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    पंजाब के 114 वर्षीय मैराथन धावक फौजा सिंह की एक्सीडेंट में मौत, सड़क पार करते समय गाड़ी ने मारी टक्कर

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    मैराथन धावक फौजा सिंह की सोमवार को पंजाब के जालंधर जिले में अपने पैतृक गांव में टहलने के दौरान एक अज्ञात वाहन की टक्कर से मौत हो गई. वह 114 वर्ष के थे. उनके निधन की पुष्टि लेखक खुशवंत सिंह ने की, जिन्होंने फौजा सिंह के परिवार के सदस्यों से बात की. पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने फौजा सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया.

    बहुत दुःख हुआ. 114 वर्ष की आपंजाब के राज्यपाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में लिखा, ‘मैराथन धावक और दृढ़ता के प्रतीक सरदार फौजा सिंह के निधन सेयु में, वह अद्वितीय उत्साह के साथ नशा मुक्त, रंगला पंजाब मार्च में मेरे साथ शामिल हुए थे. उनकी विरासत नशामुक्त पंजाब के लिए प्रेरणा बनी रहेगी. ओम शांति ओम.’

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    फौजा सिंह की बायोग्राफी, ‘द टर्बन्ड टॉरनेडो’, पंजाब के पूर्व राज्य सूचना आयुक्त खुशवंत सिंह द्वारा लिखी गई थी. खुशवंत सिंह ने X पर लिखा, ‘मेरा टर्बन्ड टॉरनेडो अब नहीं रहा. मुझे बड़े दुख के साथ फौजा सिंह के निधन की खबर बतानी पड़ रही है. आज दोपहर करीब साढ़े तीन बजे उनके गांव बियास में सड़क पार करते समय एक अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी. मेरे प्यारे फौजा, आपकी आत्मा को शांति मिले.’

    संपर्क करने पर खुशवंत सिंह ने कहा कि उन्होंने फौजा सिंह के परिवार के सदस्यों से बात की है, जिन्होंने उनकी मृत्यु की खबर की पुष्टि की है. सड़क दुर्घटना के बाद, लंबी दूरी के धावक फौजा सिंह को जालंधर के एक निजी अस्पताल में ले जाया गया, जहां उनकी मृत्यु हो गई. 

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    फौजा सिंह का जन्म 1 अप्रैल, 1911 को पंजाब के जालंधर जिले के ब्यास पिंड में हुआ था. उन्होंने 90 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मैराथन दौड़ना शुरू किया. इस उम्र में मैराथन दौड़ने के उनके फैसले ने लोगों को आश्चर्य में डाल दिया. फौजा सिंह अपने इस साहस और दृढ़ निश्चय के कारण ‘टर्बन्ड टॉरनेडो’ (पगड़ीधारी तूफान) के नाम से मशहूर हो गए. उनके बायोग्राफी का ​शीर्षक भी यही है. 

    फौजा सिंह ने 90 साल की उम्र में अपनी पहली मैराथन दौड़ पूरी की थी. 2004 में उन्होंने 93 साल की उम्र में लंदन मैराथन पूरी की. 2011 में 100 साल की उम्र में उन्होंने टोरंटो मैराथन पूरी की और 100+ की कैटेगरी में रिकॉर्ड बनाया. वह दुनिया के सबसे उम्रदराज मैराथन धावक थे.

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