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    हिंदू कार्यकर्ता सुहास शेट्टी हत्याकांड की जांच NIA के हवाले, MHA ने जताई आतंकी साजिश की आशंका

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    कर्नाटक के मंगलुरु में हिंदू कार्यकर्ता सुहास शेट्टी की दिनदहाड़े हुई निर्मम हत्या की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दी गई है. गृह मंत्रालय ने इस मामले को लक्षित हत्या और आतंक फैलाने की साजिश करार देते हुए इसे केंद्रीय एजेंसी को ट्रांसफर कर दिया है. एनआईए जल्द इस मामले में आधिकारिक तौर पर केस दर्ज कर जांच की कमान संभालेगी.

    रविवार को गृह मंत्रालय ने एनआईए को आदेश जारी कर दिए हैं. गृह मंत्रालय के अनुसार, यह हत्या देश की आंतरिक सुरक्षा और सांप्रदायिक सौहार्द पर असर डालने वाला गंभीर अपराध है, जिसके पीछे संगठित नेटवर्क और गहरी साजिश की संभावना है. सूत्रों के मुताबिक, इस हत्याकांड से जुड़े आरोपी प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से जुड़े हुए हैं. 

    यही वजह है कि इस मामले की गहराई से जांच जरूरी है. गृह मंत्रालय की मंशा साफ है कि इस हमले के पीछे की साजिश और नेटवर्क का पूरी तरह भंडाफोड़ होना चाहिए. हिंदू कार्यकर्ता सुहास शेट्टी की हत्या 1 मई को मंगलुरु के बाहरी इलाके बाजपे के किन्नीपदावु में की गई थी. वो अपने साथियों के साथ एक वाहन में जा रहे थे, पांच-छह हमलावरों ने उसका रास्ता रोका. 

    इसके बाद धारदार हथियारों से उस पर ताबड़तोड़ हमला किया गया. इस घटना का वीडियो एक सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ, जिसमें हमलावरों को छुरे और तलवारों से उस पर वार करते हुए साफ देखा गया. लहूलुहान हालत में शेट्टी को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. सुहास शेट्टी विभिन्न हिंदूवादी संगठनों से जुड़े हुए थे.

    उनके खिलाफ हमला, हत्या और गैरकानूनी जमावड़े जैसे कई आपराधिक मामले दर्ज थे. हालांकि, हत्या की बर्बरता और साजिश की गहराई ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया. कर्नाटक पुलिस ने इस हत्याकांड में अब तक कुल 16 लोगों को गिरफ्तार किया है. सबसे ताजा गिरफ्तारी 3 जून को हुई, जब मंगलुरु निवासी अब्दुल रजाक (59) को गिरफ्तार किया गया. 

    रजाक पर आरोप है कि उसने मुख्य आरोपी मोहम्मद मुजम्मिल और अन्य को अपने घर पर शरण दी, जहां हत्या की साजिश रची गई. रजाक सिर्फ शरणदाता नहीं था, बल्कि साजिशकर्ताओं का करीबी भी था. वह आरोपी मुजम्मिल का पिता है. इस मामले में एक अन्य आरोपी नौसाद वामनजूर उर्फ छोटे नौसाद का ससुर भी है. उसने हत्या की प्लानिंग की थी.

    गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद अब एनआईए इस केस को नए सिरे से देखेगी. सूत्रों का कहना है कि एनआईए इस हत्या को लक्षित हत्या और आतंकी मानसिकता से प्रेरित कृत्य मान रही है. इसका उद्देश्य लोगों के मन में डर पैदा करना था. एनआईए के सामने अब सबसे बड़ा लक्ष्य इस हत्याकांड में शामिल सभी चेहरों और संभावित आतंकी नेटवर्क का खुलासा करना होगा. 

    बताते चलें कि पीएफआई को भारत सरकार ने 2022 में प्रतिबंधित कर दिया था. आरोप था कि यह संगठन देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त है. युवाओं को कट्टरपंथी बनाने का काम करता है. सुहास शेट्टी की हत्या के तार जब पीएफआई से जुड़े आरोपियों तक पहुंचे, तो इसकी गंभीरता और बढ़ गई. इस हत्याकांड के बाद से मंगलुरु और आसपास के इलाकों में तनाव का माहौल है. 



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