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    चारों ओर पत्थर ही पत्थर… 75 साल में पहली बार चिनाब नदी में ऐसा सूखा, पढ़ें ग्राउंड जीरो से रिपोर्ट

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    भारत ने जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर बने बगलिहार और सलाल डैम के गेट बंद कर पाकिस्तान जा रहा पानी रोक दिया है, जिसे ‘जल प्रहार का राउंड टू’ कहा जा रहा है. इसके चलते पाकिस्तान की ओर बह रही चिनाब नदी सूख गई है, जबकि भारत का कहना है, ‘हिंदुस्तान की धरती पर खून बहेगा तो पाकिस्तान में पानी की एक बूंद नहीं बहेगी’. पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में गुहार लगाई है और कथित तौर पर परमाणु बम की धमकी दी है, जिसे भारत ने गीदड़ भभकी बताया है. आजतक ग्राउंड ज़ीरो पर पहुंच कर मौजूदा हालात को जानने की कोशिश की है. आइए जानते हैं कि ज़मीनी स्तर पर क्या हालात हैं.

    ग्राउंड ज़ीरो से रिपोर्ट: चिनाब नदी सूखी

    भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया है और पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए बगलिहार और सलाल डैम से चिनाब नदी का पानी रोक दिया है. जम्मू के अखनूर में चिनाब नदी, जिसका प्राचीन नाम चंद्रभागा है, का जलस्तर काफी घट गया है. जहां कुछ समय पहले पानी बहता था, वहां अब पत्थर दिख रहे हैं.

    जल और रक्त एक साथ नहीं बह सकते

    भारत ने स्पष्ट किया है कि वह गैर-सैन्य और सैन्य दोनों विकल्पों से पाकिस्तान को जवाब दे सकता है. जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, “जल और रक्त एक साथ नहीं बह सकते हैं.”

    तीन पश्चिमी नदियों पर भारत का रुख सख्त

    भारत ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है कि अगर वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो जो तीन पश्चिमी नदियां हैं—चिनाब, झेलम और सिंधु—उनके जल प्रवाह को रोकने में हम पूरी तरह सक्षम हैं. इसका प्रमाण यह है कि रविवार को पानी रोक दिया गया और पाकिस्तान में हाहाकार मच गया.

    यह भी पढ़ें: ये है भारत की ताकत… जर्मनी-फ्रांस का बड़ा फैसला, कहा- नहीं करेंगे पाकिस्तानी एयरस्पेस का यूज!

    पहलगाम हमले के बाद लिए गए सख्त फैसले

    दरअसल, पहलगाम में जो बर्बर आतंकी हमला हुआ, उसके बाद भारत सरकार ने कड़े कदम उठाए. कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक हुई थी, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. उसके बाद कई कड़े फैसले लिए गए. उनमें से एक महत्वपूर्ण फैसला यह था कि सिंधु जल संधि (1960) को स्थगित किया गया.

    भारत का कड़ा संदेश: सैन्य और गैर-सैन्य विकल्प खुले

    भारत और पाकिस्तान के बीच जो 1960 की जल संधि हुई थी, उसे स्थगित कर भारत ने यह स्पष्ट किया कि अगर पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो भारत उसे मुंहतोड़ जवाब देगा. हमारे पास गैर-सैन्य विकल्प भी हैं और सैन्य विकल्प भी. फिलहाल जो गैर-सैन्य विकल्प हमारे पास है, उसका प्रयोग किया गया है. सिंधु जल संधि के अंतर्गत जो तीन पश्चिमी नदियां हैं—चिनाब, झेलम और सिंधु—जिनका नियंत्रण और अधिकार पाकिस्तान को था, उस संधि को स्थगित कर पाकिस्तान को एक कड़ा संदेश दिया गया है.

    यह भी पढ़ें: ‘मुश्किल वक्त में हमेशा पाकिस्तान के साथ…’, अब चीन ने दिया शहबाज को मदद का भरोसा, साथ आए भारत के दो दुश्मन!

    पाकिस्तान की बौखलाहट और भारत की प्रतिक्रिया

    पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और भारत ने यह दिखाया कि अगर हमने पानी रोक दिया तो क्या हो सकता है.



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