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    अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को झटका! बर्थराइट सिटीजनशिप आदेश पर जज ने लगाई रोक, कहा- नागरिकता सबसे बड़ा अधिकार

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    अमेरिका के न्यू हैम्पशायर में एक संघीय जज ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसके तहत अमेरिका में जन्म लेने वाले कुछ बच्चों को नागरिकता देने से मना किया गया था. जज जोसेफ ला प्लांते ने यह रोक (जिसे कानूनी भाषा में ‘प्रारंभिक निषेधाज्ञा’ कहा जाता है) लगाते हुए कहा कि यह आदेश असंवैधानिक है और इससे बच्चों को गंभीर नुकसान हो सकता है. इस पर रोक लगाते हुए जज ने कहा कि यह कोई कठिन फैसला नहीं था, नागरिकता सबसे बड़ा अधिकार है.

    यह ट्रंप के जनवरी में जारी किए गए आदेश के खिलाफ पहला बड़ा कानूनी झटका माना जा रहा है. इस आदेश में कहा गया था कि जो बच्चे अवैध प्रवासियों या अस्थायी वीजा पर आए लोगों के यहां जन्म लेते हैं, उन्हें अमेरिकी नागरिकता नहीं दी जाएगी.

    हालांकि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि निचली अदालतें पूरे देश में इस तरह की रोक लगाने से बचें, फिर भी जज ला प्लांते ने यह रोक पूरे देश के लिए लगाई और कहा कि यह आदेश संविधान के खिलाफ है. उन्होंने यह रोक सभी प्रभावित बच्चों के लिए लगाई, लेकिन उनके माता-पिता को इस मामले से बाहर रखा.

    मुकदमा करने वाले वकील ने कहा, ‘अब हर बच्चे को इस क्रूर आदेश से बचाया जाएगा.’

    दरअसल, इस मुकदमे को अमेरिकी सिविल लिबर्टीज यूनियन (ACLU) और अन्य संगठनों ने मिलकर दायर किया था. इसमें एक गर्भवती महिला, दो माता-पिता और उनके अमेरिका में जन्मे बच्चों की ओर से याचिका दाखिल की गई थी.

    सरकार ने 14वें संशोधन की व्याख्या को बताया गलत

    सरकार ने अदालत में तर्क दिया कि अमेरिका के संविधान का 14वां संशोधन, जो कहता है कि जो भी व्यक्ति अमेरिका में जन्मा है और यहां के अधिकार क्षेत्र में आता है, वह नागरिक है, वो अवैध प्रवासियों के बच्चों पर लागू नहीं होता. सरकार ने यह भी कहा कि नागरिकता की यह व्यवस्था अवैध प्रवास को बढ़ावा देती है और देश की सुरक्षा व अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है. लेकिन जज ला प्लांते ने कहा कि ये तर्क कमजोर हैं और उन्हें मानने लायक नहीं समझा.

    सरकार की दलील कि यह रोक सिर्फ न्यू हैम्पशायर तक होनी चाहिए थी. सरकार के वकील ने तर्क दिया कि सिर्फ ट्रंप ने यह आदेश दिया है, बाकी किसी अधिकारी ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की, इसलिए इसे पूरे देश पर लागू करना सही नहीं. लेकिन जज ने इन तर्कों को खारिज करते हुए सात दिन का समय दिया ताकि सरकार इस आदेश के खिलाफ अपील कर सके.

    —- समाप्त —-



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