उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से छांगुर बाबा की गिरफ्तारी के बाद देश में अवैध धर्मांतरण की साजिशों की कई परतें उजागर हो रही हैं. बलरामपुर के बाद आगरा में सामने आए धर्मांतरण के खेल ने हैरान कर दिया है. आगरा से शुरू हुई जांच अब कोलकाता, जम्मू-कश्मीर, गोवा, राजस्थान, दिल्ली और उत्तराखंड तक पहुंच चुकी है. वहां पुलिस ने 6 राज्यों से कुल 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है.
पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि यह गिरोह बब्बर खालसा इंटरनेशनल और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों से प्रेरित था. आईएसआईएस के मॉड्यूल पर लड़कियों का ब्रेनवॉश करके उनका धर्मांतरण करा रहा था. पुलिस के मुताबिक इस रैकेट का मकसद केवल धर्म बदलवाना नहीं था, बल्कि इसके बाद उन्हें कट्टरपंथ की ओर धकेलकर देश की आंतरिक सुरक्षा को कमजोर करना भी शामिल था.
एके-47 के साथ लगी फोटो देखकर क्यों चौंके परिजन?
धर्मांतरण की यह कहानी मार्च 2025 में आगरा से दो बहनों के लापता होने से शुरू होती है. जब पुलिस ने सोशल मीडिया के जरिए बड़ी बहन का पता लगाया तो उसके प्रोफाइल पर एके-47 के साथ लगी फोटो देखकर सभी चौंक गए. यही वह मोड़ था जहां से पुलिस को इस पूरे नेटवर्क का संदेह हुआ. जांच में सामने आया कि दोनों बहनों को कोलकाता की मुस्लिम बहुल बस्ती में छिपाकर रखा गया था.
उनके नाम बदल दिए गए थे. निकाह की तैयारी चल रही थी. इसके बाद में खुलासा हुआ कि बड़ी बहन की एक सहेली ने, जो जम्मू-कश्मीर के उधमपुर से थी, उसे इस विचारधारा की ओर प्रेरित किया था. दोनों बहनों को कोलकाता से वापस लाने में यूपी पुलिस को तीन महीने से ज्यादा का वक्त लग गया.
आखिर नाबालिग लड़कियों को क्यों करते थे टारगेट?
इस मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों में आगरा से रहमान कुरैशी, मुजफ्फरनगर से अबू तालिब, कोलकाता से अली हसन और ओसामा, देहरादून से अब्दुल रहमान, जयपुर से मोहम्मद अली और जुनैद कुरैशी, दिल्ली से मुस्तफा और गोवा से आयशा शामिल हैं. पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि यह गिरोह सिर्फ नाबालिग लड़कियों को टारगेट करता था, ताकि उन्हें भावनात्मक रूप से तोड़ा जा सके.
लव जिहाद के जरिए उनका धर्मांतरण कराया जा सके. इसके बाद उन्हें धार्मिक कट्टरता की ट्रेनिंग दी जाती थी. धर्मांतरण कराने और नेटवर्क चलाने के लिए इस गिरोह को विदेशों से भारी मात्रा में फंडिंग मिल रही थी. पुलिस के अनुसार, इस फंडिंग में यूएई, कनाडा, लंदन और अमेरिका जैसे देशों का नाम सामने आया है. पैसा हवाला या डिजिटल माध्यम से भारत लाया जाता था.
दाऊद के रिश्तेदार के होटल में ठहरता था छांगुर बाबा
इसके बाद अलग-अलग राज्यों में सक्रिय मॉड्यूल को ट्रांसफर किया जाता था. आगरा पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार के अनुसार इस फंडिंग नेटवर्क को ट्रेस करने के लिए साइबर सेल और आर्थिक अपराध शाखा की मदद ली जा रही है. छांगुर बाबा से जुड़े नेटवर्क का विस्तार भी इसी दिशा में जाता दिख रहा है. लखनऊ के जिस होटल में छांगुर रुकता था, उसका मालिक दाऊद इब्राहिम के करीबी रिश्तेदार के रूप में सामने आया है.
हालांकि, होटल प्रबंधन का कहना है कि उन्हें छांगुर की गतिविधियों की जानकारी नहीं थी, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां अब इस एंगल से भी जांच कर रही हैं. धर्मांतरण से जुड़े इस पूरे रैकेट के तार सरहद पार तक फैले हैं और इसमें पाकिस्तान की आईएसआई की संलिप्तता की भी पुष्टि हुई है. भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने इस मामले को उच्च प्राथमिकता पर रखते हुए जांच का दायरा और तेज कर दिया है.
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