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    न्यूक्लियर डील पर बातचीत को विफल करना था इजरायल का मकसद, नेतन्याहू सरकार पर ईरान के गंभीर आरोप

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    इजरायल और ईरान के बीच बीते दो दिनों से ताबड़तोड़ ड्रोन-मिसाइल हमले हो रहे हैं. इसकी शुरुआत इजरायल ने ईरान के न्यूक्लियर साइट्स को टारगेट करके की थी. यह हमला तब किया गया, जब अमेरिका ईरान के साथ न्यूक्लियर डील पर बातचीत कर रहा था. दोनों मुल्कों में पांच दौर की बातचीत हो गई थी, और छठे दौर की बातचीत ओमान में होने वाली थी, लेकिन इस बीच इजरायल ने हमला कर दिया. ईरानी प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि न्यूक्लियर डील पर बातचीत को विफल करना ही इजरायल का मकसद था.

    ईरान सरकार की प्रवक्‍ता फातिमा मोहाजेरानी ने रविवार को कहा कि देश ओमान में छठे दौर की परमाणु वार्ता के लिए तैयार था, लेकिन इजरायल के शुक्रवार को किए गए हमलों ने इसे रोक दिया. मोहाजेरानी ने बताया कि सुरक्षा कारणों से ईरान में घरेलू उड़ानें रद्द कर दी गई हैं.

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    मेट्रो स्टेशन और स्कूल नागरिक सुरक्षा के लिए खोले गए

    इजरायली शासन ने आश्वासन दिया कि नागरिकों को खाद्यान्न और अन्य आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराई जाएंगी. इसके अलावा, मेट्रो स्टेशन और स्कूल जैसे आश्रय केंद्र भी खोल दिए गए हैं ताकि नागरिक सुरक्षित रह सकें. उन्होंने कहा कि इजराइल के हमलों का उद्देश्य वार्ता को बाधित करना था, जो रविवार को ओमान में फिर से शुरू होने वाली थी, लेकिन बाद में उसे रद्द कर दिया गया.

    इस बीच इजरायली सेना ने ईरान में हथियार उत्पादन केंद्रों के आस-पास रहने वाले लोगों को वहां से तुरंत निकलने की चेतावनी दी है. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि हमले और तेज होंगे, कम नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि 

    इजरायल ने ईरान में फिर किए मिसाइल हमले

    इजरायली वायुसेना ने तेहरान में करीब 80 टारगेट पर हमले किए हैं, जिनमें ईरान के रक्षा नवाचार और अनुसंधान संगठन (SPND) का मुख्यालय भी शामिल था. तेहरान में हुई इस हमले में सामरिक एवं सैन्य स्थान शामिल थे जिन्होंने ईरान के परमाणु और हथियार कार्यक्रम को निशाना बनाया. ब्रिगेडियर जनरल एफी डेफ्रिन ने बताया कि अब तक पूरे ईरान में कुल मिलाकर अबतक 250 से अधिक लक्ष्य हमले की चपेट में आए हैं.

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    ईरान पर इजरायल ने हमला क्यों किया?

    इजरायल का कहना है कि उसका उद्देश्य ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना और उसकी बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता को खत्म करना है. वहीं ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से नागरिक और शांति पूर्ण है, लेकिन इजरायल इसे अपनी सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा मानता है.



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