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    पहले CPEC और अब रेल प्रोजेक्ट… अफगानिस्तान-पाकिस्तान को साथ लाने की चीन का चाल हो रही कामयाब

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    पाकिस्तान में चल रहे चीनी प्रोजेक्ट चाइना-पाकिस्तान बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का विस्तार काबुल तक करने की अफगानिस्तान की सहमति के बाद अब वो पाकिस्तान के साथ मिलकर एक बड़े प्रोजेक्ट पर साथ काम करने जा रहा है. रविवार को अफगानिस्तान और पाकिस्तान क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए एक रेलवे लाइन प्रोजेक्ट पर सहमत हुए.

    अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी के बीच बातचीत में उज्बेकिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान (UAP) रेल प्रोजेक्ट पर साथ काम करने को लेकर सहमति बनी.

    विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया, ‘क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाने पर जोर देते हुए दोनों नेता उज्बेकिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान रेलवे लाइन प्रोजेक्ट पर साथ काम करने के लिए सहमत हुए हैं. दोनों नेता फ्रेमवर्क समझौते को जल्द से जल्द करने के लिए काम कर रहे हैं.’

    पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच रेल प्रोजेक्ट पर सहमति ऐसे वक्त में बनी है जब 30 मई को पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के साथ अपने राजनयिक रिश्तों को राजदूत स्तर पर अपग्रेड करने का फैसला किया है. पाकिस्तान के बाद अफगानिस्तान ने भी रिश्तों को आगे बढ़ाते हुए यह कदम उठाया है.

    विदेश मंत्रालय के मुताबिक, बातचीत के दौरान अफगानी मंत्री ने राजनयिक रिश्तों को आगे बढ़ाने के पाकिस्तान के कदम का स्वागत किया. बयान के मुताबिक, ‘उन्होंने इसे द्विपक्षीय रिश्तों में बेहद ही सकारात्मक बदलवा बताया.’

    तनाव के बाद अचानक क्यों सुधरने लगे अफगानिस्तान-पाकिस्तान के रिश्ते

    हाल के महीनों तक पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्तों में तनाव देखा जा रहा था. पाकिस्तान अफगानिस्तान पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के आतंकियों को पनाह देने का आरोप लगाता रहा है. इसी साल मार्च में पाकिस्तान के बलूचिस्तान में विद्रोहियों ने जाफर एक्सप्रेस को हाइजैक कर लिया गया था तब भी पाकिस्तान ने आरोप लगाया था कि विद्रोहियों के हैंडलर्स अफगानिस्तान में बैठे हैं.

    दोनों देशों के बीच सीमा और अफगानी शरणार्थियों को लेकर भी तनाव गहराया. लेकिन चीन की मदद से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्तों में नरमी आई है.

    अप्रैल में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के अपने समकक्षों से साथ एक त्रिपक्षीय बैठक की थी जिसमें CPEC  का विस्तार अफगानिस्तान तक करने पर सहमति बनी थी. अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बढ़ता सहयोग भारत के लिए चिंता का विषय है क्योंकि चीन क्षेत्र में अपनी रणनीतिक मौजूदगी बढ़ाता जा रहा है.

    चीन और पाकिस्तान का CPEC को अफगानिस्तान तक ले जाना भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय हितों के लिए खतरा है. अगर अफगानिस्तान CPEC का हिस्सा बनता है तो पाकिस्तान को क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त मिल जाएगी जो कि इस समय भारत के हितों के लिए बड़ा खतरा है.

    भारत की बात करें तो यह CPEC का कड़ा विरोध करता आया है क्योंकि यह कॉरिडोर पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर (POK) से होकर गुजरता है.

    भारत लगातार कहता रहा है कि CPEC उसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन है. ऐसे में अफगानिस्तान का CPEC प्रोजेक्ट का हिस्सा बनना पाकिस्तान के अवैध क्षेत्रीय दावों को मजबूत कर सकता है जो कि भारत की संप्रभुता के खिलाफ होगा. 



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