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    हैमर, स्कैल्प मिसाइलें और राफेल… आधी रात में ऐसे हो गया पाकिस्तान में खेल!

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    ऑपरेशन सिंदूर 7 मई 2025 को भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा शुरू किया गया एक ऐतिहासिक सैन्य अभियान था, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए विशेष गोला-बारूद का उपयोग किया गया. यह अभियान 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया. जिसमें 26 लोग मारे गए थे. 

    पहलगाम हमले ने क्यों बनाया आधार

    पहलगाम में बैसरन क्षेत्र में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का एक प्रॉक्सी संगठन है. भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इस हमले को जैश-ए-मोहम्मद और पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) से जोड़ा.

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब की अपनी यात्रा रद्द कर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ आपात बैठक की. उन्होंने घोषणा की कि आतंकवादियों को “कठोर सजा” दी जाएगी. ऑपरेशन सिंदूर इसी प्रतिबद्धता का परिणाम था, जिसमें विशेष गोला-बारूद का उपयोग कर आतंकी ढांचे को नष्ट किया गया.

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    विशेष गोला-बारूद: तकनीकी श्रेष्ठता

    ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने अत्याधुनिक और सटीक गोला-बारूद का उपयोग किया, जो न्यूनतम नागरिक क्षति के साथ अधिकतम प्रभाव सुनिश्चित करता है. भारतीय वायुसेना (IAF) के राफेल लड़ाकू विमानों से लैस स्कैल्प क्रूज मिसाइल और हैमर मिसाइल दो ऐसी शक्तिशाली हथियार प्रणालियां हैं, जिन्हें ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में उपयोग किया गया. 

    स्कैल्प क्रूज मिसाइल (SCALP-EG / Storm Shadow)

    स्कैल्प क्रूज मिसाइल, जिसे ब्रिटेन में स्टॉर्म शैडो के नाम से जाना जाता है. एक फ्रांसीसी-ब्रिटिश लंबी दूरी की, कम-दृश्यता (low-observable) वाली हवा से जमीन पर मार करने वाली क्रूज मिसाइल है. इसे यूरोपीय रक्षा कंपनी MBDA द्वारा निर्मित किया गया है. यह भारत के 36 राफेल जेट्स का हिस्सा है. इसका पूरा नाम Système de Croisière Autonome à Longue Portée – Emploi Général है, जिसका अर्थ है “लंबी दूरी की स्वायत्त क्रूज मिसाइल प्रणाली – सामान्य उपयोग”

    विशेषताएं: रेंज: 250-560 किमी (लॉन्च की ऊंचाई के आधार पर). कुछ स्रोतों के अनुसार यह 600 किमी तक हो सकती है. 

    गति: सबसोनिक, Mach 0.8 (लगभग 1,000 किमी/घंटा)

    वजन: लगभग 1,300 किग्रा, जिसमें 450 किग्रा का विस्फोटक वारहेड

    मार्गदर्शन प्रणाली: GPS और नेविगेशन: सटीक मार्ग निर्धारण

    इन्फ्रारेड सीकर: लक्ष्य की थर्मल छवि के आधार पर अंतिम चरण में मार्गदर्शन

    टेरेन रेफरेंस नेविगेशन: इलाके की विशेषताओं के आधार पर उड़ान, जो रडार से बचने में मदद करता है.

    उड़ान ऊंचाई: 100-130 फीट की कम ऊंचाई पर उड़ान, जो इसे रडार से बचाने में सक्षम बनाती है. लक्ष्य के पास यह 6,000 मीटर तक चढ़ती है और फिर सीधा गोता लगाकर हमला करती है.

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    वारहेड: BROACH (Bomb Royal Ordnance Augmented Charge), जो बंकरों और कठोर लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है.

    विशेषता: स्टील्थ डिजाइन, जो रडार डिटेक्शन से बचाता है. यह “फायर-एंड-फॉरगेट” मिसाइल है, यानी लॉन्च के बाद पायलट को नियंत्रित करने की जरूरत नहीं होती.

    उपयोग: कमांड सेंटर, संचार केंद्र, हवाई अड्डे, बंदरगाह, बिजली स्टेशन, हथियार डिपो, जहाज और अन्य उच्च-मूल्य वाले रणनीतिक लक्ष्य.

    अन्य उपयोग: स्कैल्प/स्टॉर्म शैडो का उपयोग खाड़ी युद्ध, इराक, लीबिया, सीरिया, और 2023 में यूक्रेन में रूसी लक्ष्यों के खिलाफ किया गया.

    Operation Sindoor, Airstrike, Rafale, Pakistan

    भारत में महत्व: भारतीय वायुसेना ने MBDA से स्कैल्प के सॉफ्टवेयर को पुन: कैलिब्रेट करवाया, ताकि यह 4,000 मीटर ऊंचाई वाले पहाड़ी लक्ष्यों (जैसे लद्दाख या पाकिस्तान के पहाड़ी क्षेत्र) को भेद सके. पहले यह 2,000 मीटर तक सीमित था.

    रणनीतिक बढ़त: 2020 के लद्दाख गतिरोध के दौरान, स्कैल्प से लैस राफेल जेट्स को अंबाला में तैनात किया गया, जो चीन के तिब्बत क्षेत्र में लक्ष्यों को निशाना बना सकते थे.

    पाकिस्तान के खिलाफ: स्कैल्प की स्टील्थ और लंबी रेंज इसे आतंकी शिविरों, बंकरों, और कमांड सेंटरों को नष्ट करने के लिए आदर्श बनाती है, जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर में देखा गया. रडार से बचने की क्षमता इसे “साइलेंट असैसिन” बनाती है. गहरे और कठोर लक्ष्यों को भेदने की क्षमता. राफेल की SPECTRA इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर प्रणाली के साथ एकीकरण, जो हमले को और घातक बनाता है.

    हैमर मिसाइल (HAMMER – Highly Agile Modular Munition Extended Range)

    हैमर मिसाइल, जिसे AASM (Armement Air-Sol Modulaire) के नाम से भी जाना जाता है, फ्रांसीसी रक्षा कंपनी Safran द्वारा विकसित एक मध्यम दूरी की, सटीक-निर्देशित हवा से जमीन पर मार करने वाली हथियार प्रणाली है. यह एक मॉड्यूलर हथियार है, जो सामान्य बमों को प्रणोदन किट और मार्गदर्शन प्रणालियों के साथ उन्नत मिसाइल में बदल देता है. भारत ने इसे राफेल जेट्स के लिए आपातकालीन खरीद के तहत हासिल किया, विशेष रूप से 2020 के चीन के साथ सीमा तनाव के दौरान.

    Operation Sindoor, Airstrike, Rafale, Pakistan

    विशेषताएं: 20-70 किमी जो लॉन्च ऊंचाई और लक्ष्य की प्रकृति पर निर्भर करता है. प्रणोदन किट के कारण यह मिसाइल और ग्लाइड बम दोनों की विशेषताएं रखता है.

    वजन: विभिन्न आकारों में उपलब्ध – 125 किग्रा, 250 किग्रा, 500 किग्रा और 1,000 किग्रा. 1000 किग्रा वाला संस्करण “बंकर बस्टर” के लिए डिज़ाइन किया गया है. 

    मार्गदर्शन प्रणाली:सैटेलाइट (GPS): लंबी दूरी के लिए. लक्ष्य की थर्मल पहचान. लेजर गाइडेंस: उच्च सटीकता के लिए.

    विशेषता: कम ऊंचाई और पहाड़ी इलाकों में प्रभावी. यह बिना GPS के भी लक्ष्य को भेद सकता है, जो इसे इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग के खिलाफ मजबूत बनाता है. 

    लक्ष्य: बंकर, कठोर सतहें, सैन्य ठिकाने, और गतिशील लक्ष्य.

    फ्रांसीसी वायुसेना और नौसेना ने इसे अफगानिस्तान (2008), लीबिया (2011), माली (2011), इराक, और सीरिया में इस्तेमाल किया. मिसाइल ने बंकरों और कठोर लक्ष्यों को नष्ट करने में प्रभावशीलता दिखाई. 2020 में, लद्दाख में चीन के साथ तनाव के दौरान, भारत ने आपातकालीन खरीद के तहत हैमर मिसाइलों को राफेल जेट्स में एकीकृत किया.

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    भारत में महत्व: हैमर की कम ऊंचाई और पहाड़ी क्षेत्रों में प्रभावशीलता इसे लद्दाख जैसे क्षेत्रों में उपयोगी बनाती है. यह 70 किमी की दूरी से बंकरों और सैन्य ठिकानों को नष्ट कर सकती है. SPICE 2000 बमों के एकीकरण में देरी के कारण, भारत ने राफेल के लिए पहले से संगत हैमर मिसाइलों को चुना.

    बहु-लक्ष्य क्षमता: एक राफेल 6 हैमर मिसाइलें ले जा सकता है, जो एक साथ 6 लक्ष्यों को निशाना बना सकती हैं. मॉड्यूलर डिज़ाइन, जो विभिन्न बम आकारों और मार्गदर्शन प्रणालियों के साथ अनुकूलनीय है. दुश्मन के वायु रक्षा सिस्टम से बाहर रहकर हमला करने की क्षमता. बंकर और कठोर लक्ष्यों को भेदने की उच्च क्षमता.

    राफेल का खौफ: पाकिस्तानी मीडिया और जनता में हड़कंप

    Operation Sindoor, Airstrike, Rafale, Pakistan

    पाकिस्तानी मीडिया ने हाल ही में दावा किया कि भारतीय वायुसेना के चार राफेल लड़ाकू विमान नियंत्रण रेखा (LoC) के पार कश्मीर क्षेत्र में रातभर गश्त करते देखे गए. पीटीवी न्यूज और रेडियो पाकिस्तान ने सुरक्षा सूत्रों के हवाले से कहा कि पाकिस्तानी वायुसेना ने इन विमानों का पीछा किया, जिसके बाद वे वापस लौट गए. हालांकि, भारत ने इन दावों को “मनगढ़ंत” और “काल्पनिक” बताकर खारिज कर दिया.

    पाकिस्तानी सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने 29 अप्रैल की रात 2 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि खुफिया जानकारी के आधार पर भारत अगले 24-36 घंटों में हमला कर सकता है. इस बयान ने पाकिस्तान में डर का माहौल पैदा कर दिया. सोशल मीडिया पर #MunirOut जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे. 

    अफवाहें उड़ीं कि जनरल असीम मुनीर अपने परिवार के साथ देश छोड़कर भाग गए. या रावलपिंडी में एक बंकर में छिपे हैं. हालांकि, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कार्यालय ने इन अफवाहों को खारिज करते हुए मुनीर की तस्वीरें जारी कीं, लेकिन उनकी प्रामाणिकता पर सवाल उठे.

    पाकिस्तानी जनता गूगल पर “भारत के पास कितने राफेल हैं”, “राफेल मिसाइल की ताकत” और “भारत-पाकिस्तान युद्ध में कौन जीतेगा” जैसे सवाल सर्च कर रही है. यह दर्शाता है कि राफेल की ताकत और भारत की सैन्य तैयारियों ने पाकिस्तान में घबराहट पैदा कर दी है.

    यह भी पढ़ें: Agni, K-9 Vajra, Rafale… भारत के 10 खतरनाक हथियार जिनके आगे बेबस हो जाएगा पाकिस्तान

    राफेल की विशेषताएं: क्यों है इतना खतरनाक?

    राफेल एक 4.5 पीढ़ी का मल्टी-रोल फाइटर जेट है, जो अपनी उन्नत तकनीक और मारक क्षमता के लिए जाना जाता है. इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं …

    गति और रेंज: राफेल-एम की गति 2202 किमी/घंटा है, जो पाकिस्तान के JF-17 (1910 किमी/घंटा) और J-10 CE (2100 किमी/घंटा) से अधिक है. इसकी रेंज 3700 किमी है जो इसे लंबी दूरी के मिशनों के लिए उपयुक्त बनाती है.

    हथियार: इसमें 30 एमएम ऑटोकैनन गन, 14 हार्डपॉइंट्स और मेट्योर (300 किमी रेंज) व SCALP मिसाइलें हैं. यह हवा से हवा, हवा से जमीन और जहाज-रोधी मिसाइलों से लैस है.

    AESA रडार: इसका एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे रडार लंबी दूरी तक लक्ष्य को ट्रैक कर सकता है.

    स्टील्थ और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर: स्पेक्ट्रा सिस्टम इसे स्टेल्थ बनाता है. यह हवा में रीफ्यूलिंग के जरिए अपनी रेंज बढ़ा सकता है.

    नौसैनिक क्षमता: राफेल-एम विमानवाहक पोतों से संचालित होने के लिए डिजाइन किया गया है, जो इसे समुद्री युद्ध में खतरनाक बनाता है.

    पाकिस्तान के पास ज्यादातर चीनी मूल के फाइटर जेट (JF-17, J-10) और पुराने F-16 हैं, जो राफेल की तुलना में कमजोर हैं. इसके अलावा, पाकिस्तान का HQ-9 वायु रक्षा सिस्टम भारत की S-400 प्रणाली और ब्रह्मोस मिसाइलों के सामने अप्रभावी साबित हुआ है.

    विशेष हथियारों का इस्तेमाल

    ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 

    Operation Sindoor, Airstrike, Rafale, Pakistan

    विशेषताएं: 3.5 मैक की गति, 400-600 किमी की रेंज और सटीक लक्ष्य भेदन.

    उपयोग: बहावलपुर और मुजफ्फराबाद में जैश के कमांड सेंटरों और हथियार डिपो को नष्ट करने के लिए.

    प्रभाव: इसकी गति और सटीकता ने पाकिस्तानी रक्षा प्रणालियों को जवाब देने का समय नहीं दिया.

    SPICE 2000 स्मार्ट बम

    विशेषताएं: 60 किमी की रेंज, GPS और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल गाइडेंस, जो रात में भी सटीक निशाना लगाता है.

    उपयोग: कोटली और PoK के प्रशिक्षण शिविरों पर मिराज 2000 जेट्स से तैनात.

    प्रभाव: न्यूनतम संपार्श्विक क्षति के साथ आतंकी ठिकानों को पूरी तरह नष्ट किया.

    यह भी पढ़ें: Rafale-M vs Rafale: IAF का राफेल और नेवी का राफेल-एम… ताकत, डिजाइन और मिशन में कौन कितना अलग?

    Popeye प्रेसिजन-गाइडेड मिसाइल

    विशेषताएं: 78 किमी की रेंज, रीयल-टाइम लक्ष्य समायोजन.

    उपयोग: रावलपिंडी के पास जैश के हथियार भंडारों को निशाना बनाया.

    प्रभाव: गहरे और सुरक्षित ठिकानों को भेदने में सक्षम.

    स्वदेशी लेजर-गाइडेड बम (सुदर्शन)

    Operation Sindoor, Airstrike, Rafale, Pakistan

    विशेषताएं: डीआरडीओ द्वारा विकसित, 1000 किग्रा विस्फोटक क्षमता.

    उपयोग: मुरिदके में लश्कर-ए-तैयबा के सहायक ठिकानों पर.

    प्रभाव: भारत की स्वदेशी तकनीक का प्रदर्शन, लागत-प्रभावी और सटीक.

    ड्रोन-लॉन्च्ड माइक्रो-म्यूनिशन्स: 

    हेरॉन ड्रोन से तैनात छोटे, सटीक विस्फोटक. छोटे लेकिन महत्वपूर्ण लक्ष्यों, जैसे आतंकी कमांडरों के ठिकानों को नष्ट करने के लिए. कम दृश्यता और उच्च गतिशीलता के कारण पाकिस्तानी रडार से बचाव. इन गोला-बारूद की खासियत थी उनकी स्टैंड-ऑफ क्षमता, जिसने भारतीय विमानों को पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश किए बिना हमले करने की अनुमति दी. यह रणनीति 2019 के बालाकोट हमले से प्रेरित थी, लेकिन अधिक उन्नत और व्यापक थी.

    हमले की रणनीति और निष्पादन

    ऑपरेशन सिंदूर को भारतीय वायुसेना (IAF) और सेना ने संयुक्त रूप से अंजाम दिया. यह 7 मई 2025 की सुबह 3:00 बजे शुरू हुआ और लगभग 30 मिनट तक चला. प्रमुख पहलू निम्नलिखित थे:

    लक्षित ठिकाने: पाकिस्तान: बहावलपुर (JeM मुख्यालय), कोटली, रावलपिंडी, और अन्य क्षेत्रों में 5 ठिकाने.

    PoK: मुजफ्फराबाद, मुरिदके और अन्य क्षेत्रों में 4 ठिकाने.

    गहराई: हमले 150 किमी तक पाकिस्तानी क्षेत्र में गए, जो भारत की गहरी हड़ताल क्षमता को दर्शाता है. 

    यह भी पढ़ें: आर्मी-एयरफोर्स और नेवी का जॉइंट एक्शन रहा ‘ऑपरेशन सिंदूर’… PAK को फिर घर में घुसकर ठोका

    रणनीतिक चालबाजी

    डिकॉय ऑपरेशन: चार सुखोई सु-30 एमकेआई विमानों को जोधपुर से बहावलपुर की ओर भेजा गया, जिसने पाकिस्तानी वायुसेना (PAF) को दक्षिण की ओर खींच लिया.

    आश्चर्यजनक हमला: रात के समय और कम ऊंचाई पर उड़ान भरकर भारतीय विमानों ने पाकिस्तानी रडार को चकमा दिया.

    नागरिक सुरक्षा: हमलों को गैर-सैन्य लक्ष्यों तक सीमित रखा गया, जैसे प्रशिक्षण शिविर, हथियार डिपो और कमांड सेंटर.

    खुफिया समन्वय: रॉ (RAW), IB, और NTRO ने सैटेलाइट इमेजरी, ड्रोन निगरानी और मानव खुफिया जानकारी के आधार पर ठिकानों की पुष्टि की. सूत्रों के अनुसार, मौलाना यूसुफ अजहर (मसूद अजहर का साला) बहावलपुर शिविर का नेतृत्व कर रहा था. 

    तकनीकी सहायता: नेट्रा और फाल्कन AWACS: रीयल-टाइम हवाई निगरानी और समन्वय.

    इल्यूशिन Il-78: मिड-एयर रिफ्यूलिंग के लिए. 

    एक्स-राड रडार: 300 किमी तक पाकिस्तानी हवाई गतिविधियों पर नजर.

    नष्ट किए गए टारगेट

    प्रशिक्षण शिविर: बहावलपुर और मुजफ्फराबाद में जैश के सबसे बड़े शिविर, जहां 200-300 आतंकी प्रशिक्षण ले रहे थे. 

    कमांड सेंटर: मसूद अजहर और अन्य नेताओं के ठिकाने
    .
    हथियार डिपो: विस्फोटक, रॉकेट लॉन्चर, और AK-47 जैसे हथियारों के भंडार.

    मदरसे: आतंकी प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल होने वाले धार्मिक स्कूल. 

    पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

    पाकिस्तानी वायुसेना ने जवाबी कार्रवाई की कोशिश की, लेकिन भारतीय विमानों की त्वरित वापसी और सटीकता ने उन्हें नाकाम कर दिया. पाकिस्तान ने हमले को “आक्रामकता” करार दिया, लेकिन सैन्य जवाब से बचा.



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