More
    HomeHomeचंदन मिश्रा हत्याकांड: शूटर्स की हुई पहचान लेकिन अब तक पुलिस खाली...

    चंदन मिश्रा हत्याकांड: शूटर्स की हुई पहचान लेकिन अब तक पुलिस खाली हाथ, तौसीफ बादशाह पर हुआ नया खुलासा

    Published on

    spot_img


    Chandan Mishra Murder Case: बिहार को दहला देने वाले चंदन मिश्रा हत्याकांड में अब तक की तफ्तीश के दौरान भले ही पुलिस के हाथ कोई शूटर नहीं लगा है, लेकिन पुलिस को कई अहम सुराग हाथ लगे हैं, जिनके आधार पर शूटआउट में शामिल पांच बदमाशों में से चार की पहचान कर ली गई है. एसटीएफ और पटना पुलिस की संयुक्त टीमें लगातार बिहार के कई जिलों में छापेमारी कर रही हैं, ताकि इस हत्याकांड में शामिल सभी आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जा सके.

    सूत्रों के मुताबिक, पुलिस ने इस शूटआउट में शामिल कुल छह अपराधियों में से चार शूटरों की पहचान कर ली है. तौसीफ बादशाह के अलावा जिन तीन अन्य शूटरों की पहचान हुई है, उनमें शेरू सिंह का करीबी मनु, बलवंत और सूरजभान शामिल हैं. इसके अलावा पुलिस पांचवें और छठे अपराधी की पहचान में भी जुटी हुई है, जिनमें से एक बाइक सवार था.

    जांच में यह भी सामने आया है कि समनपुरा इलाके में दो लोगों ने शूटर्स को मदद पहुंचाई थी, जबकि बोरिंग रोड से हथियार सप्लाई करने वाले व्यक्ति की भी पहचान कर ली गई है. फिलहाल पटना, आरा और बक्सर में एसटीएफ और स्थानीय पुलिस की टीमें आरोपियों की तलाश में लगातार छापेमारी कर रही हैं.

    इस दौरान सूत्रों से पता चला है कि तौसीफ बादशाह का पारस अस्पताल में पहले से आना जाना रहा है. उसकी कुछ रील्स और सोशल मीडिया पोस्ट में भी उसे पारस अस्पताल के बाहर देखा गया है. कुछ लोगों का कहना है कि उसे खुद को बादशाह कहलाना पसंद है. वो एक डॉन बनने की चाहत रखता है. लेकिन सच क्या है, ये तो पुलिस जांच में ही पता चलेगा. 

    दरअसल, पटना के उस अस्पताल के अंदर जो कुछ हुआ, उसे देखकर हर कोई यही कह रहा है कि ऐसा तो फिल्मों में होता है. हकीकत ये है कि पटना के एक अस्पताल में जो हुआ, वही बिहार की असली सच्चाई है. 13 करोड़ की आबादी वाले बिहार के लोगों की हिफाजत की जिम्मेदारी कुल 1 लाख 10 हजार पुलिसवालों पर है. पर जब खुद पुलिस सर्दी गर्मी बरसात यानि मौसम और मौसम के मूड पर अपनी सारी जिम्मेदारी डाल दे तो फिर बेखौफ, खुलेआम, हाथों में तमंचा लिए कातिल आपको लहराते क्यों नहीं दिखेंगे. 

    बिहार के एक एडीजी यानि एडिशन डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस कुंदन कृष्णन भी कमाल करते हैं. उनकी मानें तो अप्रैल, मई, जून यानि जब तक बरसात नहीं होती है तब तक मर्डर ज्यादा होते हैं. पर एक बार जैसे ही बरसात शुरु हो जाती है, मर्डर कम होने लगते हैं क्योंकि किसान व्यस्त हो जाते हैं.

    अब आप ही बताइए बारिश और सूखे के हिसाब से मर्डर की गिनती गिनने वाली बिन मौसम बरसात जैसी इस बिहार पुलिस के बारे में क्या ही कहा जाए. हालांकि एडीजी साहब के दावे के हिसाब से इस वक्त बिहार में मर्डर कम होना चाहिए क्योंकि अप्रैल मई जून तो बीत चुका है. जुलाई के साथ बरसात भी आ चुकी है. तो क्या चंदन के पांचों कातिलों को बरसात की जानकारी नहीं थी?

    पटना के राजा बाजार में मौजूद है शहर का एक नामी प्राइवेट हॉस्पिटल. पारस हॉस्पिटल. 17 जुलाई गुरुवार की सुबह सीसीटीवी के इस कैमरे में सुबह के 7 बजकर 25 मिनट हुए थे. अस्पताल की दूसरी मंजिल पर मौजूद है प्राइवेट वॉर्ड. सुबह सुबह का वक्त था. तभी प्राइवेट वॉर्ड में पांच लड़के सामने से आते दिखाई देते हैं. उनमें से सबसे आगे चल रहे इस लड़के को छोड़कर बाकी चारों ने कैप पहन रखी है. किसी ने भी चेहरा छुपाने तक की कोशिश नहीं की है. और पांचों चल ऐसे रहे हैं या यूं कहें कि इनकी चाल ऐसी है जैसे इन्हें कोई जल्दी ही नहीं है.

    आगे चल रहे शख्स का हाथ अपनी शर्ट के नीचे कमर में है. चलते चलते अचानक उसे रूम नंबर 209 दिखाई देता है. अब कमर से हाथ बाहर निकल चुका था, पिस्टल के साथ. आगे वाले को देखकर अब पीछे के चारो लड़के भी अपनी अपनी जेब और कमर से पिस्टल बाहर निकाल चुके थे. दरवाजा खोलने से पहले दरवाजे में लगे ग्लास से आगे वाला शख्स अंदर देखता है. और उसी के साथ दरवाजा खोल देता है. 

    अब एक एक कर पांचों रूम नंबर 209 में दाखिल हो चुके थे. दो शूटर शायद दरवाजे से ही गोलियां दाग रहा था. बाहर कॉरिडोर में अब भी सन्नाटा पसरा है. अगले 10 सेकंड तक अब पांचों रूम नंबर 209 के अंदर थे. 10 सेकंड बाद अब एक एक कर चार शूटर कमरे से बाहर निकलते हैं. पर इस बार चारों लगभग दौड़ते हुए सामने की तरफ भागते हैं और फिर बाईं तरफ मुड़ जाते हैं.

    शायद रूम नबंर 209 में चली गोली की आवाज बराबर के कमरे में मौजूद लोगों ने सुन ली थी. क्योंकि चारों लड़कों के भागने के बाद अचानक 209 नंबर रूम के बराबर का दरवाजा खुलता है और एक शख्स बाहर झांकता दिखाई देता है. लगभग ठीक उसी वक्त अब पांचवा शूटर कमरे से बाहर निकलता है. इसके बाकी चार साथी सिर्फ 10 सेकंड में कमरे से बाहर निकल कर भाग चुके थे. 

    लेकिन कमरे के अंदर सबसे पहले जाने वाला शूटर कमरे में सबसे ज्यादा देर तक रुकता है. पूरे 36 सेकंड. कमाल ये कि सबसे आखिर में निकलने के बावजूद उसे भागने की शायद कोई जल्दी नहीं थी. बड़े इत्मिनान से पहले वॉक करता हुआ जाता है और फिर दौड़ता हुआ फ्रेम के बाहर निकल जाता है. सीसीटीवी कैमरे की फिल्म यहीं खत्म हो जाती है और आगे की कहानी शुरु होती है.

    कौन था चंदन मिश्रा?
    वो बक्सर का एक नामी डॉन. सिर्फ कत्ल के दर्जन से ज्यादा मुकदमे इसके सिर थे. उसके सिर पर दर्जनभर से ज्यादा हत्या के मामले दर्ज हैं. वो शेरू चंदन गैंग चलाते थे. अब जब सिर पर इतने मुकदमे होंगे तो वो जेल में ही होगा. तो चंदन मिश्रा भी जेल में ही था. कत्ल के एक मुकदमे में उसे सजा भी सुनाई जा चुकी थी. पर इसी महीने की शुरूआत में उसे इलाज के नाम पर 15 दिनों के लिए पैरोल पर आजादी मिली थी. पैरोल पर जब चंदन मिश्रा बाहर आया तो बक्सर में उसका कुछ इस अंदाज में स्वागत किया गया था.

    स्वागत सत्कार के बाद चंदन को उस इलाज की याद भी आई, जिसके लिए उसे पैरोल पर जेल से 15 दिनों के लिए आजाद किया गया था. तो अब वही चंदन इलाज के लिए 15 जुलाई को पटना के उसी पारस हॉसपिटल में भर्ती हो जाता है. क्योंकि 18 जुलाई को चंदन की पैरोल की मियाद खत्म होने वाली थी. अस्पताल में चंदन को दूसरी मंजिल पर प्राइवेट वार्ड में रूम नंबर 209 में रखा गया था. 

    बदनसीबी देखिए कि डाक्टरों ने 15 जुलाई को भर्ती होने के बाद कल ही यानी 16 जुलाई को ही उसे डिस्चार्ज कर दिया था. पर वो खुद ही एक और दिन के लिए अस्पताल में रुक गया था. कायदे से अब उसे 17 जुलाई यानी गरूवार को दिन में अस्पताल से डिस्चार्ज हो जाना था. मगर उससे पहले सुबह सात बज कर 25 मिनट पर ही पांच शूटर खुलेआम बेखौफ अस्पताल में दाखिल होते हैं और रूम नंबर 209 में घुस कर चंदन की गोली मार कर हत्या कर देते हैं.

    शूटरों ने कत्ल का वक्त पूरी प्लानिंग के साथ चुना था. अस्पातल में सुबह सात बजे गार्ड की शिफ्ट चेंज होती है. इसके अलावा ओपीडी भी आठ बजे के बाद शुरू होती है. यानी आठ से पहले अस्पताल में अमूमन सन्नाटा ही रहता है. ऐसे में अस्पातल में घुस कर किसी को मारना आसान था. वैसे भी शायद पटना के बाकी जगहों की तरह इस अस्पताल के गार्ड भी उतने एक्टिव नहीं थे. क्योंकि खुद बिहार के एडीजी साहब का कहना है कि लोग पैसे बचाने के लिए ऐसे बूढ़े लोगों को ड्यूटी पर रख लेते हैं, जिन्हें ना दिखाई देता है और ना ही वो दौड़ पाते हैं.

    पांचों शूटर लगभग पटना पुलिस को खुली दावत देते हुए, खुले चेहरे के साथ आए थे. और उसी खुले चेहरे के साथ निकल भी गए. जाहिर है अपने अपने चेहरों का दर्शन कराकर वो थोड़ी बहुत अपनी कृपा तो बिहार पुलिस को दे गए. अब पटना पुलिस का दावा है कि तौसीफ बादशाह समेत 4 शूटर्स की पहचान हो चुकी है. पांचवे शूटर की शिनाख्त किए जाने की कोशिश हो रही है. हालांकि फिलहाल पुलिस इसी नतीजे पर पहुंची है कि ये मामला गैंगवॉर का है. यानि चंदन के किसी दुश्मन ने ही उसे ठिकाने लगा दिया है.

    (पटना से सुजीत कुमार गुप्ता के साथ शशिभूषण का इनपुट)

    —- समाप्त —-



    Source link

    Latest articles

    Routine theft probe leads Delhi Police to solve 3-month-old robbery, murder case

    A routine investigation into a recent bike theft led Delhi police to solve...

    YURIYAN RETRIEVER Talks Debut Solo Single & Ambition to Become a Genre of Her Own

    YURIYAN RETRIEVER has carved out a unique position in Japanese entertainment as a...

    Rajnath, Shah & others meet to finalise Parliament strategy | India News – Times of India

    NEW DELHI: Ahead of Parliament’s Monsoon session, several Union ministers, including...

    More like this

    Routine theft probe leads Delhi Police to solve 3-month-old robbery, murder case

    A routine investigation into a recent bike theft led Delhi police to solve...

    YURIYAN RETRIEVER Talks Debut Solo Single & Ambition to Become a Genre of Her Own

    YURIYAN RETRIEVER has carved out a unique position in Japanese entertainment as a...