बॉलीवुड में नेपोटिज्म पर बहस लंबे समय से चली आ रही है. फिल्मी गलियारे में भाई-भतीजावाद का मुद्दा गर्माता रहा है. कई डायरेक्टर्स पर आरोप लगते रहता हैं कि नेपो किड्स को मेकर्स पहली प्राथमिकता देते हैं. वहीं अब इसी मुद्दे पर एक्टर अली फजल ने बॉलीवुड और हॉलीवुड में कास्टिंग सिस्टम के बीच अंतर के बारे में बात की है.
अली फजल ने कहा, ‘उन्हें बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद से कोई परेशानी नहीं है, क्योंकि इंडस्ट्री में इससे भी बड़ी समस्याएं हैं. बॉलीवुड में रोल मिलना अक्सर कुछ खास सोशल या प्रोफेशनल सर्कल का हिस्सा होने पर डिपेंड करता है. वहीं हॉलीवुड में एक एजेंसी बेस्ड कास्टिंग सिस्टम है, जहां सभी एक्टर्स के लिए समान मौके हैं.’
धीरे-धीरे व्यवस्था बदल जाएगी- अली फजल
अली फजल ने आगे कहा, ‘हॉलीवुड में भी गलत बर्ताव होता है, लेकिन कम से कम वहां एक ट्रांसपेरेंट सिस्टेम है, जो ज्यादा मौके दिलाती है. बेशक, वहां भी गलत चीजें हो रही हैं. बहुत सारी चीजें, वहां पर भी कुछ और चीजें होती हैं. लेकिन एक बुनियादी व्यवस्था है. मुझे लगता है कि हम शायद उनसे फायदा उठा सकते हैं. जैसे-जैसे हम अपने कास्टिंग डायरेक्टर्स का ज्यादा से ज्यादा सपोर्ट करते रहेंगे, यह व्यवस्था धीरे-धीरे बदल जाएगी.’
एक्टर ने कहा, ‘हमारे पास शानदार कास्टिंग लोग हैं- निकिता ग्रोवर, दिलीप शंकर, टेस जोसेफ, वैभव विशांत, एंटी-कास्टिंग टीम. ये लोग वाकई शानदार काम कर रहे हैं. मुझे लगता है कि यह व्यवस्था वास्तव में उनकी और बाकी एक्टिंग करने वाले लोगों की मदद करेगी. इसलिए भाई-भतीजावाद (नेपोटिज्म) वाली बात मुझे परेशान नहीं करती. मुझे लगता है कि इंडस्ट्री में इससे भी बड़ी समस्याएं हैं.’
वर्क फ्रंट की बात करें तो अली ने साल 2008 में इंडियन-अमेरिकन कॉमेडी ड्रामा ‘द अदर एंड ऑफ द लाइन’ में एक छोटे रोल के साथ एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्हें आमिर खान की फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ में कैमियो करते देखा गया था. इसके बाद वो फिल्म ‘फुकरे’ में दिखाई दिए. उन्होंने ‘विक्टोरिया एंड अब्दुल’ और ‘डेथ ऑन द नील’ जैसी हॉलीवुड फिल्मों में काम किया है. हालांकि उन्हें पहचान ‘मिर्जापुर’ सीरीज से मिली. उनके गुड्डू पंडित के रोल को काफी पसंद किया गया. हाल ही में उन्होंने अपनी पत्नी ऋचा चड्ढा के साथ मिलकर खुदकी प्रोडक्शन कंपनी ‘पुशिंग बटन स्टूडियो’ शुरू की है.
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