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    UP: मेडिकल कॉलेज में डायलिसिस के दौरान कट गई बिजली, जनरेटर भी नहीं चला, मशीन रुकने से मरीज की मौत

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    यूपी के बिजनौर मेडिकल कॉलेज में लचर व्यवस्था की वजह से एक मरीज की जान चली गई. फूलसंदा गांव के रहने वाले 25  साल के सरफराज अपनी मां सलमा के साथ डायलिसिस कराने सुबह 10 बजे मेडिकल कॉलेज पहुंचा था. डायलिसिस प्रक्रिया चल ही रही थी और उसी दौरान अचानक बिजली चली गई और मशीन रुक गई. परिजनों ने जनरेटर चलवाने की मांग की, लेकिन स्टाफ ने बताया कि जनरेटर में डीजल नहीं है.

    जनरेटर में नहीं था डीजल

    इस लापरवाही के कारण डायलिसिस मशीन में चढ़ाया गया आधा खून वहीं रुक गया, जिससे सरफराज की तबीयत बिगड़ गई. इस दौरान सरफराज की मां सलमा गुहार लगाती रही लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. सीडीओ पूर्ण बोहरा उसी वक्त अस्पताल में सफाई व्यवस्था की जांच करने पहुंचे थे. उन्होंने जब महिला की चीखें सुनीं तो तुरंत डायलिसिस कक्ष में गए और जनरेटर चलवाने का आदेश दिया लेकिन जब जनरेटर कक्ष में जाकर देखा तो डीजल का एक बूंद भी मौजूद नहीं था.

    सीडीओ ने तत्काल अपने कार्यालय के स्टाफ से 50 लीटर डीजल मंगवाया, जिससे अन्य चार मरीजों की डायलिसिस पूरी हो सकी, लेकिन तब तक सरफराज की मौत हो चुकी थी. इस घटना से अस्पताल में हंगामा मच गया. सूचना मिलते ही सीएमओ और फिर डीएम जसजीत कौर मौके पर पहुंचीं. डीएम ने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य उर्मिला काले से जवाब मांगा, जिन्होंने इसकी जिम्मेदारी संजीवनी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पर डाल दी.

    डीएम ने दिए जांच के आदेश

    सीडीओ ने शुरुआती जांच में बताया कि डायलिसिस विभाग में गंदगी थी, मशीनें बंद थीं और एसओपी का पालन नहीं हो रहा था. इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन द्वारा कंपनी को भुगतान किया जा रहा था. डीएम ने बताया कि कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने के लिए शासन को लिखा जा रहा है और सीडीओ को विस्तृत जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है.

     



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