More
    HomeHomeआसिम मुनीर को मुशर्रफ से सबक लेना चाहिए, कारगिल युद्ध के बाद...

    आसिम मुनीर को मुशर्रफ से सबक लेना चाहिए, कारगिल युद्ध के बाद क्या हाल हुआ था?

    Published on

    spot_img


    मंसूबा जो भी हो, कोई भी ख्वाब देखने से पहले अंजाम का अंदाजा जरूर लगा लेना चाहिये. और, ये बात पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर के लिए फिलहाल सबसे ज्यादा जरूरी लगती है. 

    आसिम मुनीर चाहें तो फौज में अपने सीनियर रह चुके परवेज मुशर्रफ की जिंदगी से भी सबक ले सकते हैं. ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी. थोड़ा गूगल कर लें, या करीबी साथियों से कुछ देर बात कर लें – और तब भी यकीन न आये तो पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से पूछ सकते हैं. अभी अभी मीटिंग में तो भेंट हुई ही है. 

    परवेज मुशर्रफ भी बाकी पाकिस्तानी जनरलों की ही तरह तख्तापलट करके, पहले पाकिस्तान के चीफ एक्जीक्यूटिव और फिर एक चुनाव के बाद जिसे जनमत संग्रह कहा गया, राष्ट्रपति यानी पाकिस्तान के सर्वेसर्वा बन गये थे. 

    ये ठीक है कि कारगिल की हार के बावजूद परवेश मुशर्रफ ने पाकिस्तान की पूरी कमान अपने हाथ में कर ली थी, लेकिन कब तक? पाकिस्तान ने परवेज मुशर्रफ का क्या हाल किया – और जिंदगी के आखिरी दिन किस तरह गुमनामी में बीते, आसिम मुनीर एक बार याद कर लें तो अपने साथ साथ पाकिस्तानी अवाम का भी भला ही करेंगे. 

    कारगिल और मुशर्रफ का अंजाम मिसाल है

    परवेज मुशर्रफ ने ही पाकिस्तानी फौज को घुसपैठ करने का आदेश दिया था, जिसके कारण भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध हुआ था. ध्यान देने वाली बात ये रही कि न तो तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को और न ही उनकी कैबिनेट के किसी सदस्य को ही तैयारियों की कोई भनक लग सकी थी. बाद में तो नवाज शरीफ ये भी बयान आया कि कारगिल के बारे में तो उनको पता ही नहीं था. 

    हो सकता है आसिम मुनीर भी परवेज मुशर्रफ जैसे ही सपने देख रहे हों. अभी अगर तख्तापलट का इरादा न सही, संभव है कारगिल जैसे जंग में खुद को आजमाने की ख्वाहिश रखते हों. 

    लेकिन, आगे कदम बढ़ाने से पहले इतिहास को एक बार देख लेना चाहिये. और सिर्फ कारगिल ही क्यों, 1971 की जंग की तस्वीरें तो वो शुरू से ही देखते आये होंगे. 1965 भी नहीं भूले होंगे, मानकर चलना चाहिये. 

    अगर परवेज मुशर्रफ ने 1965 और 1971 का बदला लेने के लिए 1999 में कारगिल जंग की तैयारी की थी, तो संभव है आसिम मुनीर उनसे चार कदम आगे बढ़कर कुछ करने की सोच रहे हों. 

    कारगिल के बाद 2001 का संसद हमला भी परवेज मुशर्रफ के ही पाकिस्तान के आर्मी चीफ रहते हुआ था. 

    आसिम मुनीर की तुलना अगर परवेज मुशर्रफ या पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुखों कमर जावेद बाजवा, राहील शरीफ और अशफाक परवेज कयानी से करें तो मुकाबले में वो उन्नीस ही नजर आते हैं. आसिम मुनीर के खिलाफ 

    परवेज मुशर्रफ ने खुद माना है कि पाकिस्तनी सेना में रहने के दौरान वो बात बात पर लड़ जाने वाले, गैर जिम्मेदार, अनुशासनहीन और लापरवाह फौजी हुआ करते थे. और, इस लिहाज से देखें तो आसिम मुनीर के आर्मी चीफ होते हुए सेना के भीतर भी असंतोष है, और अवाम का गुस्सा भी देखा जा है. इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद जिस तरह से उनके समर्थकों ने सेना मुख्यालय पर धावा बोल दिया था, और हाल फिलहाल पाकिस्तान के लोग जिस तरह रील बनाकर पाकिस्तानी हुक्मरानों का मजाक उड़ा रहे हैं, निशाने पर तो आसिम मुनीर ही हैं. 

    मुशर्रफ के साथ पाकिस्तान ने जो सलूक किया

    पाकिस्तान के लिए कारगिल जंग कर डालने वाले परवेज मुशर्रफ को वहीं की  विशेष अदालत ने देशद्रोह का दोषी माना, और सजा-ए-मौत का फरमान भी जारी कर दिया था. 

    2013 के आम चुनाव के लिए जब परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान लौटे थे तो चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया – और 2017 में परवेज मुशर्रफ को भगोड़ा घोषित कर दिया गया.

    परवेज मुशर्रफ दुहाई देते रहे, मैंने तो मुल्क की बहुत सेवा की, जंग लड़े… और दस साल तक देश की सेवा की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. 

    एक जनरल की गुमनामी में मौत

    जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर पहुंचते पहुंचते ऐसे हालात बन गये कि परवेज मुशर्रफ को अपना मुल्क छोड़कर लंदन में शरण लेनी पड़ी. 79 साल की उम्र में परवेज मुशर्रफ ने लंबी बीमारी के बाद दुबई के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली. वो एमीलॉयडोसिस बीमारी के शिकार हो गये थे, जिसमें इंसान के शरीर के अंग काम करना ही बंद कर देते हैं.

    जुल्फिकार अली भुट्टो से लेकर जनरल जिया उल हक तक, यहां तक की बेनजीर भुट्टो की भी हिंसक मौत ही हुई, लेकिन परवेज मुशर्रफ की तरह गुमनामी में तो कतई नहीं. पहलगाम आतंकी हमले के बाद जो कुछ चल रहा है, उसके आर्किटेक्ट तो आसिम मुनीर ही हैं – अब तो आसिम मुनीर को ही तय करना है कि आगे की जिंदगी वो कैसे गुजारना चाहते हैं.



    Source link

    Latest articles

    Russian Woman, Daughters Found In Karnataka’s Cave

    A 40-year-old Russian woman and her two young daughters were found living in...

    What’s the Appeal of Soap Operas? Let These Fans Explain

    Soap operas’ detractors usually cite the same critiques of the genre, calling out...

    होर्मुज टेंशन के बीच भारत ने उठाया था कदम, अब 11 माह के हाई पर रूसी तेल इंपोर्ट

    केप्लर के तेल जहाज की निगरानी पर बेस्ड आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने...

    India is still ‘Sare Jahan Se Accha’, says Shubhanshu Shukla in final message from space | India News – Times of India

    Muhammad Iqbal’s words “Sare Jahan Se Accha” — better than the...

    More like this

    Russian Woman, Daughters Found In Karnataka’s Cave

    A 40-year-old Russian woman and her two young daughters were found living in...

    What’s the Appeal of Soap Operas? Let These Fans Explain

    Soap operas’ detractors usually cite the same critiques of the genre, calling out...

    होर्मुज टेंशन के बीच भारत ने उठाया था कदम, अब 11 माह के हाई पर रूसी तेल इंपोर्ट

    केप्लर के तेल जहाज की निगरानी पर बेस्ड आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने...