मानव इतिहास की सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज किया गया है, जब देश के कई हिस्सों में मई और जून के महीनों में भारी गर्मी से आग की तरह लू और हीटवेव दर्ज की गई. उस वर्ष की भीषण गर्मी ने न केवल खेती को प्रभावित किया बल्कि जल और बिजली संसाधनों पर भी गहरा दबाव डाला. परन्तु 2025 में एक अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिला जब गर्मी शुरू होने से पहले ही खत्म हो गई.
मई 2025 में, देश के कई हिस्सों में असामान्य रूप से ठंडे मौसम और बारिश और आंधी-तूफान देखने को मिले. इससे यह संकेत मिलता है कि देश के जलवायु पैटर्न में व्यापक बदलाव हो रहा है. मौसम विज्ञानियों के अनुसार, एटमोसफेरिक सर्कुलेशन के पैटर्न में बड़ा परिवर्तन हुआ है, जिससे वार्षिक गर्मी की शुरुआत देर से हुई या कमजोर पड़ गई.
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बूंदाबांदी ने भी तापमान में संतुलन बनाए रखा
विशेषज्ञों का मानना है कि मानसून के गतिशीलता में आए बदलाव – जैसे जल्दी नमी आना और हवा के दिशा में बदलाव – ने सामान्य तापमान वृद्धि को दबाया है. इसके अतिरिक्त, बादलों की अधिकता और कहीं-कहीं हो रही बूंदाबांदी ने भी तापमान में संतुलन बनाए रखा.
जलवायु वैज्ञानिक इस बात पर जोर देते हैं कि इस तरह के अचानक बदलाव इस क्षेत्र में मौसम के पैटर्न की बढ़ती परिवर्तनशीलता और अप्रत्याशितता की ओर इशारा करते हैं. 2024 और 2025 के बीच का अंतर इस बात पर प्रकाश डालता है कि जलवायु परिवर्तन केवल धीरे-धीरे बढ़ने वाली गर्मी के बारे में नहीं है, बल्कि अधिक लगातार और तीव्र उतार-चढ़ाव के बारे में भी है.
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गर्मी से होने वाली बीमारियों की संभावना कम हुई
इस शुरुआती ठंडक ने एक मिश्रित प्रभाव डाला है. एक ओर यह अत्यधिक गर्मी से आराम देने वाली साबित हुई है, जिससे गर्मी से होने वाली बीमारियों की संभावना कम हुई और बिजली की मांग में भी कमी आई. वहीं, यह भी देखा जाना बाकी है कि लंबे समय में इस मौसम परिवर्तन के क्या परिणाम होंगे.