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    भुज में PM मोदी का वीर नारी शक्ति ने किया वेलकम, 1971 युद्ध की नायिकाओं ने भेंट किया पौधा

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    ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के दौरे पर है. इसी सिलसिले में वे भुज पहुंचे, जहां पर उन्होंने रोड शो किया और इसके बाद जनसभा को संबोधित किया. इस दौरान, पीएम मोदी का स्वागत उन वीरांगनाओं के द्वारा किया गया, जिन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच हुए 1971 के युद्ध में रातों-रात गुजरात के भुज स्थित क्षतिग्रस्त हुए भारतीय वायुसेना के रनवे को सिर्फ 72 घंटों में तैयार कर भारतीय सेना की मदद की थी.

    गुजरात के भुज में माधपरा में रहने वाली वीरांगनाओं ने पीएम का स्वागत किया और उनसे मुलाकात करके आशीर्वाद दिया. माधपरा की इन वीरांगनाओं ने पीएम मोदी को सिंदूर का एक पौधा भेंट किया. पीएम ने भेंट के तौर पर पौधे को स्वीकार करके वीरांगनाओं से कहा कि वे यह पौधा प्रधानमंत्री आवास पर लगाएंगे. यह पौधा बरगद के पेड़ के रूप में ही रहेगा.

    किससे हुई PM की मुलाकात?

    नरेंद्र मोदी से भुज में मुलाकात करके पौधे भेंट करने वाले लोगों में कानबाई हिरानी (80), शामबाई खोखनी (83), लालबाई भूरिया (82) और सामू भंडेरी (75) शामिल थीं. उन्होंने आजतक के साथ बातचीत के दौरान साल 1971 में भारतीय वायुसेना के क्षतिग्रस्त हुए रनवे को 72 घंटों में रिपेयर करने को लेकर अपनी यादें साझा की.

    क्या है 1971 की कहानी?

    वीरांगनाओं ने बताया, “साल 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की तरफ से हमारे भुज स्थित वायुसेना के एयरबेस के रनवे पर बोम से अटैक किया था, जिसकी वजह से रनवे क्षतिग्रस्त हुआ था और उसे रिपेयर करने के लिए 4 से 6 महीने होने की बात बतायी जा रही थी. लेकिन वायुसेना के अधिकारियों द्वारा रनवे को हुए नुकसान और उसे रिपेयर करने की बात हमारे साथ की गई थी, जिसके बाद हम माधापर की 300 महिलाओं ने मिलकर 72 घंटों से भी कम वक्त में रनवे ठीक किया और उसी रनवे से भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी और पाकिस्तान को धूल चटायी थी.”

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    भुज के माधापर में रहने वाली वीरांगनाओं ने कहा, “पाकिस्तान ने भुज स्थित IAF के रनवे पर 20 से अधिक बॉम गिराए थे. शुरूआत में इसकी मरम्मत के लिए हम 30 महिलाए गई थीं लेकिन दूसरे दिन यह तादाद ख़ुद ही बढ़ गई और तीसरे दिन तो 300 महिलाओं ने मिलकर रनवे रिपेयर करके तैयार किया था.”

    उन्होंने आगे बताया, “जब हम रनवे रिपेयर करने पहुंचे थे, तब हमें कहा गया था कि अगर एक सायरन बजे तो आपको बंकर में सलामत पहुंचना है, दूसरे सायरन पर आप बाहर निकलकर अपना काम शुरू कर सकेंगी. रनवे जब बन गया और बाद में भारत युद्ध जीता, उसके बाद हमें 50 हजार रुपए का पुरस्कार दिया गया था, जिससे हमने पंचायत घर पर एक रूम तैयार करवाया था.”
     



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