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    भारत के पास है सुपर पावर बनने का सही मौका, ऑपरेशन सिंदूर को मिला सपोर्ट मिसाल है

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    लंबे अर्से से सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता की दावेदारी रही है. हाल के दिनों में भारत की दावेदारी को सपोर्ट भी मिला है, लेकिन कभी चीन के अड़ियल रुख तो कभी किसी समर्थक राष्ट्र के ढीले पड़ जाने से मामला अटका रह गया – लेकिन, अब वो वक्त आ चुका है जब भारत को दिखा देना चाहिये कि वो सुपर पावर है, किसी को मुगालते में नहीं रहना चाहिये. और, उसके लिए भारत सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता का मोहताज भी नहीं है.  

    सितंबर, 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, हम उस देश के वासी हैं, जिसने दुनिया को को ‘युद्ध’ नहीं ‘बुद्ध’ दिये हैं. दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने दोहराया था, दुनिया युद्ध में नहीं बल्कि बुद्ध में समाधान ढूंढ सकती है.

    18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के उद्घाटन कार्यक्रम में भी प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, दुनिया में जब तलवार के जोर पर साम्राज्य बढ़ाने का दौर था… तब हमारे सम्राट अशोक ने शांति का रास्ता चुना था… हमारी इस विरासत का ये वही बल है, जिसकी प्रेरणा से भारत दुनिया को कह पाता है कि भविष्य युद्ध में नहीं है, बुद्ध में है.

    और अलग अलग मोर्चों पर ये बातें नये तरीके से उभर कर भी आती हैं. पिछले साल ऑस्‍ट्रेलिया के लोवी इंस्‍टीट्यूट थिंक टैंक की ओर से जारी किए गये एशिया पावर इंडेक्‍स में भारत को तीसरा सबसे ताकतवर देश बताया गया था. खास बात ये थी कि भारत ने जापान और रूस को पीछे छोड़ते हुए ये मुकाम हासिल किया. मानते हैं कि भारत से ऊपर पहले नंबर पर अमेरिका और दूसरे नंबर पर चीन थे, और रूस छठे नंबर पर. लेकिन, सबसे खास बात ये थी कि पाकिस्‍तान 16वें पायदान पर है पाया गया था. 

    ऑपरेशन सिंदूर के तहत चल रही कार्रवाई में भी भारतीय सेना ने जिस तरह हर छोर पर पाकिस्तानी आक्रमण नाकाम किया है, पूरी दुनिया देख रही है. 

    मुस्लिम मुल्क खामोश हैं. पाकिस्तान की तरफ खुलकर तुर्किए और छिपकर चीन जैसे देश खड़े भले नजर आ रहे हों, लेकिन शुरू से ही रूस, अमेरिका, यूके, फ्रांस और इजरायल की तरफ से सरेआम भारत का साथ देने का ऐलान किया गया है. 

    तुर्कीए के राजदूत ने भारत के एयर स्ट्राइक को पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन माना है, और निर्दोष लोगों की मौत पर शोक भी जताया – लेकिन बाकी दुनिया तो यही देख रही है कि किस तरह पाकिस्तान से पहलगाम पहुंचे आतंकवादियों ने घूमने फिरने पहुंचे सैलानियों को मौत के घाट उतार डाला. 

    फिर भी भारत बड़े ही धैर्य और संयम के साथ कार्रवाई कर रहा है, निर्दोष नागरिकों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने से परहेज कर रहा है – और पाकिस्तान की तरफ से हर हमले का माकूल जवाब दे रहा है. 

    कहने की जरूरत नहीं है, ऐसे गंभीर हालात में भी पूरी दुनिया भारत का रुख भी देख रही है, और पाकिस्तान की करतूत भी – निश्चित रूप से भारत के पास खुद को सुपर पावर साबित करने का ये बेहतरीन मौका है.

    1. अमेरिका का न्यूट्रल हो जाना, पाकिस्तान के खिलाफ ही तो है

    फॉक्स न्यूज को दिये इंटरव्यू में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा है, हम दोनों पक्षों से तनाव कम करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, लेकिन हम जंग के बीच में शामिल नहीं होंगे… क्योंकि ये हमारा काम नहीं है… और हम इसे कंट्रोल नहीं कर सकते – पाकिस्तान भला इससे सीधा और स्पष्ट क्या सुनना चाहता है. 

    2. रुस का भारत के साथ खड़े रहना भी पाकिस्तान के विरुद्ध जाता है

    रूस विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा पहले ही कह चुकी हैं, पहलगाम के पास आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य टकराव को लेकर हम बेहद चिंतित हैं… रूस सभी तरह के आतंकवादी गतिविधियों की कड़ी निंदा करता है, किसी भी आतंकवादी गतिविधि पर आपत्ति जताता है… और इसके खिलाफ प्रभावी ढंग से लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के एकजुट होने की जरूरत पर जोर देता है.

    रूस ने अलग अलग तरीके से जाहिर किया है कि वो भारत के साथ खड़ा है. वैसे भी किसी देश का पाकिस्तान के साथ खड़ा न होना भी तो भारत के साथ देने जैसा ही है. 

    3. चीन का चिंतित होना भी पाकिस्तान को समझ आ रहा है

    चीन के HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम का पाकिस्तान में नाकाम हो जाना उसके लिए चिंता की बात तो है ही, उसने भारत की कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है और कहा है, हम मौजूदा हालात को लेकर चिंतित हैं. 

    अव्वल तो चीन भी कह रहा है कि वो आतंकवाद के सभी रूपों का विरोध करता है, लेकिन पहलगाम अटैक को वो आतंकवादी गतिविधि मानता है कि नहीं, ये महत्वपूर्ण है. 

    पाकिस्तान के साथ भी चीन के कारोबारी हित जुड़े हुए हैं. चीन ने पाकिस्तान में चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर और बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट में भी बड़ा निवेश कर रहा है. 

    ऐसे में जबकि भारत उसकी आंखों में खटकता हो, और पाकिस्तान में पैसा लगा हो, साथ देना उसकी मजबूरी भी है.

    4. और दुनिया के कई देशों का भारत को सपोर्ट मिलना

    भारत में इजराइल के राजदूत रूवेन अजार ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का सपोर्ट किया है. कहा है, भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का इजरायल पूरी तरह समर्थन करता है… आतंकियों को ये जान लेना चाहिये कि मासूमों के खिलाफ उनके घिनौने अपराधों से छिपने की कोई जगह नहीं मिलेगी.​​​​​​

    अफगानिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, म्यांमार और भूटान जैसे देशों के लिए तो भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कई तरह से असर डालने वाला है. अफगानिस्तान को छोड़ दें तो बाकी ऊपर से तटस्थ रुख ही अपनाने वाले हैं. अफगानिस्तान का पाकिस्तान के साथ विवाद रहा है, लेकिन बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भारत से खफा है, और मोहम्मद यूनुस की पाकिस्तान से  नजदीकियां तो अलग ही इशारा करती हैं. 

    कुल मिलाकर देखें तो ऑपरेशन सिंदूर के साथ भारत जिस तरह सोच समझ कर एक एक कदम बढ़ा रहा है, सुपर पावर बनने का अच्छा मौका है – और ये गंवाना नहीं चाहिये.  
     



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