देशभर में मानसून पूरी तरह सक्रिय हो गया है. जहां एक तरफ उमस और गर्मी से लोगों को राहत मिली है, वहीं दूसरी ओर तेज बारिश ने जलभराव, ट्रैफिक जाम, भूस्खलन और बाढ़ जैसे संकट खड़े कर दिए हैं. सबसे अधिक असर दिल्ली-एनसीआर में देखा जा रहा है, जहां कुछ घंटों की बारिश ने ही शहर की रफ्तार थाम दी और सड़के तालाब में तब्दील हो गईं. आलम ये रहा कि कई इलाकों में सड़कों पर गाड़ियां तैरती नजर आईं. इसके अलावा उत्तराखंड, हिमाचल, असम और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में हालात चिंताजनक हैं.
दिल्ली और एनसीआर के कई हिस्सों में बुधवार शाम तेज बारिश हुई, जिससे भारत मंडपम (प्रगति मैदान), झिलमिल अंडरपास, कृष्णा नगर, ITO, आउटर रिंग रोड, कालकाजी, अश्रम, वजीराबाद, अक्षरधाम और मथुरा रोड जैसे इलाकों में भारी जलभराव हो गया. कई जगह तो सड़कें पूरी तरह से जलाशयों में तब्दील हो गईं. RTR रोड और NH-48 पर भारी ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रही. दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने जखीरा अंडरपास और रोड नंबर 40 पर जलभराव के कारण ट्रैफिक डायवर्ट किया.
बुधवार देर शाम तक नजफगढ़ में 60 मिमी, आया नगर में 50.5 मिमी, प्रगति मैदान में 37 मिमी और नॉर्थ कैंपस में 22 मिमी बारिश दर्ज की गई. वहीं, सफदरजंग वेधशाला पर केवल 1.4 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई. शाम होते-होते मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट को बढ़ाकर रेड अलर्ट जारी कर दिया और लोगों से सतर्क रहने को कहा गया.
दिल्ली के PWD कंट्रोल रूम को शाम तक जलभराव की कुल 29 शिकायतें मिलीं, जबकि NDMC को एक शिकायत मिली. प्रशासन ने जल निकासी के लिए टीमों को लगाया है, लेकिन कई जगहों पर देर तक पानी जमा रहा. लगातार हो रही बारिश ने राजधानी की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
नोएडा-गुड़गांव की सड़कें भी हुईं लबालब
एनसीआर के अन्य शहरों की भी स्थिति अलग नहीं रही. गुड़गांव में कई सड़कों पर जलभराव से ट्रैफिक सुस्त पड़ा रहा. MG रोड, सोहना रोड, सिग्नेचर टॉवर और IFFCO चौक जैसे व्यस्त इलाकों में वाहन रेंगते दिखे. सुभाष चौक इलाके में सड़क पर हुए जलजमाव में एंबुलेंस फंस गई. वहीं कई इलाकों के घरों में पानी तक भर गया. ऐसा ही कुछ नोएडा में भी देखने को मिला. जहां मौसम सुहाना तो हुआ लेकिन सेक्टर-62, डीएनडी, सेक्टर-18 जैसे इलाकों में लोगों को जाम और जलभराव से परेशानी हुई. गाजियाबाद और सोनीपत में कई सड़कें पानी में डूबी रहीं.
मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में लगातार हो रही भारी बारिश के चलते शहर के कई हिस्सों में गंभीर जलभराव की स्थिति पैदा हो गई. निचले इलाकों में पानी भरने से सड़कों पर वाहन रेंगते नजर आए. वहीं कई कॉलोनियों और बाजारों में लोगों का घर से निकलना भी मुश्किल हो गया. जलनिकासी की व्यवस्था चरमराने से स्थानीय लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. प्रशासन की ओर से राहत कार्य शुरू किया गया, हालांकि बारिश का दौर थमने के कोई आसार फिलहाल नहीं दिख रहे.
उत्तराखंड में लैंडस्लाइड, हिमाचल में 150 से अधिक सड़कें बंद
उत्तराखंड के चमोली और बद्रीनाथ हाईवे पर भी भारी बारिश के बाद भूस्खलन की स्थिति बनी रही. चमोली में बारिश के चलते कमेडा नंदप्रयाग और अन्य स्लाइड जोन पर रुक-रुककर पत्थर गिर रहे हैं, इसके चलते यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोक दिया गया है. वहीं रुद्रप्रयाग में बद्रीनाथ हाईवे पर सफर करना मुश्किल हो गया है. जिला मुख्यालय से लगभग सात किमी दूर बद्रीनाथ हाईवे पर नरकोटा के पास पहाड़ी से पत्थरों की बरसात हो रही है. जिस कारण घंटों तक हाईवे पर जाम लग रहा है और चार धाम यात्रियों के अलावा स्थानीय लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
अल्मोड़ा जिले में बारिश का कहर देखने को मिल रहा है. रानीखेत में बारिश से बरसाती नाले उफान पर आ गए हैं, जिससे स्थानीय लोगों को आवाजाही में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं पहाड़ों से कई स्थानों पर मलबा आने के कारण कई ग्रामीण सड़क भी बीच-बीच में बंद हो गई हैं. फिलहाल प्रशासन ने सभी स्थानों पर जेसीबी मशीन ने तैनात की है, जिला प्रशासन पुलिस और सभी टाइम एक्टिव मोड पर है.
हिमाचल प्रदेश में हालात और गंभीर हैं. इस मानसून सीजन में अब तक 31 फ्लैश फ्लड, 22 क्लाउडबर्स्ट और 17 भूस्खलन की घटनाएं दर्ज की गई हैं. इन हादसों में अब तक 54 लोगों की जान जा चुकी है. राज्य में 174 सड़कें बंद हैं, 740 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो चुका है. मंडी, ऊना और शिमला जिलों में सामान्य से 80 से 90 प्रतिशत अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है.
कहीं डूबे धार्मिक स्थल तो कहीं बच्चों की डूबने से मौत
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा और यमुना का जलस्तर बढ़ने से दशाश्वमेध घाट, रामघाट और अन्य धार्मिक स्थल डूबने लगे हैं. दुकानदारों का सामान बह गया है और निचले इलाकों में खतरा बढ़ गया है.
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में लगातार बारिश से बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. ब्रह्मपुरी तहसील के 25 गांवों का संपर्क टूट गया है. गोसीखुर्द बांध के गेट खोलने के बाद वेनगंगा नदी में पानी बढ़ गया है. पिंपलगांव गांव में घरों में पानी घुस गया और 14 लोगों को रेस्क्यू किया गया.
राजस्थान के धौलपुर में मनिया कस्बे की गलियों और एनएच 44 पर घुटनों तक पानी भर गया. वहीं जैसलमेर के पोकरण इलाके में बारिश से भरे गड्ढे में गिरकर एक ही परिवार के चार बच्चों की मौत हो गई.
असम में हालात बदतर
पूर्वोत्तर के असम में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. अब तक 30 लोगों की जान जा चुकी है और 29,000 से ज्यादा लोग प्रभावित हैं. गोलाघाट जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां अकेले 23,000 से अधिक लोग संकट में हैं. 5,000 से ज्यादा लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं और कई हजार हेक्टेयर में फसलें डूब गई हैं. मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में बारिश के कारण लनवा और तुइथा नदी का जलस्तर बढ़ गया है. नेहसियाल वेंग और जौमुनुआम जैसे गांवों में 100 से अधिक घर पानी में डूब गए हैं और लोग सामुदायिक केंद्रों में शरण ले रहे हैं.
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