की कोशिश को भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों ने पूरी तरह नाकाम कर दिया. भारतीय सेना के आकाश, MRSAM, Zu-23, L-70, और शिल्का जैसी उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

    ये प्रणालियां भारत की वायु रक्षा रणनीति का अभिन्न हिस्सा हैं. दुश्मन के हवाई खतरों को नष्ट करने में सक्षम हैं. 7-8 मई 2025 की रात को पाकिस्तान ने श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, चंडीगढ़, और अन्य 15 शहरों में भारतीय सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमले करने की कोशिश की.

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    यह हमला 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे, के जवाब में भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुआ. ऑपरेशन सिंदूर-1 में भारत ने पाकिस्तान और PoK में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था.

    पाकिस्तान के हमले को भारत की एकीकृत काउंटर-यूएएस (UAS) ग्रिड और वायु रक्षा प्रणालियों, जैसे आकाश, MRSAM, Zu-23, L-70, और शिल्का ने निष्प्रभावी कर दिया. रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इन प्रणालियों ने पाकिस्तानी ड्रोनों और मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया, जिससे भारत को कोई नुकसान नहीं हुआ. 

    1. आकाश मिसाइल प्रणाली

    आकाश भारत द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित एक मध्यम दूरी की सतह-से-हवा मिसाइल प्रणाली है, जिसे डीआरडीओ (DRDO) ने डिज़ाइन किया है. यह भारतीय सेना और वायुसेना की रीढ़ है.

    विशेषताएं

    रेंज: 25-30 किलोमीटर

    लक्ष्य: फाइटर जेट्स, ड्रोन, क्रूज मिसाइलें

    ऊंचाई: 18 किलोमीटर तक

    मार्गदर्शन प्रणाली: रडार-आधारित कमांड गाइडेंस

    सटीकता: 90% से अधिक

    तैनाती: मोबाइल लॉन्चर, जो इसे लचीलापन प्रदान करता है

    योगदान: आकाश मिसाइल प्रणाली ने श्रीनगर की ओर बढ़ रहे एक पाकिस्तानी JF-17 जेट को नष्ट किया. इस प्रणाली ने ड्रोनों और मिसाइलों को ट्रैक और नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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    2. MRSAM (मध्यम दूरी की सतह-से-हवा मिसाइल)

    MRSAM भारत और इज़राइल के संयुक्त सहयोग से विकसित एक उन्नत वायु रक्षा प्रणाली है. यह बराक-8 मिसाइल का हिस्सा है और भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना में तैनात है.

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    विशेषताएं

    रेंज: 70-100 किलोमीटर

    लक्ष्य: फाइटर जेट्स, ड्रोन, बैलिस्टिक मिसाइलें, क्रूज मिसाइलें

    ऊंचाई: 20 किलोमीटर तक

    मार्गदर्शन प्रणाली: एक्टिव रडार होमिंग और मल्टी-फंक्शन रडार

    सटीकता: उच्च सटीकता के साथ मल्टी-टारगेट ट्रैकिंग

    तैनाती: मोबाइल और नौसैनिक प्लेटफॉर्म

    योगदान: MRSAM ने उत्तरी और पश्चिमी भारत में पाकिस्तानी ड्रोनों और मिसाइलों को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसकी लंबी रेंज और मल्टी-टारगेट ट्रैकिंग ने इसे प्रभावी बनाया.

    3. Zu-23-2

    Zu-23-2 एक सोवियत-निर्मित ट्विन-बैरल 23 मिमी ऑटोमैटिक एंटी-एयरक्राफ्ट गन है, जिसे भारतीय सेना और वायुसेना में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है.

    विशेषताएं

    रेंज: 2.5 किलोमीटर

    लक्ष्य: निम्न-उड़ान वाले ड्रोन, हेलीकॉप्टर और विमान

    गति: 970 मीटर/सेकंड

    मार्गदर्शन प्रणाली: ऑप्टिकल साइट और रडार-आधारित ट्रैकिंग

    तैनाती: मोबाइल और स्थिर दोनों

    योगदान: Zu-23-2 ने उधमपुर और अन्य क्षेत्रों में निम्न-उड़ान वाले पाकिस्तानी ड्रोनों को नष्ट किया. इसकी तेजी से फायरिंग और गतिशीलता ने इसे प्रभावी बनाया.

    4. L-70

    L-70 एक स्वीडिश-निर्मित 40 मिमी एंटी-एयरक्राफ्ट गन है, जिसे भारत ने अपग्रेड किया है. यह भारतीय सेना और वायुसेना की निम्न-ऊंचाई वाली रक्षा का हिस्सा है.

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    विशेषताएं

    रेंज: 4 किलोमीटर

    लक्ष्य: ड्रोन, हेलीकॉप्टर, और निम्न-उड़ान वाले विमान

    गति: 300 राउंड प्रति मिनट

    मार्गदर्शन प्रणाली: रडार-आधारित फायर कंट्रोल सिस्टम

    तैनाती: स्थिर और मोबाइल दोनों

    योगदान: L-70 ने पाकिस्तानी ड्रोनों को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेष रूप से पंजाब और जम्मू-कश्मीर क्षेत्रों में. इसकी सटीकता और तेजी से फायरिंग ने इसे प्रभावी बनाया.

    5. शिल्का (ZSU-23-4)

    शिल्का एक सोवियत-निर्मित स्व-चालित एंटी-एयरक्राफ्ट गन है, जिसमें चार 23 मिमी तोपें होती हैं. यह भारतीय सेना की निम्न-ऊंचाई वाली रक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

    विशेषताएं

    रेंज: 2.5 किलोमीटर

    लक्ष्य: ड्रोन, हेलीकॉप्टर, और निम्न-उड़ान वाले विमान

    गति: 4000 राउंड प्रति मिनट

    मार्गदर्शन प्रणाली: रडार और ऑप्टिकल ट्रैकिंग

    तैनाती: बख्तरबंद वाहन पर स्व-चालित

    योगदान: शिल्का की उच्च फायरिंग दर ने उदमपुर और अन्य क्षेत्रों में पाकिस्तानी ड्रोनों को नष्ट करने में मदद की. इसकी गतिशीलता और रडार-आधारित ट्रैकिंग ने इसे युद्धक्षेत्र में प्रभावी बनाया.

    पाकिस्तान के हमले को नाकाम करने में भूमिका

    पाकिस्तानी सेना ने अवंतीपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, बठिंडा, चंडीगढ़, नल, फलोदी, उत्तरलाई और भुज जैसे क्षेत्रों में सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की. भारतीय रक्षा मंत्रालय के अनुसार इन हमलों को एकीकृत काउंटर-यूएएस ग्रिड और वायु रक्षा प्रणालियों ने निष्प्रभावी कर दिया.

    आकाश और MRSAM: इन प्रणालियों ने लंबी और मध्यम दूरी के खतरों जैसे मिसाइलों और फाइटर जेट्स को नष्ट किया. एक पाकिस्तानी F-16 और JF-17 जेट को नष्ट किया गया. 

    Zu-23, L-70, और शिल्का: इन निम्न-ऊंचाई वाली प्रणालियों ने ड्रोनों और अन्य छोटे हवाई खतरों को नष्ट किया. उधमपुर में सेना की वायु रक्षा इकाइयों ने कई ड्रोनों को मार गिराया.

    सामरिक महत्व

    इस घटना ने भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों की प्रभावशीलता दिखाई. 

    बहुस्तरीय रक्षा: आकाश और MRSAM ने लंबी दूरी के खतरों को निपटाया, जबकि Zu-23, L-70, और शिल्का ने निम्न-ऊंचाई वाले खतरों को नष्ट किया.

    स्वदेशी तकनीक: आकाश जैसी स्वदेशी प्रणालियों ने भारत की आत्मनिर्भरता को प्रदर्शित किया.

    तकनीकी श्रेष्ठता: इन प्रणालियों ने पाकिस्तानी ड्रोनों और मिसाइलों को पूरी तरह नाकाम कर दिया, जिससे भारत की रक्षा क्षमता सिद्ध हुई.

    मनोवैज्ञानिक प्रभाव: इस विफलता ने पाकिस्तानी सेना के मनोबल को कमजोर किया और भारत की जवाबी कार्रवाई की क्षमता को रेखांकित किया.



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