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    सीजफायर के लिए रखी शर्त…सैनिकों के शवों की वापसी और कैदियों की अदला-बदली, रूस-यूक्रेन के बीच इन मुद्दों पर बनी बात

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    तुर्किये की राजधानी इस्तांबुल में 2022 के बाद शांति वार्ता का दूसरा दौर की बैठक सोमवार को हुई. यह बैठक अपने निश्चित समय के दो घंटे बाद शुरू हुई और एक घंटे के अंदर ही समाप्त हो गई. वार्ता के दौरान दोनों देशों के प्रतिनिधियों के तेवर सख्त दिखे. रूस ने वार्ता के दौरान स्पष्ट किया कि सीजफायर पर तब सहमति बनेगी जब यूक्रेन उन चार जगहों से सैनिकों को हटाएगा जिनपर रूस का आंशिक नियंत्रण है. वहीं, यूक्रेन का कहना है कि रूस युद्धविराम नहीं चाहता है और इसे शांति के दिशा में मजबूर करने के लिए नए प्रतिबंधों की तत्काल आवश्यकता है. 

    शांति वार्ता में क्या बातचीत हुई?

    रूस के प्रतिनिधि मेडिंस्की ने जानकारी दी है कि युद्ध के दौरान मारे गए 12 हजार सैनिकों के शवों को वापस लौटाने पर सहमति बनी है. ताकि इन सैनिकों को सम्मानजनक अंतिम संस्कार उनके रिती-रिवाज के अनुसार किया जा सके. उन्होंने कहा कि ग्रे जोन के जरिए शवों को सौंपा जाएगा. हालांकि, शवों को निकालने के लिए उस क्षेत्र में सीजफायर जरूरी है. 

    2-3 दिन का सीमित सीजफायर प्रस्ताव

    मेडिंस्की ने बताया कि 2-3 दिनों का सीमित सीजफायर प्रस्तावित किया गया, जो कि कुछ चयनित फ्रंटलाइन इलाकों के लिए होगा. इस सीजफायर का उद्देश्य सैनिकों के शवों को यूक्रेन को सुरक्षित सौंपना है. 

    1,000-1,000 युद्धबंदियों की अदला-बदली पर सहमति

    रूस-यूक्रेन के बीच 1,000-1,000 युद्धबंदियों की अदला-बदली पर सहमति बनी है. जल्दी ही प्रक्रिया शुरू की जाएगी. गंभीर रूप से घायल और बीमार सैनिकों की अदला-बदली पर दोनों पक्षों की सहमति बनी. 25 साल से कम उम्र के युवा सैनिकों को भी इस समझौते के दायरे में लाया गया है. 

    रूसी प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख व्लादिमीर मेडिंस्की वार्ता के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए (फोटो क्रेडिट – AFP)

    यह भी पढ़ें: रूस-यूक्रेन शांति वार्ता एक घंटे से भी कम समय में खत्म… जेलेंस्की बोले- मॉस्को पर लगाया जाए G7 स्तर पर प्रतिबंध

    स्थायी समिति के गठन पर सहमति

    युद्धबंदियों के अदला-बदली के लिए स्थायी समिति के गठन पर सहमति बनी है. ताकि भविष्य में युद्धबंदियों की प्रक्रिया तेजी और सुचारु रूप से पूरी की जा सके.

    रूस ने सौंपा शांति समझौते का मसौदा

    रूस ने बताया है कि यूक्रेन को तीन प्रमुख भागों वाला एक औपचारिक शांति मेमोरेंडम (ज्ञापन) सौंपा गया है. ऐसा बताया गया है कि ये मेमोरेंडम लंबे समय के लिए शांति की दिशा में ठोस कदम हो सकता है. कीव के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले यूक्रेनी रक्षा मंत्री रुस्तम उमरोव ने कहा कि रूस के मेमोरेंडम पर पुनर्विचार किया जाएगा. अभी तुरंत ही पर कुछ टिप्पणी नहीं की जा सकती.

    रूसी प्रतिनिधिमंडल सिरागन पैलेस के बाहर अन्य सदस्यों के साथ (फोटो क्रेडिट – रॉयटर्स)

    400 बच्चों की वापसी की सूची रूस को सौंपी, केवल 10 पर तैयार हुआ क्रेमलिन

    यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा कि रूस के कब्जे वाले इलाकों से 400 यूक्रेनी बच्चों की सूची क्रेमलिन को सौंपी गई. हालांकि, वह केवल 10 बच्चों की वापसी पर सहमति जताई. वहीं, रूस का कहना है कि वह बच्चों को युद्ध क्षेत्र से किसी सुरक्षित स्थान पर पहले ही लेकर जा चुका है.

    यूक्रेन ने वार्ता के बाद क्या कहा?

    यूक्रेन के रक्षा मंत्री रुस्तेम उमेरोव ने कहा है कि रूस के तरह किसी भी तरह का समाधान केवल टॉप लीडरशिप के लेवल पर किया जा सकता है. उन्होंने वार्ता के दौरान प्रस्ताव रखा कि जून के अंत तक राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की और व्लादिमीर पुतिन के बीच एक सीधी बैठक का आयोजन हो. 

    यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल सिरागन पैलेस से निकलते हुए (फोटो क्रेडिट – AFP)

    रूस पर यूक्रेन का जोरदार हमला

    शांति वार्ता से ठीक एक दिन पहले रविवार को यूक्रेन ने रूस पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया. यूक्रेन की सुरक्षा सेवा (SBU) ने रूस के चार अलग-अलग एयरबेस पर हमला किया है, जिसमें 41 भारी रूसी बॉम्बर्स विमानों को निशाना बनाया गया.

    ड्रोन हमलों में रूस के चार एयरबेस को टारगेट किया गया:

    • बेलाया एयरबेस, इरकुत्स्क ओब्लास्ट (यूक्रेन से 4000 किमी दूर)
    • ओलेन्या एयरबेस, मुरमांस्क ओब्लास्ट
    • डियाघिलेव एयरबेस, रियाजान ओब्लास्ट
    • इवानोवो एयरबेस, इवानोवो ओब्लास्ट

    नवंबर 2024: रूस की परमाणु नीति बदली, संप्रभुता पर हमले की स्थिति में भी इस्तेमाल संभव

    नवंबर 2024 में रूस ने परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की अपनी पॉलिसी बदली है. रूस की नीती अब ये है कि न सिर्फ परमाणु हथियार परमाणु हमले के केस में बल्कि अगर रूस की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को जरा सा भी खतरा हुआ. तो रूस अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा.

    रूस भले ही यूक्रेन पर परमाणु हथियारों का इस्तेमाल ना करे. लेकिन रूस को यूक्रेन के खिलाफ अपने सबसे खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल करने का मौका मिल गया है. इतना तो माना ही जा सकता है. उसे बहाना तो मिल ही गया है.

    क्या है रूस के ये खतरनाक हथियार?

    रूस की आर्सेनिक मिसाइल जिसकी स्पीड आवाज की गति से 10 गुना ज्यादा है उसे सुपरसोनिक कहते हैं. मतलब स्पीड ऑफ साउंड से 10 गुना ज्यादा. एक सेकंड में इसकी रेंज 5000 किलोमीटर तक है.

    रूस का दूसरा खतरनाक हथियार है – सेटन 2 मिसाइल, जो की ये इंटरकॉन्टिनेंटल बेलिस्टिक मिसाइल है. ये रूस के सबसे ज्यादा पावरफुल हथियार में जो हथियार है उनके उसमें माना जाता है. लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति को लगता है कि उनका रूस पर किया गया ये हमला रूस को बातचीत की टेबल पर लेकर आएगा.

    इस तरह की थ्योरीज दी जा रही है कि वो ये चाहते हैं कि दबाव बने और उस पर कि यूक्रेन से वो डर जाएंगे. उन्हें ये भी लगता है कि अमेरिका और यूरोप के हथियारों के आगे रूस के हथियार कमजोर है.

    ज़ेलेंस्की को अभी तक अमेरिका और यूरोप के कई देशों ने मदद मिली है. भारी मात्रा में हथियार मिले हैं. उन्हें उम्मीद है कि ये मदद उन्हें आगे भी मिलती रहेंगी.

    युद्ध के नए तरीकों का खतरा

    इस वक्त पूरी दुनिया में बहुत बड़ी चर्चा चल रही है. खतरा है भविष्य के युद्ध के बदले तरीकों का यूक्रेन ने रूस पर ऐसा ड्रोन हमला किया है जिसे ‘भविष्य का युद्ध’ कहा जा रहा है. लड़ाई की तकनीक और तरीके बदल चुके हैं.

    इन नए लड़ाई के तरीकों से भारत क्या सीख सकता है? पूरी दुनिया में यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या रूस और यूक्रेन के बीच परमाणु युद्ध हो सकता है? क्या यह युद्ध अब तीसरे विश्व युद्ध में बदल रहा है?

    रूस का “पर्ल हार्बर” क्षण

    आइए जानते हैं कि रूस पर हुए यूक्रेन के इस हमले को रूस का “पर्ल हार्बर” क्षण क्यों कहा जा रहा है?

    7 दिसंबर 1941 को जापान ने हवाई स्थित अमेरिकी नौसेना बेस “पर्ल हार्बर” पर एक अचानक हमला किया. इसी के बाद अमेरिका की द्वितीय विश्व युद्ध में आधिकारिक एंट्री हुई थी.

    जापान ने अमेरिका के 20 नौसेना पोतों को तबाह कर दिया था पर्ल हार्बर में. जिसमें अमेरिका के आठ युद्धपोत भी थे. 300 से अधिक विमान भी इस हमले में शामिल थे. इस हमले में 2400 से अधिक अमेरिकियों की मौत हो गई और 1000 से अधिक घायल हो गए थे.

    अब इसे रूस का पर्ल हार्बर इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इसमें भी आश्चर्य का तत्व था. रूस को पता ही नहीं चला कि उसकी धरती पर, उसके एयरबेस पर ड्रोन से ऐसा हमला किया जाने वाला है. इस हमले में रूस के बॉम्बर बेड़े के 30 प्रतिशत विमान नष्ट हो गए हैं.

    एक तरफ 7 दिसंबर 1941 की, जब जापान ने अमेरिकी युद्धपोत पर हमला किया था. 2400 अमेरिकी मारे गए थे. और दूसरी तरफ 1 जून 2025, जब यूक्रेन जैसे देश ने ड्रोन के जरिए रूस के 30 प्रतिशत बॉम्बर विमानों को तबाह कर दिया.

    पर्ल हार्बर हमले की परिणति क्या थी? जापान पर अमेरिका के परमाणु हमले से क्या अंजाम हुआ था?

    6 और 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के दो शहरों — हिरोशिमा और नागासाकी — पर परमाणु बम गिराए और उसके बाद द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया.

    अमेरिका ने जापान को हमले के लिए इसलिए चुना क्योंकि जापान ने अमेरिका के पर्ल हार्बर पर हमला किया था.

    इसीलिए अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या यूक्रेन के इस ड्रोन हमले की नतीजा भी परमाणु हमले में हो सकती है? क्या रूस अब इस हमले का बड़ा जवाब देगा?

    युद्ध बनता जा रहा है अहंकार की लड़ाई

    रूस और यूक्रेन का यह युद्ध अब एक बहुत बड़ी “अहंकार की लड़ाई” बनता जा रहा है. दोनों देशों के बीच यह अहंकार की टकराव है. विडंबना ही है कि एक तरफ किसी तीसरे देश में शांति वार्ता की बैठक हुई और दूसरी तरफ दोनों एक-दूसरे पर हमले कर रहे हैं.

    असल में पुतिन और जेलेंस्की दोनों का अहंकार इतना अधिक बढ़ चुका है कि युद्ध रोकने के लिए वे तैयार नहीं हैं. इसीलिए यह पूछा जा रहा है कि क्या रूस और यूक्रेन का यह युद्ध परमाणु युद्ध में तब्दील होगा? और अगर ऐसा हुआ, तो उसका असर कहां-कहां होगा?

    दुनिया के परमाणु फ्लैश पॉइंट्स

    इस वक्त दुनिया में परमाणु फ्लैश पॉइंट्स कहां-कहां हैं.

    रूस के पास इस वक्त 1710 तैनात परमाणु हथियार हैं, जिन्हें तुरंत इस्तेमाल किया जा सकता है.

    अमेरिका के पास ऐसे 1770 हथियार हैं. ब्रिटेन के पास 120. फ्रांस के पास 280 तैनात वॉरहेड्स हैं.

    भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इज़रायल के पास भी परमाणु हथियार हैं, लेकिन उन्हें “तैनात” नहीं माना जाता.

    सरल भाषा में बताएं तो रूस, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के पास ऐसे परमाणु हथियार हैं जिन्हें तुरंत उपयोग में लाया जा सकता है.

    क्या रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा?

    अब वो सवाल जिस पर पूरी दुनिया की निगाहें हैं — क्या रूस इस युद्ध में अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा?

    यहां यह बताना जरूरी है कि रूस के पास परमाणु हथियार हैं, यूक्रेन के पास नहीं. रूस के पास 1710 से ज्यादा तैनात परमाणु हथियार हैं.

    अनुमान है कि अगर रूस को यूक्रेन के रणनीतिक सैन्य ठिकानों को खत्म करना हो, तो उसे सिर्फ कुछ ही परमाणु हथियारों की जरूरत होगी.

    रूस के सबसे खतरनाक हथियार

    रूस के पास सबसे बड़ा बम है आरडीएस-220, जिसे “ज़ार बम” कहा जाता है. इसका वजन है 50 मेगाटन यानी 50,000 किलोटन है.

    अमेरिका ने हिरोशिमा पर जो परमाणु बम “लिटिल बॉय” गिराया था, उसका वजन सिर्फ 15 किलोटन था. ज़ार बम उससे 3333 गुना ज्यादा शक्तिशाली है.

    इसी तरह नागासाकी पर अमेरिका ने जो “फैट मैन” नाम का बम गिराया था वह 21 किलोटन का था. ज़ार बम उससे 2381 गुना अधिक वजनी है.

    अगर रूस ने यह बम यूक्रेन पर दाग दिया, तो अनुमान है कि 18 लाख से अधिक लोगों की मौत हो सकती है.

    यह सब बताने का मकसद सिर्फ इतना है कि आपको बताया जा सके कि दुनिया में कितने बड़े-बड़े फ्लैश पॉइंट्स बने हुए हैं  जहां युद्ध की आशंका बनी हुई है.

    रूस की बदली परमाणु नीति

    अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि रूस इस हमले का क्या जवाब देगा. लेकिन यह माना जा रहा है कि पुतिन को इसका बड़ा जवाब देना ही होगा.

    इसीलिए पुतिन ने इस युद्ध के दौरान अपनी परमाणु नीति भी बदल दी थी. नवंबर 2024 में रूस ने परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की नीति में बदलाव किया.

    अब रूस की नीति है कि अगर उसकी संप्रभुता या क्षेत्रीय अखंडता को ज़रा सा भी खतरा हुआ, तो वह परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा. यूक्रेन का हालिया हमला इसी श्रेणी में आ सकता है.

    रूस के पारंपरिक हथियारों का भी खतरा

    हालांकि रूस भले ही परमाणु हथियारों का प्रयोग न करे, लेकिन अब उसके पास यूक्रेन के खिलाफ अपने पारंपरिक लेकिन खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल करने का बहाना मिल गया है.

    जैसे रूस की आर्सेनल मिसाइल — जिसकी गति ध्वनि की गति से 10 गुना अधिक है. इसकी रेंज 5000 किलोमीटर तक है.

    रूस का दूसरा खतरनाक हथियार है आरएस-20 — एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल, जिसे रूस के सबसे शक्तिशाली हथियारों में गिना जाता है.

    जेलेंस्की की रणनीति

    यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को लगता है कि रूस पर किया गया यह हमला उसे वार्ता की मेज़ पर लाएगा. उनका मानना है कि अमेरिका और यूरोप के आधुनिक हथियारों के सामने रूस के हथियार कमजोर हैं. अमेरिका और यूरोप से यूक्रेन को लगातार सहायता मिली है और उन्हें उम्मीद है कि यह जारी रहेगी.

    जेलेंस्की का दावा है कि रूस को नुकसान होगा, और इसी दबाव में वह वार्ता को तैयार होगा. उनका कहना है कि यूक्रेन सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए लड़ाई लड़ रहा है.



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