इजरायल और ईरान के बीच की जंग लगातार तेज होती जा रही है. दोनों ओर से भीषण नुकसान हो रहा है. इस बीच इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बैट याम शहर का दौरा किया, जहां ईरानी एयरस्ट्राइक में भारी तबाही मची है.
इजरायल का बैट याम शहर राजधानी तेल अवीव के नजदीक है. यहां ईरानी मिसइलों में ढेर हुई शहर की इमारतों का जायजा लेते हुए नेतन्याहू ने ईरान को सीधे चेतावनी दी कि इस तबाही की भारी कीमत चुकानी होगी.
नेतन्याहू ने कहा कि महिलाओं और बच्चों सहित निर्दोष नागरिकों की हत्या करने के लिए ईरान को बहुत भारी कीमत चुकानी होगी. ईरान जानबूझकर रिहायशी इलाकों को निशाना बना रहा है. हम अपना लक्ष्य हासिल करेंगे और भीषण तरीक से हमला करेंगे.
उन्होंने कहा कि इजरायल के लिए यह जंग अस्तित्व की है क्योंकि ईरान का परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम इजरायल के लिए दोहरी विनाशकारी धमकी है. देखिए, रिहायशी इलाकों को कितना नुकसान पहुंचाया गया है, अगर इनके पास परमाणु बम होते तो क्या होता. ऐसे में हम अपनी रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाएंगे.
नेतन्याहू के अलावा इजरायल के राष्ट्रपति इसाक हरजोग और राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतमार बेन ग्विर ने भी बैट याम का दौरा कर नुकसान का जायजा लिया.
बता दें कि इजरायल और ईरान के बीच 13 जून से जंग जारी है. इजरायल ने 13 जून को ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया था और ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ का नाम दिया था. इसके बाद ईरान ने भी ‘ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3’ लॉन्च कर इजरायल पर जवाबी हमला किया.
इजरायल का दावा है कि रविवार को उसने 2,300 किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्वी ईरान में माशाद एयरपोर्ट पर हमला किया है. वहीं, ईरान का दावा है कि उसने इजरायल के तीन लड़ाकू विमानों को मार गिराया है और दो पायलटों को बंधक बना लिया है.
ईरान का दावा है कि तीन दिन में इजरायली हमलों में 224 लोगों की मौत हुई है. ईरानी स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता हुसैन केरमानपोर ने बताया कि 13 जून से अब तक इजरायली हमलों में 224 लोग मारे गए हैं. उन्होंने बताया कि इन हमलों में 1,277 लोग घायल हुए हैं. उन्होंने दावा किया कि इजरायली हमलों का शिकार होने वालेो में 90 फीसदी आम नागरिक हैं.
इजरायल और ईरान के बीच ठनी कैसे?
इजरायल और ईरान मिडिल ईस्ट के दो देश हैं. मौजूदा समय में दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे बने हुए हैं लेकिन कभी ऐसा समय भी था जब दोनों के संबंध अच्छे थे. 14 मई 1948 को इजरायल की स्थापना के बाद 1950 में ईरान ने उसे राष्ट्र के तौर पर मान्यता भी दी थी.
साल 1953 में ईरान में तख्तापलट के बाद दोबारा शाह का शासन शुरू हुआ. मोहम्मद रजा शाह पहलवी के शासन में ईरान और इजरायल के बीच खूब दोस्ती रही. नए-नए बने इजरायल को ईरान ने खूब तेल दिया था. यह वह दौर था जब इजरायल को बाकी खाड़ी देश बहुत ज्यादा पसंद नहीं करते थे. 1968 में दोनों के बीच एक समझौता भी हुआ ताकि पाइपलाइन के जरिए ईरान से तेल इजरायल पहुंच सके. 1980 के दशक में ईरान का इराक के साथ युद्ध चल रहा था, तब इजरायल ने ही उसे हथियार दिए. इजरायल ने ईरान को हाईटेक मिसाइलें और एंटी-टैंक गन जैसे हथियार दिए थे.
लेकिन दोनों देशों के रिश्ते तब बिगड़ना शुरू हुए, जब 1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांति हुई. इस्लामिक क्रांत के बाद ईरान में शाह का शासन खत्म हुआ. अयातुल्लाह अली खामेनेई सुप्रीम लीडर बने. इस इस्लामिक क्रांति ने न सिर्फ ईरान को बदल दिया बल्कि इजरायल से रिश्ते भी बिगाड़े. कभी उदारवादी रहा ईरान अब एक कट्टरपंथी इस्लामी राष्ट्र बन चुका था. इस्लामिक क्रांति ने ईरान को अमेरिका और सऊदी अरब जैसे देशों से भी दूर कर दिया था. लेकिन 1991 के खाड़ी युद्ध ने हालात और खराब किए. ईरान ने एक बार इजरायल को छोटा शैतान और अमेरिका को बड़ा शैतान कहकर संबोधित किया था. उस पर इजरायल के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर छेड़ने का भी आरोप लगता है.