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    क्या ईरान को पाकिस्तान से मिली थी परमाणु बम बनाने की तकनीक? जानें क्यों किया जाता है ऐसा दावा

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    इजरायल ने ऑपरेशन राइजिंग लॉयन के तहत शुक्रवार की सुबह ईरान पर एक बड़ा हमला किया. इस हमले के पीछे वजह ईरान का बढ़ता परमाणु कार्यक्रम बताया गया. इजरायल का आरोप है कि ईरान उसके खिलाफ परमाणु हथियार विकसित कर रहा है. कई ऐसे मौके आए जब इजरायल ने इसके सबूत भी दिए. 

    इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने 2018 में ईरान में घुसकर वहां के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े खुफिया दस्तावेज उड़ा लिए थे. इसी में कुछ ऐसे संकेत मिले जो इशारा करते हैं कि शुरुआती दौर में ईरान को पाकिस्तान से परमाणु तकनीक की जानकारी मिली थी. 

    इजरायल ने ऐसे इकट्ठा किए थे सबूत
    इजरायल ने सबसे बड़ा सबूत तब दिया जब उसकी खुफिया एजेंसी मोसाद ने 2018 में ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े दस्तावेज उड़ा लिए. इसके बाद ईरान पर इजरायल के खिलाफ परमाणु हथियार विकसित करने के आरोप लगाए गए. Ynet News की एक रिपोर्ट के अनुसार मोसाद के खुफिया ऑपरेशन माध्यम से हासिल  55 हजार पन्ने के ईरानी परमाणु कार्यक्रम से जुड़े दस्तावेज में वो सारे डिटेल थे जो उनके परमाणु हथियार विकसित करने की योजना की ओर इशारा करते थे. 
     
    मोसाद ने जिस दस्तावेज को उड़ाया, उसी से खुले सारे राज
    ईरान के सुरक्षित कमरे से रखे गुप्त परमाणु दस्तावेज, जिसे मोसाद एजेंट हजारों किलोमीटर दूर इजरायल तक ले जाने में कामयाब रहे. उसमें ईरान के गुप्त सैन्य परमाणु कार्यक्रम के बारे में सबकुछ था. इजरायल के न्यूज आउटलेट की रिपोर्ट के अनुसार ईरान का परमाणु कार्यक्र  1992 या 1993 में आकार लेने लगा. जब ईरानियों को यूरेनियम संवर्धन के लिए सेंट्रीफ्यूज के उत्पादन और संचालन के लिए तकनीक हासिल करने में दिलचस्पी हुई.

    पाकिस्तान से परमाणु सीक्रेट हासिल करने के मिले थे संकेत
    उस वक्त तेहरान ने अपना अधिकांश जानकारी पाकिस्तान के परमाणु परियोजना निदेशक अब्दुल कदीर खान से हासिल की. बाद में अन्य चीन जैसे अन्य स्रोत से भी इस कार्यक्रम के लिए जानकारी हासिल की गई. ऐसे में इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने ईरान से जो परमाणु कार्यक्रम से जुड़े दस्तावेज उड़ाए थे, उसमें पाकिस्तान से परमाणु तकनीक की जानकारी हासिल होने के संकेत मिलते हैं. ये साफ हो गया था. 

    यह भी पढ़ें: ईरान में घुसकर मोसाद ने उड़ाए थे 55 हजार पन्नों के परमाणु दस्तावेज, ऐसे दिया था ऑपरेशन को अंजाम

    ऐसे तैयार हुआ नातांज परमाणु फैसिलिटी
    इसके बाद ईरान ने आगे का काम शुरू किया. उसने पहले सेंट्रीफ्यूज को दमावंद नामक स्थान पर डिजाइन किया था. इजरायल ने परमाणु संवर्धन सुविधा के निर्माण के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चेतावनी दी थी, इसलिए ईरान ने इसे नष्ट करने और इसके स्थान पर एक और निर्माण करने का फैसला किया. यह वह जगह थी जो बाद में नातांज परमाणु सुविधा के नाम से प्रसिद्ध हो गई. ईरानी दस्तावेजों में, इस जगह को “काशान” कहा गया था, और यहां सेंट्रीफ्यूज की संख्या बढ़ती जा रही है. 

    यह भी पढ़ें: जब मोसाद एजेंट बन बैठा ईरान की खुफिया एजेंसी का हेड, पूर्व राष्ट्रपति ने किया था खुलासा

    इजरायल के हमले में नेस्तनाबूद हुआ नातांज 
    इसी नातांज परमाणु साइट पर शुक्रवार को इजरायल ने एयर स्ट्राइक करके इसे तबाह कर दिया. इसके अलावा भी ईरान में इस्फहान और फोर्डो जैसे दूसरे अन्य न्यूक्लियर फैसिलिटी थे. इन जगहों पर भी इजरायल ने मिसाइल हमला करने की बात कही है. 



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