यमन के हूती विद्रोही न सिर्फ अपनी सरकार के खिलाफ बल्कि अमेरिका और इजरायल जैसे ताकतवर देशों से भी जंग लड़ रहे हैं. हाल ही में हूती विद्रोहियों ने इजरायल के तेल अवीव के पास मिसाइल दागी थी, जिससे जवाब में यमन पर हवाई हमले किए गए हैं. हूतियों ने इन हमलों के लिए इजरायल और अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है. यमन करीब एक दशक से गृहयुद्ध झेल रहा है और वहां ईरान समर्थित हूतियों पर काबू पाना लगभग नामुमकिन हो चुका है.
कारोबारी जहाजों को बना रहे निशाना
हूती विद्रोहियों ने पिछले दो साल से लाल सागर में सीधी लड़ाई छेड़ दी थी. यहां से गुजरने वाले किसी भी जहाज के अमेरिका, ब्रिटेन या फिर इजरायल से जुड़े होने पर विद्रोही उनपर हमला कर देते हैं. इसके बाद से लगातार अमेरिका और ब्रिटेन भी हूती विद्रोहियों को टारगेट कर रहे हैं. हूतियों के सबसे ज्यादा निशाने पर इजरायल रहता है और वह हमास का खुलकर समर्थन करते हैं.
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विशेषज्ञों का मानना है कि हाल के दिनों में हूतियों ने लाल सागर में ऐसे कारोबारी जहाजों को भी निशाना बनाया जिनका इजरायल से कोई संबंध नहीं था. मतलब यह कि हूती अपनी ताकत और हथियारों को दुनिया के सामने दिखाना चाहते हैं. इसी वजह से ट्रेड रूट को बाधित कर सभी का ध्यान खींचना और ईरान को अपने और करीब लाना उनका मकसद है.
डेढ़ लाख से ज्यादा की फौज
जानकारी के मुताबिक हूती विद्रोहियों के पास करीब डेढ़ लाख से ज्यादा लड़ाके हैं. इसके अलावा विद्रोही गुट के पास ड्रोन और मिसाइल जैसे एडवांस वेपन भी हैं. कई रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि हूतियों के पास एक हजार से ज्यादा ईरानी मिसाइलें हैं और हूती विद्रोहियों को हिज्बुल्लाह ट्रेनिंग भी देता है. साफ तौर पर हूतियों को ईरान और हिज्बुल्लाह का समर्थन हासिल है.
ईरान पर हथियार देने के आरोप
अमेरिका का दावा है कि हूती विद्रोही बच्चों को लड़ाके बनाने की ट्रेनिंग देते हैं और 2020 की जंग में 1500 से ज्यादा बच्चे मारे गए थे. इससे दो साल पहले एक रिपोर्ट में बताया गया था कि ईरान हूती विद्रोहियों को मिसाइल दे रहा है जो कि इंटरनेशनल कानूनों का सीधा उल्लंघन है. हालांकि ईरान हमेशा से ऐसे आरोपों से इनकार करता रहा है.
सऊदी अरब भी ईरान पर हूती विद्रोहियों को बैलिस्टिक मिसाइलें सौंपने का आरोप लगा चुका है. दावा यह भी है कि इन मिसाइलों से हूती विद्रोहियों ने साल 2017 में रियाद पर हमला किया था, लेकिन सऊदी ने इन सभी मिसाइलों को हवा में ही मार गिराया था. ईरान पर हूती विद्रोहियों को क्रूज मिसाइल से लेकर ड्रोन और बाकी खतरनाक हथियार मुहैया कराने के आरोप लगते रहे हैं.
बैलिस्टिक मिसाइलों से किए हमले
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक हूतियों के पास क्रूज़ मिसाइल, बैलिस्टिक मिसाइल और बड़ी संख्या ड्रोन हैं, जिनका इस्तेमाल लाल सागर में किए गए हमलों में भी हुआ था. हूती विद्रोहियों ने शुरुआत में छोटे जहाज़ों और हेलिकॉप्टर्स के जरिए बड़े जहाज़ों पर कब्ज़ा करने की कोशिश की लेकिन अब लड़कों को पास अत्याधुनिक हथियार हैं.
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अमेरिकी थिंकटैंक के मुताबिक हूती विद्रोहियों के पास कई तरह की एंटी शिप क्रूज़ मिसाइलें हैं जिनकी क्षमता 80 से लेकर 300 किमी तक टारगेट करने की है. इसके अलावा हूतियों पर एंटी शिप बैलिस्टिक मिसाइलें भी हैं जो 300 किमी की दूरी तक किसी भी ठिकाने को टारगेट कर सकती हैं. ये मिसाइलें सतह से बहुत ऊपर उड़ती हैं और तेज़ी से हमला करती हैं, इस वजह से इनका पता लगाना मुश्किल है.
कौन हैं हूती विद्रोही?
हूती यमन के नॉर्थ-वेस्ट में रहने वाला एक अल्पसंख्यक ग्रुप है. हूतियों को यह नाम इस आंदोलन के संस्थापक हुसैन अल हौथी से मिला था. विद्रोही कई दशकों से यमन के शासक के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं और अरब स्प्रिंग की वजह से यह गुट ज्यादा ताकतवर हो गया, जो विद्रोह की वजह बना. साल 2014 में हूती विद्रोहियों ने यमन की राजधानी सना को घेर लिया और उस पर कब्जा कर लिया. हूतियों ने अपदस्थ राष्ट्रपति को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया. इसके बाद हूतियों ने यमन की 80 फीसदी आबादी को कब्जे में ले लिया.
यमन में हूती विद्रोहियों को सरकार से भी ज्यादा ताकतवर माना जाता है और विद्रोही गुट ही यमन की सरकार चलाते हैं. ये उत्तरी यमन में टैक्स तक वसूलते हैं और इनकी अपनी करंसी भी है. हूती विद्रोहियों में ज्यादातर शिया हैं जो सुन्नी बहुल यमन पर कब्जा जमाए हुए हैं.