महाराष्ट्र सरकार ने तीन भाषा नीति (थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी) से जुड़े अपने संशोधित सरकारी आदेश (GR) को वापस ले लिया है. इस पर मनसे प्रमुख राज ठाकरे का बयान सामने आया है, उन्होंने राज्य सरकार द्वारा तीन-भाषा नीति से संबंधित दोनों शासनादेश (GR) रद्द करने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हिंदी भाषा को थोपने की कोशिश को मराठी जनभावनाओं ने पूरी तरह विफल कर दिया है. राज ठाकरे ने कहा कि यह देर से आई समझदारी नहीं, बल्कि यह मराठी जनों के आक्रोश का ही असर है कि सरकार को पीछे हटना पड़ा. सरकार हिंदी को लेकर इतनी हठधर्मी क्यों थी, और उस पर यह दबाव कहां से था, यह अब भी एक रहस्य है.
मनसे ने उठाई थी आवाज
राज ठाकरे ने स्पष्ट रूप से कहा कि मनसे ने अप्रैल 2025 से ही इस मुद्दे पर आवाज उठानी शुरू कर दी थी, जिसके बाद अन्य राजनीतिक दल और संगठन भी इसके विरोध में आगे आए. जब मनसे ने गैर-राजनीतिक मोर्चा निकालने की घोषणा की, तो कई अन्य संगठनों और दलों ने उसमें शामिल होने की इच्छा जताई. उन्होंने कहा कि अगर यह मोर्चा निकला होता, तो शायद सामूहिक महाराष्ट्र आंदोलन की यादें ताजा हो जातीं.
‘ऐसी नीति अब बर्दाश्त नहीं’
राज ठाकरे ने चेतावनी देते हुए कहा कि अब सरकार ने फिर से एक समिति बना दी है, मैं स्पष्ट कह रहा हूं कि चाहे समिति की रिपोर्ट आए या न आए, लेकिन ऐसी नीति अब फिर से बर्दाश्त नहीं की जाएगी, और अगर सरकार ने रिपोर्ट के नाम पर फिर से ऐसी साजिश की, तो यह समिति महाराष्ट्र में काम नहीं कर पाएगी.
‘ऐसी एकता आगे भी दिखनी चाहिए’
उन्होंने कहा कि अब मराठी जनता को भी यह सीख लेनी चाहिए कि उनके ही लोग उनकी भाषा और अस्तित्व को मिटाने में लगे हैं. ऐसे लोगों के लिए न भाषा का कोई भाव है, न आत्मीयता. राज ठाकरे ने मराठी लोगों को एक बार फिर बधाई देते हुए कि मराठी भाषा ज्ञान और वैश्विक मामलों की भाषा बने यही हमारी कामना है. इस बार जो एकता दिखी, वह आगे भी दिखती रहनी चाहिए.
मराठी और गैर-मराठी लोगों को लड़ाने की कोशिश नाकाम: उद्धव
वहीं, उद्धव ठाकरे ने कहा कि मराठी और गैर-मराठी लोगों को आपस में लड़ाने की जो कोशिश हुई, वह पूरी तरह से नाकाम हो गई है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में तीन भाषा नीति को लेकर जो विवाद खड़ा हुआ, वह सरकार की नासमझी का नतीजा है. उद्धव ने स्पष्ट किया कि मेरी सरकार ने कभी तीन भाषा नीति को मंजूरी नहीं दी थी, मुझे उस पर एक रिपोर्ट दी गई थी, लेकिन मैं उसे पढ़ भी नहीं पाया और उससे पहले ही मेरी सरकार गिरा दी गई.
सीएम फडणवीस ने उद्धव पर लगाया आरोप
सीएम देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया कि जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने डॉ. रघुनाथ माशेलकर समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया था, जिसमें कक्षा 1 से 12 तक तीन-भाषा नीति लागू करने की बात कही गई थी. उन्होंने कहा कि उसी समय इस नीति को लागू करने के लिए एक समिति भी गठित की गई थी.
क्या है मामला?
हिंदी भाषा को पहली से पांचवीं कक्षा तक महाराष्ट्र के स्कूलों में अनिवार्य किए जाने को लेकर बढ़ते विरोध के बीच महाराष्ट्र सरकार ने रविवार को थ्री लैंग्वेज पॉलिसी से जुड़े दोनों सरकारी आदेश (GRs) वापस ले लिए हैं. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह घोषणा की. उन्होंने बताया कि शिक्षाविद डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक नई समिति बनाई गई है, जो यह तय करेगी कि आगे भाषा नीति को कैसे लागू किया जाए.