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    जेल, अस्पताल और सनसनीखेज खुलासा… जयपुर के होटल में रंगरलियां मनाने वाले कैदियों की पूरी कहानी

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    आए दिन जेल में बंद कैदियों और पुलिसवालों की मिलीभगत और जेल में व्याप्त भ्रष्टाचार की खबरें सामने आती रहती हैं. लेकिन जो खबर हम आपको बताने जा रहे हैं, उसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. मामला है राजस्थान का. जिससे पता चलता है कि कायदे कानूनों को पलीता लगाने में राजस्थान भी पीछे नहीं है. दरअसल, मामला सिक्कों की खनक के आगे कायदे कानून गिरवी रख कर जेल में बंद कैदियों को एक तय समय सीमा के लिए भगाने और फिर उन्हें वापस जेल में वापस लाने का था, जिसका अचानक 24 मई को पर्दाफाश हो गया. वरना क्या पता ये सिलसिला पहले भी चलता रहा होगा और आगे भी चलने वाला था.

    साजिश की शुरुआत और पर्दाफाश
    इस कहानी का खुलासा 24 मई को उस वक्त हुआ, जब सवाई मान सिंह अस्पताल इलाके में मौजूद पुलिस स्टेशन के एसएचओ को एक मुखबिर से खुफिया इत्तिला मिली. मुखबिर ने बताया कि जयपुर सेंट्रल जेल से चार कैदियों को इलाज के नाम पर एसएमएस अस्पताल लाया गया है, जहां से उन्हें भगाने की तैयारी है. ये सुनते ही पुलिस वाले सकते में आ गए. ये जेल ब्रेक का बड़ा मामला हो सकता था. 

    अस्पताल से कैदी फरार और पुलिसवाले ग़ायब
    लिहाजा, फौरन एसएमएस थाने की टीम लवाजमे के साथ अस्पताल पहुंची और जैसी कि खबर थी, मामला वैसा ही निकला. सचमुच अस्पताल के धनवंतरी ओपीडी से लेकर पूरे अस्पताल के आहाते में कहीं भी वो चार कैदी नहीं मिले, जिनके बारे में पुलिस को मुखबिर ने खबर दी थी. खास बात ये रही कि कैदियों के साथ-साथ वो पांच पुलिस वाले भी गायब थे, जिन पर इन कैदियों की निगरानी और फिर उन्हें वापस जेल पहुंचाने की जिम्मेदारी थी. ये और बात है कि अस्पताल में पुलिस की वो गाड़ी खड़ी मिल गई, जिस गाड़ी में कैदियों को अस्पताल लाया गया था.

    एक कैदी नहीं भागा
    छानबीन करने पर इस कहानी का एक और पहलू सामने आ गया. पता चला कि जेल से एसएमएस अस्पताल में इलाज के लिए चार नहीं बल्कि पांच कैदी लाए गए थे, लेकिन पांच में से चार गायब हो गए, जबकि एक कैदी कहीं नहीं गया. उस कैदी के साथ एक पुलिस वाला अस्पताल में ही रहा और फिर वहां से जेल चला गया, जबकि बाकी के पुलिस वाले कैदियों के साथ ही नदारद हो गए.

    ऐसे मिली फरार कैदियों की लोकेशन
    अब पुलिस ने फरार कैदियों और पुलिस वालों की लोकेशन पता करने के लिए पूरी ताकत लगा दी. तब तक पुलिस को ये पता नहीं था कि ये कैदी जेल से भाग कर सचमुच कहीं जाकर छुप गए हैं या फिर कोई और ही खेल कर रहे हैं. जल्द ही कैदियों की लोकेशन का पता चल गया. रफीक और भंवरलाल नाम के दो कैदी जिन पर कत्ल और रेप जैसे संगीन गुनाहों के इल्जाम थे, उनकी लोकेशन शहर के जालुपुरा इलाके में पाई गई. जबकि फाइनेंशियल फ्रॉड में जेल में बंद बाकी के दो कैदी अंकित बंसल और करण गुप्ता की लोकेशन एयरपोर्ट के इर्द-गिर्द पाई गई. 

    अलग-अलग होटलों से कैदियों की बरामदगी
    आनन-फानन में इस मामले की तफ्तीश की जिम्मेदारी लालकोठी पुलिस के हवाले कर दी गई. अब लालकोठी की पुलिस टीमें जब इन कैदियों का पीछा करती हुए बताई गई जगहों पर पहुंची तो ये सारे के सारे कैदी दो अलग-अलग होटलों से बरामद कर लिए गए. कमाल देखिए इन होटलों में इनकी बीवी और गर्लफ्रेंड्स ने अपने मुल्जिम आशिकों के साथ ना सिर्फ मधुर मिलन की पूरी तैयारी कर रखी थी, बल्कि इसके लिए बाकायदा कमरे भी बुक करवा रखे थे. मगर ऐन मौके पर पहुंची पुलिस ने रंग में भंग डाल लिया. चारों के चारों बंदी दबोच लिए गए.

    होटल में ही मौजूद थे पुलिसवाले
    इन बंदियों के साथ गायब जिन पुलिस वालों के बारे में अब तक ये समझा जा रहा था कि वो भी कैदियों का पीछा करते हुए अस्पताल से निकल गए हैं, वो असल में उनकी मदद करते हुए अस्पताल से उन्हीं के साथ निकले थे. और उन होटलों में ही मौजूद थे, जहां आशिकी का पूरा प्रोग्राम पहले से सेट था. यानी सारे के सारे पुलिस वाले कैदियों से पहले ही मिले हुए थे. ऐसे में लालकोठी थाने की पुलिस ने कैदियों के साथ-साथ पांच पुलिस वालों को भी धर दबोचा.

    तफ्तीश में आगे बढ़ी कहानी
    ऐसा लग रहा था कि जेल ना हुई. खाला अम्मा का घर हो गया. वरना क्या बात थी कि जिन कैदियों को बीमार होने पर सीधे जेल से अस्पताल और अस्पताल से फिर इसी जेल में वापस लौटना था, वही कैदी जेल की जगह शहर के इन आलीशान होटलों में अय्याशी करते हुए ना मिलते. हालांकि तफ्तीश में कहानी इसके भी आगे निकल गई. 

    बीवी, गर्लफ्रेंड्स और मददगार
    पता चला कि इस साजिश में सिर्फ कैदी और पुलिस वाले ही नहीं बल्कि कैदियों की बीवी और गर्लफ्रेंड्स और उनके मददगार भी शामिल थे. लिहाजा, गिरफ्तारी का दायरा भी एक-एक कर बढ़ता रहा और 24 मई से शुरू हुई इस कार्रवाई के चार दिन गुजरते-गुजरते गिरफ्तार लोगों की तादाद 15 तक पहुंच गई, जिनमें गर्लफ्रेंड्स और दूसरे मददगार भी शामिल थे.

    कैदियों को एक होटल में नहीं मिली थी एंट्री
    शहर के होटलों में चलते इस गोरखधंधे की खबर मिलने पर हम उन होटलों में भी पहुंचे, जहां जेल से भाग कर मौज मस्ती की पूरी तैयारी की गई थी. लेकिन होटल वालों ने कैदी और पुलिस वालों की किसी साजिश से खुद को बेखबर बताया. जालुपुरा के होटल सिद्धार्थ के मैनेजर ने यहां तक कह दिया कि कैदी उनके पास आए जरूर थे, लेकिन चूंकि उनके आई कार्ड क्लीयर नहीं थे, उन्होंने कैदियों को होटल में एंट्री ही नहीं दी और कैदियों का पीछा करती हुई आई पुलिस टीम ने उन्हें होटल के गेट के पास से ही गिरफ्तार कर लिया.

    कई सवालों के जवाब मिलना बाकी
    वैसे लालकोठी की पुलिस इस मामले की जांच में जरूर लगी है, लेकिन अभी कई ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब मिलना बाकी है. सबसे बड़ा सवाल तो जेल के डॉक्टर की भूमिका को लेकर ही है. चार ऐसे कैदी जिन्हें कोई तकलीफ नहीं है और जो रंगरलियां मनाने की हालत में हैं, उन कैदियों को आखिर जेल के डॉक्टर ने इतना गंभीर रूप से बीमार कैसे मान लिया कि जेल के अस्पताल की जगह सीधे शहर के सबसे बड़े अस्पताल में इलाज के लिए रेफर कर दिया? अगर वो वाकई बीमार थे, तो फिर मौज-मस्ती के लिए कैसे भाग निकले? 

    महीनों पहले रची गई साजिश?
    खबरों की मानें तो इन कैदियों को करीब डेढ़ महीने पहले ही एसएमएस अस्पताल में इलाज के लिए रेफर कर दिया गया था और वो एलर्जी जैसी बीमारी के लिए जिसे फौरी तौर पर लाइफ थ्रेटनिंग बीमारी के तौर पर नहीं देखा जाता. तो क्या कैदियों को जेल से भगा कर ऐशगाह तक पहुंचाने की ये साजिश महीनों पहले रच ली गई थी? और क्या इस साजिश को जेल अधिकारियों और जेल के डॉक्टर की मिलीभगत के बगैर अंजाम देना मुमकिन है? 

    ड्रग्स लेकर पहुंची थी एक कैदी की पत्नी
    इन कैदियों की गिरफ्तारी के साथ एक सच्चाई ये भी निकल कर सामने आई कि शहर के होटल में सिद्धार्थ में रंगरलियां मनाने पहुंचे सिद्धार्थ से मिलने पहुंची, उसकी पत्नी अपने साथ ड्रग्स यानी नशे की खेप भी लेकर पहुंची थी, जिसे वो रफीक को देने वाली थी और रफीक ये ड्रग्स लेकर जेल लौट आता. यानी इस हिसाब से देखा जाए, तो ये मामला सिर्फ जेल से भाग कर मौज मस्ती करने का नहीं, बल्कि नशे की तस्करी का भी है.

    पुलिकर्मियों ने जमकर की मदद
    आलीशान होटलों में अपनी-अपनी बीवी और गर्लफ्रेंड्स के साथ मधुर मिलन और मौज-मस्ती की ये साजिश बुनी तो थी जेल में बंद चार छंटे हुए बदमाशों ने, लेकिन उनकी इस प्लानिंग में जेल के अधिकारियों और चालान लेकर जाने वाले पुलिकर्मियों ने भी कुछ इतना बढ़-चढ़ कर साथ दिया कि मानों वो जुर्म नहीं, कोई पुण्य का काम कर रहे हों. लेकिन पुलिस के मुखबिरों ने ही उनका सारा प्लान चौपट कर दिया.

    (जयपुर से विशाल शर्मा के साथ देवांकुर वधावन का इनपुट)



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