जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पर्यटकों पर हुए आतंकवादी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनावचरम पर है. इस आतंकी हमले में 26 निर्दोष सैलानियों की मौत हो गई थी, जिसे लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने अंजाम दिया था. भारत ने इस नरसंहार के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कुछ कठोर कूटनीतिक कदम उठाए हैं, जिनमें सबसे बड़ा फैसला 1960 का सिंधु जल संधि को निलंबित करना है. साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने बार-बार दोहराया है कि पहलगाम में निर्दोष नागरिकों की हत्या में शामिल आतंकियों और उनके आकाओं, इस हमले के साजिशकर्ताओं को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी.
इसके बाद पाकिस्तान को भारत की संभावित जवाबी कार्रवाई का डर सता रहा है. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और वहां के अन्य नेता गीदड़भभकियां दे रहे हैं कि यदि भारत ने अटैक किया तो उसे खामियाजा भुगतना पड़ेगा. लेकिन आंकड़ों और पाकिस्तान के वर्तमान आर्थिक हालात को देखें तो वह युद्ध में भारत के सामने चार दिन से ज्यादा समय तक नहीं टिक सकता. पाकिस्तानी सेना गोला-बारूद की भारी कमी से जूझ रही है. यह कमी मुख्य रूप से पाकिस्तान के यूक्रेन और इजरायल के साथ हाल ही में किए गए हथियार सौदों के कारण है, जिससे उसका युद्ध भंडार खत्म हो गया है.
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पाकिस्तान के पास सिर्फ 96 घंटे तक का गोला-बारूद
सूत्रों ने बताया कि क्षेत्रीय संघर्ष की आशंकाओं के बीच, सेना को गोला-बारूद की आपूर्ति करने वाली पाकिस्तान ऑर्डिनेंस फैक्ट्री (POF) बढ़ती वैश्विक मांग और अपनी आउटडेटेड प्रोडक्शन फैसिलिटी के बीच सामंजस्य बिठाने के लिए संघर्ष कर रही है. कई पाकिस्तानी नेताओं ने दावा किया है कि पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत सैन्य कार्रवाई करेगा. उन्होंने कहा कि उनके सशस्त्र बल भारतीय आक्रमण या दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देंगे. हालांकि, तस्वीर इतनी भी अच्छी नहीं है. सूत्रों ने बताया कि घटती आपूर्ति के कारण पाकिस्तान का गोला-बारूद भंडार केवल 96 घंटे तक युद्ध झेलने में सक्षम है, जिससे उसकी सेना असुरक्षित हो गई है.
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आम तौर पर पाकिस्तान की सैन्य नीति भारतीय सेना की संख्यात्मक श्रेष्ठता का मुकाबला करने के लिए तेजी से लामबंदी पर केंद्रित है. भारतीय सैन्य कार्रवाई को विफल करने के लिए पाकिस्तानी सेना के पास अपने M109 हॉवित्जर के लिए 155 मिमी के गोले या BM-21 सिस्टम के लिए 122 मिमी के रॉकेट पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हैं. अप्रैल में एक्स पर कई पोस्ट में दावा किया गया था कि 155 मिमी के तोप के गोले यूक्रेन को भेज दिए गए थे, जिससे पाकिस्तान का गोला-बारूद भंडार गंभीर कमी का सामना कर रहा है. सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी रक्षा विभाग गोला-बारूद की महत्वपूर्ण कमी को लेकर बहुत चिंतित और घबराया हुआ है. 2 मई को स्पेशल कोर कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में यह मुद्दा उठाया गया था.
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पाकिस्तानी सेना को करनी पड़ रही राशन में कटौती
खुफिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए सूत्रों ने दावा किया कि पाकिस्तान ने संभावित भारतीय हमले की आशंका में भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट गोला-बारूद के डिपो का निर्माण किया है. पूर्व पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने सेना के समक्ष चुनौतियों को स्वीकार करते हुए एक बार कहा था कि लंबे समय तक संघर्ष की स्थिति में भारत से निपटने के लिए पाकिस्तान के पास गोला-बारूद और आर्थिक ताकत की कमी है. पाकिस्तान के सामने सबड़े बड़ी चुनौती उसकी डांवाडोल अर्थव्यवस्था है. वहां महंगाई चरम पर है, जीडीपी के मुकाबले कर्ज का पहाड़ है और विदेशी मुद्रा भंडार भी निचले स्तर पर है. हालात ये हैं कि पाकिस्तानी सेना को ईंधन की कमी के कारण राशन में कटौती करनी पड़ रही है और सैन्य अभ्यास स्थगित करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.