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    मिट्टी में मिले टेरर कैंप्स, कई एयरबेस तबाह और अपनी शर्तों पर सीजफायर… PAK के साथ संघर्ष में क्या रहा भारत का हासिल?

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    आज देश के लोग ये भी जानना चाहते हैं कि भारत को इस छोटे से युद्ध में क्या हासिल हुआ. भारतीय सेना ने कई बार साफ शब्दों में कहा कि भारत युद्ध के पक्ष में नहीं है, ना ही भारतीय सेना की एयरस्ट्राइक किसी देश के खिलाफ थी. भारत ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकी सेंटर्स पर हमला किया था और ये हमला सटीक निशाने पर लगा था. इन हमलों में आतंकी और उनके आका मारे गए. भारतीय सेना का टारगेट आतंकी कैंप थे और पाकिस्तानी सेना भारत के हमलों को रोकने में पूरी तरह नाकाम हो गई.

    मिट्टी में मिले आतंकियों के 9 ठिकाने

    भारत ने आतंकियों के 9 ठिकानों पर हमला किया था जिसमें 4 पाकिस्तान में थे और 5 पीओके में. भारतीय सेना ने पाकिस्तान के बहावलपुर में मौजूद जैश-ए-मोहम्मद के हेडक्वार्टर को तबाह कर दिया. इस ठिकाने का नाम था ‘मरकज़ सुभान अल्लाह’. पाकिस्तान के मुरीदके में मौजूद लश्कर के आतंकी हेडक्वार्टर मरकज़ तैय्यबा को भी तहस-नहस कर दिया गया. सियालकोट में हिज्बुल मुजाहिद्दीन के सरजल और मेहमूना जोया आतंकी कैंप को भी बर्बाद कर दिया गया. 

    इसके अलावा पांच आतंकी ठिकाने Pok में थे, जिसमें मुजफ्फराबाद में लश्कर का सवाई नाला कैंप और जैश का सैयदना बिलाल कैंप तबाह कर दिया गया. कोटली में लश्कर का गुलपुर कैंप और अब्बास कैंप बर्बाद हो गया. इसके अलावा भिंबर में बरनाला आतंकी कैंप भी मिट्टी में मिला दिया गया.

    भारतीय मिसाइलों ने ध्वस्त किए कई एयरबेस
     
    इस तरह से देखा जाए तो भारत ने पाकिस्तान और पीओके में मौजूद जिन आतंकी ठिकानों को टारगेट किया, उनको पूरी तरह से तबाह कर दिया गया. भारतीय सेना का असली मिशन इस तरह से पूरा हो गया था लेकिन पाकिस्तान इन हमलों के बाद चुप नहीं बैठने वाला था. हालांकि भारतीय सेना भी उनके हमले के लिए पहले से तैयार थी. पाकिस्तान के ड्रोन अटैक के बदले भारतीय सेना ने उनके 11 सैन्य ठिकानों पर मिसाइलों से हमला किया. इसी हमले के बाद पाकिस्तान में खलबली मच गई. भारत ने पाकिस्तान के सबसे सुरक्षित समझे जाने वाले सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया था और इनमें एयरबेस भी थे.

    Pak Airbase

    नूरखान एयरबेस, भोलारी, सरगोधा, जैकबाबाद, रफीकी, मुरीद, सक्कर, सियालकोट, पसरूर, चुनियान और स्कार्दू के सैन्य ठिकानों पर हमले किए गए हैं. भारत के हमलों की कुछ सेटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं, जिसमें पाकिस्तान के सबसे संवेदनशील एयरबेस पर हुई तबाही दिख रही है.

    सैटेलाइट तस्वीरों में दिखे तबाही के निशान

    भारत ने पाकिस्तान के सबसे खास नूरखान एयरबेस पर हमला किया है, इसे चकलाला एयरबेस भी कहते हैं. सेटेलाइट तस्वीरों में यहां हुई तबाही साफ देखी जा सकती है. इन तस्वीरों में हमले से पहले और हमले के बाद की तबाही साफ दिख रही है. 7 मई को जब भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की थी, तब पाकिस्तानी सेना ने चकलाला एयरबेस से ही भारतीय वायुसेना पर हमले किए थे. 

    Pak Airbase

    दूसरा सैन्य ठिकाना था भोलारी. भोलारी भी पाकिस्तान का एक एयरबेस है, जहां भारत ने बड़े हमले किए. इन हमलों में पाकिस्तान को जो नुकसान हुआ है वो सेटेलाइट तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है. भारतीय सेना ने सरगोधा एयरबेस पर भी बड़े हमले किए. यहां पर भारत ने पाकिस्तानी एयर फोर्स की एयरफील्ड को नुकसान पहुंचाया ताकि पाकिस्तानी लड़ाकू विमान उड़ान न भर सकें. पाकिस्तानी एयरबेस जैकबाबाद को भी भारतीय हमलों में भारी नुकसान हुआ है. इस एयरबेस की इमारत लगभग पूरी तरह से ध्वस्त हो गई.

    युद्धविराम के लिए अमेरिका की शरण में गया पाकिस्तान

    इससे एक बात साफ है कि भारत ने पाकिस्तान पर जबरदस्त जवाबी हमला किया था और शायद इसीलिए पाकिस्तान भागकर अमेरिका के पास चला गया और भारत से बचाने के गुहार लगाई. भारत के हमलों ने पाकिस्तान का इतना बड़ा नुकसान किया, जिससे वो घबरा गया. पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमले नाकाम हो रहे थे और भारत उनके एयरबेस को निशाना बनाकर, बड़ी चोट दे रहा था इसीलिए पाकिस्तान ने युद्धविराम करवाने के लिए अमेरिका की शरण ली.

    जो लोग ये जानना चाहते हैं कि भारत ने इस युद्ध में क्या हासिल किया, वो सैटेलाइट तस्वीरों से समझ सकते हैं कि भारत के हमलों से पाकिस्तान बुरी तरह प्रभावित हुआ और इस छोटे से युद्ध में सीजफायर का क्रेडिट अमेरिका ले गया. अमेरिकी राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया पोस्ट से दुनिया को बताया कि भारत और पाकिस्तान युद्धविराम के लिए तैयार हो गए हैं. देश में बहुत सारे लोग इस बात से नाराज हैं कि अमेरिका का भारत की सुरक्षा से क्या लेना देना है. अमेरिका एक ऐसा देश था जिसने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा बल्कि उसने तो भारत-पाकिस्तान के युद्ध को हजारों साल पुराना विवाद बताकर किनारा कर लिया था. इस युद्ध ने दोस्ती और कूटनीति को लेकर भारत को 3 सबक सिखाए हैं.

    Pak Airbase

    भारत के लिए तीन सबक

    पहला सबक- ‘जो सबका दोस्त बनना चाहता है कोई उसका सच्चा दोस्त नहीं बन पाता’. मशहूर दार्शनिक अरस्तु ये बात कही थी. भारत के संबंध में आज ये बात कुछ-कुछ सही साबित हुई. अमेरिका ने हमेशा की तरह इस युद्ध में बीच का रास्ता अपनाया है. उसने भारत का पक्ष नहीं लिया बल्कि युद्धविराम की घोषणा करके व्यापार बढ़ाने की बात कही. वहीं तुर्किए, ईरान और चीन खुलकर पाकिस्तान के पक्ष में आकर खड़े हो गए, जबकि भारत के साथ इजरायल और रूस जैसे देश खड़े थे. 

    दूसरा सबक- भारत को अब पाकिस्तान के दोस्तों के बारे में पता चल गया है. भारत को पता चल गया है कि युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान की तरफ से कौन-कौन से देश भारत से लड़ने आ सकते हैं. इस युद्ध में तुर्किए, चीन और ईरान ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन और कहीं ना कहीं IMF के जरिए कुछ और देश आर्थिक मदद देने को राजी हुए. तुर्किए ने अपने ड्रोन से पाकिस्तान की मदद की और झूठ भी बोलता रहा. ईरान ने भी पहलगाम हमले पर पाकिस्तान को कुछ नहीं कहा और मध्यस्थता की बात कहने लगा. 

    तीसरा सबक- भारत ने इस युद्ध से एक और बात सीखी कि नए जमाने के युद्ध में मजबूत एयर डिफेंस की जरूरत क्यों हैं और Swarm Drone से निपटने के लिए और ज्यादा तैयारी करनी होगी. पाकिस्तान की एक मिसाइल दिल्ली से करीब 250 किलोमीटर दूर हरियाणा के सिरसा में मार गिराई गई. इससे एक बात पता चल गई कि कभी अपने दुश्मन को कमजोर नहीं समझना है और आने वाले युद्ध की तैयारी करते रहना है.

    Pak Airbase

    कूटनीति में पाकिस्तान का कद और भी घट गया

    युद्धविराम में अमेरिका के दखल को लेकर आज विपक्ष के नेताओं ने भी सरकार को घेरा. सीजफायर के बाद पाकिस्तान की राजनीति नए रास्ते पर जा रही है. पाकिस्तान की सरकार पूरी तरह सेना के सामने सरेंडर कर चुकी है और असीम मुनीर की जय-जयकार कर रही है. ऐसा करना शहबाज शरीफ की मजबूरी है. दरअसल भारत के खिलाफ ये साजिश जिहादी जनरल असीम मुनीर द्वारा ही रची गई थी. शहबाज सरकार और पूरा शरीफ परिवार कठपुतली बना रहा. शहबाज शरीफ और नवाज शरीफ को अधिकतर मामलों से दूर रखा गया. वो बस चेहरे की तरह थे और सारे फैसले असीम मुनीर लेता रहा. अब सीजफायर के बाद ये चर्चा हो रही है कि क्या पाकिस्तान में शहबाज शरीफ की कुर्सी जाने वाली है?

    कूटनीति में पाकिस्तान का कद और भी घट गया है और शहबाज शरीफ की जगह बिलावल भुट्टो सेना की पसंद बन सकते हैं. पाकिस्तानी सेना को बिलावल भुट्टो का भारत विरोधी रुख पसंद आता है. बिलावल कश्मीर के मुद्दे पर भारत के खिलाफ प्रोपेगैंडा फैलाते हैं और ये बात पाकिस्तान की सेना को पसंद आती है.



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