Sonam Raghuwanshi : इंदौर के राजा रघुवंशी की हत्या के मामले में मेघालय पुलिस ने कुछ और चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. पूछताछ में सामने आया कि हत्या के बाद सोनम बुर्का पहनकर मेघालय से फरार हुई थी. टैक्सी, बस और ट्रेन के ज़रिए मध्यप्रदेश के इंदौर पहुंची. हत्या की योजना फरवरी में ही बननी शुरू हो गई थी, वैसे साजिश की अंतिम रुपरेखा इंदौर में शादी से ठीक पहले रची गई थी, जिसमें सोनम भी शामिल थी.
तीनों दोस्त, कॉन्ट्रैक्ट किलर नहीं
मेघालय पुलिस ने बताया कि राज कुशवाहा के तीन दोस्त विशाल, आकाश और आनंद भी गिरफ्तार किए गए हैं. ये पहले सुपारी किलर माने जा रहे थे, लेकिन ये राज के दोस्त थे और पैसे के बजाय दोस्ती के लिए हत्या की. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि राज ने खर्चे के लिए इन दोस्तों को 50,000 रुपये दिए थे.
दूसरी महिला की हत्या की थी योजना
मेघालय के ईस्ट खासी हिल्स जिले के पुलिस अधीक्षक विवेक सिएम ने बताया कि एक योजना थी कि राजा को मारने के बाद लोगों को यह विश्वास दिलाया जाए कि सोनम नदी में बह गई. इसके लिए इन लोगों ने तय किया था कि किसी और महिला को मारकर,उसे सोनम बताया जाएगा. हालांकि, ये योजनाएँ सफल नहीं हो पाईं और उसके पहले ने पुलिस ने सभी आरोपियों को सलाखों के पीछे भेज दिया.
कैसे हुई राजा की हत्या
हत्या की साजिश के तहत आरोपी 19 मई को असम पहुंचे, और शुरुआती योजना के अनुसार राजा को गुवाहाटी में मारने की कोशिश थी, जो असफल रही. इसके बाद सोनम ने शिलॉन्ग और सोहरा जाने का सुझाव दिया और सभी आरोपी नोंग्रियात में मिले. वहां से सभी साथ वेसाडोंग फॉल्स के लिए निकले. विवेक सिएम के मुताबिक, दोपहर 2:00 बजे से 2:18 बजे के बीच तीनों ने असम से खरीदे माछेते (चाकू जैसे हथियार) से राजा पर हमला कर दिया और सोनम के सामने ही उसकी हत्या कर दी. फिर लाश को खाई में फेंक दिया गया. हत्या के बाद सोनम ने अपना रेनकोट आकाश को दिया क्योंकि उसकी शर्ट पर खून के धब्बे थे. बाद में उस रेनकोट और टू-व्हीलर को घटनास्थल से कुछ दूरी पर छोड़ दिया गया था, जिसे पुलिस ने सोनम के ‘लापता’ होने के दौरान बरामद किया.
सोनम की फरारी की कहानी
राज ने अपने दोस्त विशाल को एक बुर्का दिया, जिसे सोनम ने पहना. वह पुलिस बाजार से टैक्सी लेकर गुवाहाटी गई, फिर बस से सिलिगुड़ी (पश्चिम बंगाल), फिर पटना और आरा, फिर ट्रेन से लखनऊ और वहां से बस से इंदौर पहुंची.
कैसे खुला पूरा राज
इस बीच मेघालय मीडिया ने एक गाइड से बात की, जिसने राजा और सोनम को तीन अन्य लोगों के साथ देखा था. राज ने सोनम से कहा था कि वह सिलिगुड़ी जाकर खुद को अगवा बताकर पेश करे. लेकिन 8 जून को सोनम जब इंदौर से निकली, तभी मेघालय पुलिस की दो टीमें यूपी और मध्यप्रदेश पहुंच चुकी थीं. जब यूपी में पहली गिरफ्तारी (आकाश) हुई, तब राज घबरा गया और सोनम से कहा कि वह अपने परिवार को फोन कर दे और कहे कि वह किसी गैंग से बचकर निकली है. यहीं से यह पूरा मामला उजागर हुआ और सोनम गाज़ीपुर में पुलिस के सामने आई. सोनम और राज को लगा था कि राजा की लाश जल्दी नहीं मिलेगी क्योंकि जगह बहुत दुर्गम थी और जांच में महीने भर का वक्त लग सकता था. इसी वजह से सोनम खुद को अगवा दिखाकर सहानुभूति पाना चाहती थी.
जल्द चार्जशीट होगी दाखिल
पुलिस अधीक्षक सिएम ने कहा कि आरोपियों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं. उन्होंने भरोसा जताया कि 90 दिनों की समयसीमा के भीतर चार्जशीट दाखिल कर दी जाएगी. सभी पांच आरोपियों को बुधवार को 8 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है. डीआईजी डीएनआर मराक ने बताया कि SIT मामले की जांच में जुटी है और असम समेत अन्य राज्यों की पुलिस से सहयोग लिया जा रहा है. वे यह भी जांच कर रहे हैं कि क्या आरोपियों ने पहले से सोहरा और नोंग्रियात के जंगलों की रेकी की थी.