इजरायल की सेना ने कहा कि वह ईरान के साथ संभावित लंबे युद्ध के लिए तैयारी कर रही है. वहीं, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने चेतावनी दी कि अगर अमेरिका इस संघर्ष में शामिल होता है तो यह “हर किसी के लिए बहुत ही खतरनाक” होगा.
इरानी समर्थित हूती विद्रोहियों ने भी चेतावनी दी है कि अगर ट्रंप प्रशासन इजरायली सैन्य अभियान में शामिल होता है, तो वे रेड सी में अमेरिकी जहाजों और युद्धपोतों पर हमले फिर से शुरू करेंगे. उन्होंने मई में अमेरिका से हुए एक समझौते के बाद हमले रोक दिए थे. इस बीच, अमेरिका ने इजरायल से नागरिकों को निकालने के लिए “सहायता उड़ानें” शुरू कर दी हैं. ये उड़ानें 7 अक्टूबर 2023 के हमास के हमले के बाद पहली बार शुरू की गई हैं.
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60 लड़ाकू विमानों से हमला, एफ-14 जेट भी मार गिराया
IDF ने बीते दिन बताया कि सेना ने सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर लगभग 60 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल करके ईरानी क्षेत्र में काफी अंदर तक हमला किया. एक इजरायली वायु सेना के विमान ने तीन ईरानी सैन्य F-14 लड़ाकू विमानों पर हमला किया. यह हमला ईरान के मध्य में किया गया.
इजरायली सेना ने बताया कि उन्होंने ईरान के इस्फहान प्रांत में स्थित एक परमाणु अनुसंधान केंद्र पर हमला किया है, जिसमें तीन वरिष्ठ ईरानी कमांडर मारे गए हैं. इस हमले को लेकर इजरायल का कहना है कि उनका लक्ष्य ईरान की परमाणु क्षमताओं को समाप्त करना है.
हमले के बाद इस्फहान के एक पर्वतीय इलाके से धुआं उठता देखा गया, जिसे प्रांत के सुरक्षा मामलों के डिप्टी गवर्नर अकबर सालेही ने हमले की पुष्टि करते हुए बताया कि यह एक सेंट्रीफ्यूज उत्पादन स्थल था. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने भी हमले की पुष्टि की है.
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इजरायल ने ईरान के 50% लॉन्चर नष्ट किए
ईरान ने जवाबी कार्रवाई में फिर से ड्रोन और मिसाइलें दागी हैं, लेकिन किसी महत्वपूर्ण क्षति की सूचना नहीं है. एक इजरायली सैन्य अधिकारी के मुताबिक, अब तक ईरान के 50% से अधिक लॉन्चरों को नष्ट कर दिया गया है. इजरायली सेना के मुख्य प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल एफी डेफरिन ने बताया कि सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल इयाल जामिर ने सेना को “लंबे अभियान” के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस युद्ध में अमेरिका की सैन्य भागीदारी पर विचार कर रहे हैं और उन्होंने इस पर निर्णय लेने के लिए दो सप्ताह का समय तय किया है. वहीं, ईरानी विदेश मंत्री अराघची ने तुर्की में इस्लामिक सहयोग संगठन की बैठक के दौरान कहा कि अमेरिका से किसी भी प्रकार की वार्ता इजरायली हमलों के बीच संभव नहीं है.