भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी के दौर के कुछ ही दिनों बाद तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन ने इस्तांबुल में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात की. शहबाज ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान के सपोर्ट में खड़े होने के लिए एर्दोआन का शुक्रिया अदा किया.
सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने लिखा, “आज शाम इस्तांबुल में अपने अजीज भाई राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन से मिलने की खुशनसीबी हासिल हुई. हाल ही में पाकिस्तान-भारत गतिरोध के दौरान पाकिस्तान को मिलने उनके सपोर्ट के लिए उन्हें शुक्रिया कहा.” उन्होंने कहा, “हमने खास तौर से ट्रेड और इन्वेस्टमेंट में अपने बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों की चल रही बातचीत की भी समीक्षा की. भाईचारे और सहयोग के इन अटूट बंधनों को और ज्यादा मजबूत करने के लिए मिलकर काम करना जारी रखने के संकल्प की फिर से पुष्टि की. पाकिस्तान-तुर्की दोस्ती अमर रहे.”
मीटिंग का क्या मकसद?
तुर्की के राष्ट्रपति कार्यालय के एक बयान के मुताबिक, मीटिंग का मकसद दोनों देशों के बीच ऊर्जा, व्यापार, परिवहन और रक्षा क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करना था. एर्दोआन ने खुफिया जानकारी साझा करने और आतंकवाद विरोधी जैसे क्षेत्रों में तुर्की और पाकिस्तान के बीच सहयोग की अहमियत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि दोनों देशों को क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना जारी रखना चाहिए.
उनके कार्यालय ने कहा, “आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में शिक्षा, खुफिया जानकारी साझा करने और टेक्निकल सहायता में एकजुटता बढ़ाना तुर्की और पाकिस्तान के हित में है.”
एर्दोआन और शहबाज की यह मीटिंग तुर्की और भारत के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच हुई. तुर्की इस्लामाबाद का समर्थन करता रहा है. अंकारा को नई दिल्ली से कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा, जिसने पाया कि पाकिस्तान ने झड़पों के दौरान तुर्की निर्मित ड्रोन का इस्तेमाल किया था. हालांकि, तुर्की के अधिकारियों ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि संघर्ष के दौरान पाकिस्तान को कोई हथियार नहीं भेजा गया था.
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‘हमने संबंधों को मजबूत किया…’
शहबाज शरीफ की पोस्ट के जवाब में राष्ट्रपति एर्दोगन ने लिखा, “हमने उनके साथ कई अहम मुद्दों पर चर्चा की, खासकर अर्थव्यवस्था, व्यापार और सुरक्षा पर. हमने हर सेक्टर में तुर्की और पाकिस्तान के बीच गहरे ऐतिहासिक, मानवीय और राजनीतिक संबंधों को मजबूत करने की अपनी ख्वाहिश पर मुहर लगाई. जैसा कि मेरे प्यारे भाई शहबाज ने कहा, हमने अपने देशों और लोगों के बीच अटूट संबंधों, सहयोग, एकजुटता और भाईचारे को और मजबूत किया है. मैं शरीफ साहब के जरिए अपने पाकिस्तानी भाइयों के लिए मोहब्बत भेजता हूं.”
एर्दोआन के साथ डेलिगेशन लेवल की वार्ता के बाद शहबाज शरीफ के दफ्तर की तरफ से जारी किए गए एक बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री ने भारत के साथ संघर्ष के दौरान तुर्की की सरकार और लोगों के समर्थन के लिए ‘हार्दिक आभार’ जताया, जो दशकों में दोनों देशों के बीच सबसे खराब था.
5 बिलियन डॉलर का व्यापार…
दोनों राष्ट्र अध्यक्षों के बीच मीटिंग के बाद, तुर्की के डायरेक्टर ऑफ कम्युनिकेशन ने एक बयान जारी किया, “मीटिंग के वक्त, राष्ट्रपति एर्दोआन ने कहा कि तुर्की और पाकिस्तान अपने संबंधों को आगे बढ़ाने और पांच बिलियन डॉलर के व्यापार के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कदम उठाना जारी रखेंगे.”
इसमें कहा गया है, “दोनों देशों के बीच सभी एनर्जी, ट्रांसपोर्ट और डिफेंस जैसे सभी सेक्टर्स में सहयोग बढ़ाने की कोशिशों पर जोर देते हुए राष्ट्रपति एर्दोआन ने कहा कि ट्रेनिंग, इंटेलिजेंस शेयरिंग करने और टेक्निकल सपोर्ट के जरिए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में तुर्की और पाकिस्तान के बीच एकजुटता को मजबूत करना दोनों देशों के हितों की पूर्ति करेगा. उन्होंने कहा कि इस्तांबुल-तेहरान-इस्लामाबाद रेलवे लाइन को और ज्यादा कुशल बनाया जाना चाहिए और एजुकेशन सेक्टर में ठोस कदम द्विपक्षीय संबंधों में योगदान देंगे.”
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पाकिस्तान को एर्दोआन का सपोर्ट…
भारत के साथ संघर्ष बढ़ने के बाद एर्दोआन ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया है. 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम हमले के बाद संघर्ष शुरू हुआ, जिसमें 25 भारतीय नागरिक और एक नेपाली नागरिक की मौत हो गई. भारत ने पाकिस्तान पर इस हमले का आरोप लगाया, जिसको पाकिस्तान ने सिरे से खारिज किया है.
जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में नौ जगहों पर सैन्य अभियान शुरू किया. स्थिति जल्दी ही चार दिनों के सैन्य संघर्ष में बदल गई. गौर करने वाली बात है कि दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं. तुर्की ने पाकिस्तान की गुजारिश का समर्थन करते हुए हमले की इंटरनेशनल जांच की मांग की है.
भारत-पाकिस्तान वार्ता के दौरान राष्ट्रपति एर्दोआन के साथ कई टॉप अधिकारी मौजूद थे, जिनमें विदेश मंत्री हकन फिदान, राष्ट्रीय रक्षा मंत्री यार ग्लर, राष्ट्रीय खुफिया प्रमुख ब्राहिम कलन और अन्य सीनियर सलाहकार और सैन्य नेता शामिल थे.