नेपाल में बीते पांच दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश के बाद बिहार में पांच जिलों में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं और निचले इलाकों में पानी भर रहा है. भारी बारिश के बाद बिहार-नेपाल सीमा पर बने कोसी बराज के सभी 56 गेट खोल दिए गए हैं जिसके बाद कोसी नदी, कमला बलान नदी, बागमती नदी उफान पर हैं.
अधवारा समूह की नदियां (छोटी-छोटी धाराएं) मानसून में उफना जाती हैं जिससे बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है. जिस तरह बिहार के कुछ हिस्सों में लगातार बारिश हो रही है उससे भी उत्तर बिहार के पांच जिले फिर से जलमग्न हो सकते हैं.
क्यों बिहार में कहर बरपाती है कोसी नदी
नेपाल से निकलने वाली कोसी नदी बिहार में भी बहती है. इसका बार-बार धारा बदलना और तटबंध टूटना इस इलाके में सबसे बड़ी समस्या है. वहीं कमला बलान नदी नेपाल से निकलकर मधुबनी, दरभंगा और सहरसा और सुपौल जैसे क्षेत्रों में बाढ़ लाती है जबकि बागमती नदी नेपाल की पहाड़ियों से निकलकर उत्तरी बिहार के कई जिलों में बाढ़ का कारण बनती है.
सहरसा और सुपौल दोनों बिहार के कोसी क्षेत्र में आते हैं और यह उत्तरी बिहार (North Bihar) का हिस्सा है, जो नेपाल की तराई से सटा हुआ है. यही वजह है कि नेपाल से पानी छोड़े जाने के बाद कोसी ने रौद्र रूप धारण कर लिया है जिससे बिहार के आधा दर्जन जिले इससे डूब जाएंगे और लाखों की आबादी बुरी तरह प्रभावित होगी. कोसी बराज से सिर्फ बीते 24 घंटे में साढ़े पांच लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है जिससे हालात और गंभीर हो गए हैं.
लोगों से ऊंचे जगहों पर जाने की अपील
सहरसा-सुपौल जैसे जिलों के निचले इलाकों में प्रशासन की तरफ से लाउड स्पीकर के जरिए लोगों से जल्द से जल्द ऊंचे स्थानों पर चले जाने की अपील की जा रही है. सुपौल, सहरसा, मधेपुरा और खगड़िया में खासतौर पर इससे ज्यादा नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है.
दक्षिण-पूर्वी नेपाल की कोसी नदी, जो हर साल बिहार में बाढ़ का कारण बनती है, इस समय खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. सरकार ने प्रभावित जिलों में आपात स्थिति जैसी तैयारियां शुरू कर दी हैं और लोगों से ऊंचे इलाकों में जाने की अपील की है. नेपाल में इस साल मानसून के दौरान अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि दर्जनों लोग अब भी लापता हैं और बारिश अब भी जारी है.
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