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    सीजफायर में ट्रंप के रोल, तुर्की से रिश्ते और PAK की न्यूक्लियर धमकी… विदेश सचिव ने संसदीय समिति को क्या-क्या बताया?

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    विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने संसद की स्थायी समिति के सामने सोमवार को सीजफायर में ट्रंप की भूमिका और पाकिस्तान, तुर्की से साथ तनावपूर्ण संबंधों समेत कई मुद्दों पर अपनी बातें रखीं. उन्होंने कहा कि भारत-पाक के बीच मध्यस्थता को लेकर किए जा रहे ट्रंप के दावे सही नहीं हैं. इस दौरान समिति ने एक स्वर में मिस्री और उनके परिवार पर हुए साइबर हमले की निंदा करते हुए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया.

    ट्रंप का दावा किया खारिज

    बैठक के दौरान विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने समिति को संबोधित करते हुए सीजफायर समेत कई अहम मुद्दों पर प्रकाश डाला. सूत्रों के अनुसार विपक्ष ने पूछा कि जब डोनाल्ड ट्रंप ने सात बार संघर्षविराम में मध्यस्थता का दावा किया, तो भारत सरकार बार-बार उन्हें मंच पर आने क्यों दे रही थी? एक सदस्य ने यहां तक पूछ लिया कि ट्रंप बार-बार कश्मीर का जिक्र क्यों कर रहे थे और सरकार चुप क्यों बैठी है?

    मिस्री ने संसदीय समिति को बताया, ‘भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम पूरी तरह द्विपक्षीय स्तर पर हुआ, और ट्रंप के दावों में कोई सच्चाई नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘ट्रंप ने सीजफायर के बीच में आने के लिए हमसे कोई अनुमति नहीं ली थी, वो आना चाहते थे, इसलिए आ गए.’

    ‘पाक से हमारे रिश्ते शुरू से ही खराब हैं’

    पाकिस्तान को लेकर उन्होंने दो टूक कहा, ‘1947 से ही हमारे पाकिस्तान के साथ रिश्ते खराब रहे हैं.’ हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि दोनों देशों के DGMO (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) के बीच लगातार संवाद होता रहता है. इसके अलावा, विदेश सचिव ने समिति को बताया कि भारत-पाक टकराव पारंपरिक हथियारों तक ही सीमित रहा और पाकिस्तान की ओर से किसी तरह का परमाणु हमला करने की कोई धमकी नहीं मिली.

    ‘तुर्की से हमारे संबंध कभी बुरे नहीं रहे’
     
    तुर्की से संबंधों पर बात करते हुए मिस्री ने कहा, ‘हमारे तुर्की से कभी बुरे रिश्ते नहीं रहे, लेकिन हम कभी करीबी साझेदार भी नहीं रहे. तुर्की के साथ किसी भी संघर्ष में व्यापार का कोई उल्लेख नहीं मिलता.’  संसद की स्थायी समिति ने सोमवार को विदेश सचिव विक्रम मिस्री और उनके परिवार पर हुए साइबर हमले की कड़ी निंदा करते हुए सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया. समिति ने इस साइबर हमले को अस्वीकार्य और दुर्भावनापूर्ण करार दिया.

    क्या संघर्ष में इस्तेमाल हुए चीन के हथियार?

    सूत्रों के अनुसार, विपक्ष ने पूछा कि क्या इस संघर्ष में चीन निर्मित हथियारों का इस्तेमाल हुआ? इस पर विदेश सचिव ने दो टूक कहा, ‘किसने क्या इस्तेमाल किया, इससे फर्क नहीं पड़ता. हमने उनके एयरबेस तबाह कर दिए, यही मायने रखता है.’ जब सदस्यों ने पूछा कि भारत ने कितने विमान इस संघर्ष में गंवाए, तो विदेश सचिव ने कहा कि यह सुरक्षा से जुड़ा मामला है और इस पर सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता.

    ‘गलत तरीके से पेश किया गया जयशंकर का बयान’

    कुछ सदस्यों ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बयान को लेकर सवाल उठाए, जिस पर सरकार ने कहा कि बयान को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. सरकार ने स्पष्ट किया कि, ‘ऑपरेशन सिंदूर के पहले चरण के बाद ही पाकिस्तान को सूचित कर दिया गया था कि हमारी कार्रवाई केवल आतंकी ठिकानों को लेकर है.’



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