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    कैंप पर धावा और बंदूक की नोक पर उठा ले गए… अफ्रीका में झारखंड के 5 मजदूरों के अपहरण की पूरी कहानी

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    झारखंड में गिरिडीह जिले के बगोदर से पश्चिमी अफ्रीका के देश नाइजर गए पांच मजदूरों का अपहरण हो गया है. नाइजर के ही सरकार विरोधी समूह ने बंदूक की नोक पर इन मजदूरों का अपहरण किया है. ये मजदूर कल्पतरु कंस्ट्रक्शन के ट्रांसमिशन लाइन में काम करने नाइजर गए थे. इस खबर से बगोदर में मजदूरों के परिजन किसी अनहोनी की आशंका में जी रहे हैं. मजदूरों के मां बाप और बाल बच्चों औ पत्नियों का रो रोकर बुरा हाल है. उन्हें अब मजदूरों की सकुशल देश वापसी की उम्मीद विदेश मंत्रालय से ही बची है. 

    साल 2024 के जनवरी में दक्षिण अफ्रीका के नाइजर के ट्रांसमिशन लाइन में बगोदर के अपने साथी मजदूरों के साथ मुंडरो के भूनियाटांड के प्रवासी मजदूर बालगोविंद महतो काम करने गए थे. लेकिन उन्हें अपने चचेरे भाई की आकस्मकिम मृत्यु के कारण नाइजर से लौटना पड़ा. जब बाल गोविंद महतो नाइजर में थे, उसी समय 25 अप्रैल, 2024 को दूसरे कैम्प पर स्थानीय ​सरकार विरोधी समूह के लड़ाकों ने धावा बोला और पांच भारतीय मजदूरों को अपने साथ ले गए. घटना के तीन दिन बाद 28 अप्रैल की रात महतो अपने घर लौटे थे.

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    मजदूर बाल गोविंद महतो के चेहरे पर एक उदासी और चिंता का भाव देनेख को मिला. माथे पर परिवारिक जिम्मेदारी की चिंता और कुछ गुस्सा का भाव. उन्होंने कहा कि झारखंड में रोजगार नहीं मिलना एक मजबूरी है, विदेश में खटने की. उन्होंने अपने पांच साथियों के अपहरण की घटना को लेकर बताया कि यह उनके साथ भी हो सकता था. गनीमत रही कि वह दूसरे कैम्प में थे. जिस कैम्प में हमला हुआ वहां के अन्य साथियों ने दूसरे कैम्प में इसकी सूचना दी. महतो बताते हैं कि सरकार विरोधी समूह के लड़ाके बगोदर के उनके पांच साथियों को मोटरसाइकिल पर बैठाकर अगवा कर ले गए. 

    बाल मुकंद महतो के मुताबिक करीब सौ की संख्या में सरकार विरोधी लड़ाके मोटरसाइकिल से कैम्प में पहुंचे थे. वे बगोदर निवासी पांच मजदूरों को अपने साथ बंदूक के बल पर ले गए. इनमें दोंदलो के चंद्रिका महतो, फलजीत महतो, राजू कुमार, संजय महतो और मुंडरो के उत्तम कुमार शामिल हैं. चंद्रिका महतो के घर में उनकी पत्नी का रोकर बुरा हाल है. वह सरकार से अपने पति को घर की चौखट तक लाने की गुहार लगा रही हैं. चंद्रिका महतो की बेटी ललिता कुमारी (15) और दोनों बेटे योगेंद्र कुमार (16) और सचिन कुमार (12) भी अपने मां से कभी लिपट कर रोते हैं, तो कभी उसे चुप कराते हैं. 

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    दोंदलो गांव के फलजीत महतो के परिजन भी परेशान हैं. उनकी पत्नी रूपा देवी डरी सहमी हुई हैं. वह कहती हैं कि 25 अप्रैल को आखिरी बार फलजीत से बात हुई थी. उस समय तक सबकुछ ठीक था. लेकिन दूसरे दिन शाम को सूचना मिली कि बगोदर के पांच मजदूरों को आतंकियों ने अगवा कर लिया है, जिसमें मेरे पति भी शामिल थे. उनको कहां ले गए हैं, ये कोई बता नहीं रहा. मन व्यथित है. उन्होंने सरकार से अपने पति को सकुशल घर वापस लाने की गुहार लगाई है. इधर राजू महतो की पत्नी लक्ष्मी देवी गोद में अपनी दो साल की बेटी को लेकर बैठी थीं. उन्होंने कहा कि बाल बच्चों के भविष्य के लिए आदमी सुख चैन बेचकर बाहर कमाने जाता है, लेकिन कहीं भी सुरक्षा नहीं है. 

    लक्ष्मी ने कहा कि मेरे पति अफ्रीका कमाने गए थे, लेकिन पता चला कि वह लापता हो गए हैं. हमें काफी डर लग रहा है. पत्नी लक्ष्मी देवी ने सरकार से हाथ जोड़कर अपने पति को सकुशल घर भेजने की गुहार लगाई. वहीं घर में बुढी मां कमली देवी, पिता फागू महतो भी अपने बेटे राजू महतो के अगवा होने की सूचना से डरे हुए हैं. यही हाल दोंदलो के प्रवासी मजदूर संजय महतो और उत्तम महतो के परिजनों का भी है. संजय के तीन छोटे-छोटे बेटे हैं. मां-बाप कह रहे कि कैसे गुजर-बसर होगा यह सोचकर मन व्यथित रहता है. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से आग्रह किया है कि वे नाइजर में अगवा किए गए मजदूरों को छुड़ाने में मदद करें.

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    भाकपा माले के पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह ने कहा कि अपहृत प्रवासी मजदूरों की सकुशल वापसी के लिए भारत सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि अपहृत मजदूरों के परिजन काफी चिंतित हैं और उनका रो-रोकर बुरा हाल है. उन्होंने कहा कि बेहतर जिंदगी और रोजगार की तलाश में गिरिडीह जिला समेत आसपास के इलाकों से कई मजदूर रोजगार के लिए विदेश जाते हैं और वहां पर उनका शोषण होता है. ऐसी स्थिति में भारत सरकार को प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द मजदूरों की वापसी हो इसको लेकर भारत सरकार ठोस कदम उठाए.

    (सूरज सिंह के इनपुट्स के साथ)



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