More
    HomeHomeसोशल मीड‍िया पर बढ़ा सुसाइड से पहले वीडियो का डरावना ट्रेंड, एक्सपर्ट...

    सोशल मीड‍िया पर बढ़ा सुसाइड से पहले वीडियो का डरावना ट्रेंड, एक्सपर्ट बोले- ये रुकना चाहिए!

    Published on

    spot_img


    आजकल सोशल मीडिया पर एक डरावना ट्रेंड देखने को मिल रहा है. लोग आत्महत्या से पहले वीडियो बनाकर उसे ऑनलाइन पोस्ट कर रहे हैं. मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट मानते हैं कि ये मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है. हाल ही में मध्य प्रदेश और बेंगलुरु जैसे मामलों में ऐसे वीडियो सामने आए जहां लोगों ने अपनी आखिरी बातें रिकॉर्ड कीं और फिर जान दे दी. क्या सोशल मीडिया इस बढ़ते चलन के लिए जिम्मेदार है? क्या इसे कड़े कदम उठाने चाहिए? और क्या यह प्लेटफॉर्म और डिप्रेसिव होता जा रहा है? आइए, इस पर मेंटल हेल्थ विशेषज्ञों की राय जानते हैं.  

    बढ़ता खतरा: वीडियो और आत्महत्या का कनेक्शन

    हाल के दिनों में कई घटनाओं ने चिंता बढ़ा दी है. मध्य प्रदेश के खंडवा में एक शख्स ने अपनी पत्नी और अन्य पर आरोप लगाते हुए वीडियो बनाया और फिर जहरीला पदार्थ खाकर जान दे दी. इसी तरह बेंगलुरु में एक AI इंजीनियर अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए वीडियो और सुसाइड नोट छोड़ा. इन वीडियोज को सोशल मीडिया पर वायरल होने से पहले ही कई बार परिवार या दोस्तों तक पहुंचाया जाता है लेकिन कई बार यह प्लेटफॉर्म पर भी लाइव हो जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह ट्रेंड नकल (कॉपीकैट) व्यवहार को बढ़ावा दे रहा है, खासकर युवाओं में.  

    WHO, इंडियन प्रेस काउंसिल और साइकोलॉजिस्ट्स कहते हैं कि ग्लॉरिफिकेशन, तरीके की चर्चा, या वीडियो क्लिप का प्रसारण Werther Effect उत्पन्न करता हैं, यानी Copycat आत्महत्या की घटनाओं को बढ़ावा मिलता है. 
     

    सोशल मीडिया की मौजूदा नीतियां

    सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक (अब मेटा), यूट्यूब और इंस्टाग्राम ने आत्महत्या से जुड़े कंटेंट को रोकने के लिए कुछ कदम उठाए हैं. मेटा ने 2018 से AI टूल्स का इस्तेमाल शुरू किया जो संदिग्ध पोस्ट या वीडियो की पहचान कर लोकल अथॉरिटीज को अलर्ट भेजते हैं. यूट्यूब भी आत्महत्या को बढ़ावा देने वाले कंटेंट पर सख्ती बरतता है और ऐसे वीडियो को हटाने या सीमित करने की नीति अपनाता है. इन कदमों के बावजूद, वीडियो बनाने और शेयर करने की घटनाएं थम नहीं रही हैं.  

    मेंटल हेल्थ विशेषज्ञों की राय

    मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट डॉ सत्यकांत त्रिवेदी का मानना है कि सोशल मीडिया इस समस्या को और गंभीर बना रहा है. सोशल मीडिया पर वायरल होने की चाहत और मानसिक दबाव लोगों को ऐसी कदम उठाने के लिए प्रेरित कर रहा है. ये वीडियो दूसरों के लिए ट्रिगर पॉइंट बन सकते हैं, खासकर उनमें जो पहले से डिप्रेशन से जूझ रहे हैं. उनका सुझाव है कि प्लेटफॉर्म्स को मानसिक स्वास्थ्य सपोर्ट लिंक तुरंत दिखाने चाहिए और यूजर्स को काउंसलिंग के लिए प्रेरित करना चाहिए.  

    मनोवैज्ञानिक डॉ. विध‍ि एम पिलन‍िया कहती हैं कि सोशल मीडिया पर नकारात्मकता और ट्रोलिंग का माहौल डिप्रेशन को बढ़ाता है. आत्महत्या से पहले वीडियो बनाना एक तरह का कॉल फॉर हेल्प भी हो सकता है लेकिन इसे अनदेखा करने से हालात बिगड़ते हैं.  

    क्या होने चाहिए नए कदम?

    AI की सख्ती बढ़ाएं: मौजूदा AI टूल्स को और सटीक बनाया जाए ताकि आत्महत्या से जुड़े संकेत जल्द पकड़े जाएं.  
    तुरंत अलर्ट सिस्टम: जैसे ही कोई संदिग्ध पोस्ट या वीडियो मिले, यूजर को तुरंत हेल्पलाइन नंबर (जैसे भारत में 1800-233-3330) दिखे.  
    कंटेंट मॉनिटरिंग: लाइव स्ट्रीमिंग पर नजर रखने के लिए मानव मॉडरेटर्स की टीम बढ़ाई जाए.  

    जागरूकता कैंपेन: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को मेंटल हेल्थ जागरूकता के लिए कैंपेन चलाने चाहिए ताकि लोग अपनी भावनाओं को शेयर करने का सही तरीका सीखें.  

    यूथ सेफ्टी टूल्स: खास तौर पर किशोरों के लिए पैरेंटल कंट्रोल और सेफ्टी फीचर्स मजबूत किए जाएं.

    क्या सोशल मीडिया और डिप्रेसिव हो रहा है?

    हालिया रिसर्च बताती है कि सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल डिप्रेशन और चिंता को बढ़ा रहा है. अमेरिकी अध्ययन के मुताबिक, युवाओं में स्क्रीन टाइम बढ़ने से आत्महत्या की प्रवृत्ति में उछाल देखा गया है. भारत में भी हाल के सालों में सोशल मीडिया की लत और ट्रोलिंग के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर प्लेटफॉर्म्स जिम्मेदारी नहीं लेंगे, तो यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है.  

    आत्महत्या से पहले वीडियो बनाने का चलन चिंता का सबब है. सोशल मीडिया को सिर्फ दोष देना काफी नहीं, बल्कि इसे अपनी नीतियों को मजबूत करना होगा. मेंटल हेल्थ सपोर्ट और जागरूकता के साथ ही इस ट्रेंड को रोकने में मदद मिल सकती है. अगर आप या आपके किसी करीबी को मेंटल हेल्थ की समस्या है तो तुरंत 1800-233-3330 पर संपर्क करें.

    —- समाप्त —-



    Source link

    Latest articles

    Stockholm Fest to Honor Alexander Skarsgård, Benny Safdie

    Alexander Skarsgård and Benny Safdie will be honored at this year’s Stockholm Film...

    डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें? ED ने आम लोगों को बताया, कैसे पता करें समन असली है या नकली

    प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने आम जनता को फर्जी समन को लेकर सतर्क...

    7 Study Tips for Auditory Learners

    Study Tips for Auditory Learners Source link

    More like this

    Stockholm Fest to Honor Alexander Skarsgård, Benny Safdie

    Alexander Skarsgård and Benny Safdie will be honored at this year’s Stockholm Film...

    डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें? ED ने आम लोगों को बताया, कैसे पता करें समन असली है या नकली

    प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने आम जनता को फर्जी समन को लेकर सतर्क...