महाराष्ट्र सरकार ने सांगली जिले के इस्लामपुर का नाम बदलकर ‘ईश्वरपुर’ कर दिया है. महायुति सरकार के इस फैसले पर प्रदेश की राजनीति में घमासान तेज हो गया है. एक तरफ सत्ता पक्ष इसे ‘हिंदुत्व की जीत’ बता रहा है तो दूसरी ओर विपक्ष सरकार पर विकास से ध्यान भटकाने का आरोप लगा रहा है.
‘इस्लामपुर कोई इस्लामाबाद या पाकिस्तान नहीं’
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और बीजेपी विधायक नितेश राणे ने सरकार के फैसले का बचाव किया और कहा, लोकल लोगों की मांग थी इसलिए नाम बदला गया है. हिंदू संगठनों ने पहले मोर्चा निकाला था. ये हमारी हिंदुत्ववादी सरकार है और हिंदू लोगों की बात सरकार ने मानी है. हमारा देश भारत है जहां हिंदू रहते हैं, यहां इस्लामपुर नाम कैसे हो सकता है? ये कोई इस्लामाबाद और पाकिस्तान नहीं है. हिंदू राष्ट्र में हिंदू नाम ही होने चाहिए.
‘नाम बदलो लेकिन शहर की हालत भी तो सुधारे’
कांग्रेस विधायक असलम शेख ने सरकार की आलोचना की और कहा, नाम बदलना है तो बदलिए लेकिन शहर में कुछ विकास तो करिए. शहर में सड़क और पानी की भारी समस्या है लेकिन उस पर कोई ध्यान नहीं देता. सिर्फ लोगों को मूर्ख बनाते हैं नाम बदलकर.
‘नाम के साथ सरकार की नीयत भी बदले’
उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने तंज कसा और कहा, नाम बदलना तो ठीक है लेकिन सरकार को अपना काम भी बदलना चाहिए. नाम बदलकर अच्छा किया, लेकिन गुंडागर्दी करने वाले लोग सरकार के पास घूमते रहते हैं, उनको भी बदलना चाहिए. कुछ अच्छे लोगों को सरकार में लेना चाहिए.
‘हम अपने अतीत को बहाल कर रहे हैं’
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने नाम बदलने के फैसले को ऐतिहासिक सुधार करार दिया. उन्होंने कहा, ऐसे बहुत सारे स्थान पहले भी बदले गए हैं. हमारे ऐतिहासिक स्थानों के नाम मिटा दिए गए थे. अब उन्हें वही नाम मिल रहे हैं जो पहले थे. ये अच्छा काम है, हम अपने अतीत का पुनर्स्थापन कर रहे हैं.
‘जनता नाम नहीं, काम चाहती है’
एनसीपी (शरद पवार गुट) के वरिष्ठ विधायक जयंत पाटिल ने कहा, प्रशासन को ऊपर से ऑर्डर आया होगा नाम बदलने का. लेकिन नाम बदलने से क्या होगा? शहर में समस्याएं जस की तस हैं. जनता अब सिर्फ नाम बदलने से खुश नहीं होगी.
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