यमन (Yemen) की जेल में बंद मौत की सजा झेल रहीं भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को फांसी से बचाने के लिए दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में याचिकाकर्ता ‘सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल’ नाम की संस्था ने कोर्ट से इजाज़त मांगी कि उन्हें इस मामले में मृतक के घरवालों से बातचीत करने के लिए यमन जाने की इजाज़त दी जाए.
वकील ने कोर्ट को बताया कि फांसी की सज़ा पर रोक लग गई है. हम सरकार के आभारी हैं लेकिन हमें यमन जाने की ज़रूरत है, जिससे हम मृतक के घरवालों से बात कर सकें.
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सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कोर्ट में कहा कि हम नहीं चाहते हैं कि कुछ ऐसा न हो जिसका ग़लत नतीजा निकले. हम चाहते हैं कि यह महिला सकुशल वापस आ जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप केंद्र सरकार को ज्ञापन दीजिए. सरकार अपने हिसाब से इस पर फैसला लेगी, हम इस पर कुछ नहीं कह सकते हैं.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सरकार के पास ज्ञापन देने की इजाज़त देते हुए अगली सुनवाई की तारीख 14 अगस्त को तय की है.
मामले पर भारत सरकार का क्या रुख?
भारत ने गुरुवार को कहा कि यमन में एक यमनी नागरिक की हत्या के सिलसिले में मौत की सज़ा का सामना कर रही केरल की 36 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया का मामला संवेदनशील है और सरकार इस मुद्दे पर मित्र देशों के संपर्क में है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सरकार ने प्रिया के परिवार को कानूनी सहायता प्रदान की है और नियमित रूप से कांसुलर मुलाक़ातों की व्यवस्था की है.
उन्होंने ने कहा, “यह एक संवेदनशील मामला है और भारत सरकार इस मामले में हर मुमकिन सहायता की कोशिश कर रही है. हमने कानूनी सहायता प्रदान की है और परिवार की सहायता के लिए एक वकील नियुक्त किया है. हमने नियमित रूप से कांसुलर मुलाक़ातों की भी व्यवस्था की है और इस मुद्दे को सुलझाने के लिए स्थानीय अधिकारियों और परिवार के सदस्यों के साथ लगातार संपर्क में हैं.”
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