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    क्या है बॉडी का थर्मोरेगुलेशन सिस्टम? बढ़ती गर्मी में क्यों इसे मेन्टेन रखना जरूरी, क्या है तरीका

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    बढ़ती गर्मी जब पारा ऊपर की तरफ जा रहा है. ऐसे में शरीर का थर्मोरेगुलेशन सिस्टम (तापमान नियंत्रण प्रणाली) भी प्रभावित हो रहा है. इसके चलते डिहाइड्रेशन, हीट स्ट्रोक, नींद की कमी और हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. एक्सपर्ट्स चेतावनी दे रहे हैं कि गर्मी के असर से बचना चाहते हैं तो अपने शरीर के इस स‍िस्टम को मेन्टेन करके रखें. आइए जानते हैं कि शरीर का थर्मोरेगुलेशन सिस्टम क्या है और बढ़ता तापमान इसे कैसे प्रभावित करता है. 

    क्या है शरीर का थर्मोरेगुलेशन सिस्टम?

    थर्मोरेगुलेशन शरीर की वो प्रक्रिया है जो आपके शरीर के तापमान को नियंत्रित करती है ताकि ये 37 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना रहे. NCBI के मुताबिक ये प्रक्रिया शरीर में गर्मी पैदा करने और उसे बाहर निकालने के बीच संतुलन बनाती है ताकि आपके शरीर के अंग सही तरीके से काम कर सकें. 

    दिमाग के टेम्प्रेचर को करता है कंट्रोल 

    शरीर का थर्मोस्टेट यानी हाइपोथैलेमस (मस्तिष्क का हिस्सा) तापमान को नियंत्रित करता है. जब बाहर का तापमान बढ़ता है तो शरीर पसीने, सांस और रक्त वाहिकाओं के जरिए गर्मी बाहर निकालता है. इसमें त्वचा, पसीने की ग्रंथियां, मांसपेशियां और हृदय प्रणाली मुख्य भूमिका निभाते हैं. इसमें हाइपोथैलेमस, त्वचा, मांसपेशियां, पसीने की ग्रंथियां और रक्त वाहिकाएं आद‍ि अंग थर्मोरेगुलेशन में खास रोल निभाते हैं. 

    बढ़ता तापमान डाल रहा है असर

    पिछले कुछ सालों में जलवायु परिवर्तन की वजह से पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है. The Impacts of Climate Change on Human Health in the United States की रिपोर्ट बताती है कि बढ़ते तापमान से शरीर पर कई तरह के खतरनाक प्रभाव पड़ रहे हैं जैसे डिहाइड्रेशन और हीट स्ट्रोक का खतरा और नींद में कमी जैसे लक्षण बढ़ रहे हैं. Johns Hopkins Medicine के अनुसार जब तापमान बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो शरीर पसीने के जरिए गर्मी बाहर निकालने की कोशिश करता है. लेकिन अगर पानी की कमी हो जाए तो शरीर पर्याप्त पसीना नहीं बना पाता और आंतरिक तापमान खतरनाक स्तर तक बढ़ जाता है. इससे डिहाइड्रेशन और हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है. 

    हार्ट और नींद पर पड़ता है बुरा असर 

    PMC की एक स्टडी बताती है कि अत्यधिक गर्मी (Extreme Heat Events) नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करती है. ज्यादा तापमान में शरीर का थर्मोरेगुलेशन सिस्टम रात में ठंडक पैदा करने में नाकाम रहता है जिससे कई बार नींद टूटती है और जिससे नींद की कमी हो जाती है. PMC की स्टडी के मुताबिक ज्यादा तापमान में शरीर को ठंडा रखने के लिए हार्ट को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. रक्त वाहिकाएं फैलती हैं और हृदय तेजी से धड़कता है जिससे ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट बढ़ता है. जिन लोगों को पहले से हृदय रोग हैं, उनके लिए ये स्थिति हार्ट अटैक का भी कारण बन सकती है. स्टडी में ये भी बताया गया कि नींद की कमी से ब्लड प्रेशर, मोटापा, और डायबिटीज का खतरा बढ़ता है जो हृदय रोगों को और बढ़ावा देते हैं. 

    क्या कहते हैं एक्सपर्ट 

    केजीएमयू के मेड‍िस‍िन व‍िभाग के डॉ कौसर उस्मान कहते हैं कि बढ़ता तापमान हमारे शरीर के थर्मोरेगुलेशन सिस्टम पर भारी दबाव डालता है. खासकर बुजुर्ग, बच्चे, और हृदय रोगियों को ज्यादा खतरा होता है. शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर नहीं जाना चाहिए इसके लिए गर्म‍ियों में दिन में 2-3 लीटर पानी पिएं. हल्के और ढीले कपड़े पहनें. इसके अलावा दोपहर 12 से 3 बजे के बीच धूप में बाहर निकलने से बचें और रात को सोने से पहले कमरे को ठंडा रखें, AC या पंखे का इस्तेमाल करें.



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