ऋषभ शेट्टी की ‘कांतारा चैप्टर 1’ को रिलीज से पहले ही साल की सबसे बड़ी फिल्मों में गिना जा रहा था. मगर इस फिल्म ने जो ओपनिंग की है वो अनुमानों से भी बढ़कर है. माइथोलॉजी और लोककथा पर बेस्ड इस फिल्म ने पहले ही दिन 90 करोड़ रुपये से ज्यादा वर्ल्डवाइड कलेक्शन कर डाला. बॉक्स ऑफिस पर इस शानदार ओपनिंग के साथ ‘कांतारा चैप्टर 1’ ने एक और बात पक्की कर दी है— इंडियन सिनेमा ने अपनी माइथोलॉजी पर आधारित नैरेटिव को, बॉक्स ऑफिस पर तगड़ी कामयाबी बटोरने वाला फॉर्मूला बना लिया है.
‘कांतारा चैप्टर 1′ की ये ओपनिंग कोई हैरानी की बात नहीं है. पिछले कुछ सालों में माइथोलॉजी को कहानी में पिरोने वाली कई कहानियों ने ऐसी दमदार कामयाबी हासिल की है, जो बताता है कि अब ये फॉर्मूला ट्रेंड में आ चुका है.
कांतारा से शुरू हुई लहर
‘कांतारा चैप्टर 1’ को साल की सबसे बड़ी फिल्मों में गिने जाने की वजह यही है कि माइथोलॉजी पर बेस्ड कहानियों वाले ट्रेंड की शुरुआत ही 2022 में ‘कांतारा’ से हुई थी. दक्षिण कर्नाटक के जंगलों के देवों और भूतकोला परंपरा की माइथोलॉजी दिखाने वाली ये फिल्म 16 करोड़ के बजट में बनी थी.
शुरुआत में सिर्फ कन्नड़ में रिलीज हुई इस फिल्म के लिए बाकी भाषाओं के फिल्म दर्शकों ने ऐसा माहौल बना दिया कि मेकर्स ने इसे जल्दी-जल्दी दूसरी भाषाओं में भी डब करके रिलीज करना शुरू कर दिया. कागज पर उतरने से पहले एक रीजनल कन्नड़ प्रोजेक्ट रही ‘कांतारा’, बड़े पर्दे पर उतरने के बाद बॉक्स ऑफिस से 400 करोड़ ग्रॉस कलेक्शन करने वाली ब्लॉकबस्टर बन गई थी.
इसकी कामयाबी में सबसे बड़ा फैक्टर ये था कि ये कहानी भले कर्नाटक के एक इलाके की लोककथा में बताई जाने वाली माइथोलॉजी पर थी, मगर देश के हर हिस्से का दर्शक इसे देखना चाहता था. और फिर ये अकेली फिल्म ही नहीं थी जिसने दर्शकों की इस दिलचस्पी का सबूत दिया. तेलुगू इंडस्ट्री से आई ‘कार्तिकेय 2’ ने पहले दिन मात्र 50 स्क्रीन्स पर रिलीज हुआ इसका हिंदी वर्जन, 7 लाख रुपये का कलेक्शन लेकर आया था. मगर जनता ने आपस में ही इसकी ऐसी चर्चा की कि ‘कार्तिकेय 2’ 31 करोड़ कलेक्शन के साथ हिंदी में ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी.
इसी तरह 2024 में तेलुगू इंडस्ट्री से आई ‘हनुमान’ ने भी फिल्म ट्रेड को हैरान कर दिया था. 40 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म ने वर्ल्डवाइड करीब 350 करोड़ का कलेक्शन किया था और उस साल की सबसे कमाऊ इंडियन फिल्मों में से एक थी.
हिंदी बेल्ट में ‘मुंज्या’ जैसी फिल्म ने दिखाया कि लोककथा केवल गंभीर या धार्मिक फिल्मों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हॉरर और कॉमेडी में भी उतनी ही कामयाब हो सकती है. महाराष्ट्र की एक लोककथा से प्रेरित इस फिल्म ने सिर्फ 30–35 करोड़ के बजट में, 120 करोड़ से ज्यादा का कारोबार किया था. इसलिए आज ‘कांतारा चैप्टर 1’ की धमाकेदार कामयाबी कोई शॉक नहीं, बल्कि इसी ट्रेंड का एक नया लेवल है.
नए एक्सपेरिमेंट और वैरायटी
माइथोलॉजी पर बेस्ड फिल्मों का ये ट्रेंड केवल देवताओं में आस्था दर्शाती कहानियों तक सीमित नहीं है. बल्कि माइथोलॉजी की जमीन पर हुए नए एक्सपेरिमेंट भी बहुत पसंद किए जा रहे हैं. जहां ‘कार्तिकेय 2’ ने भगवान कार्तिकेय की कथा और रहस्य को आज की मॉडर्न दुनिया में एक रहस्य की तरह ट्रीट किया था, वहीं ‘हनुमान’ ने भगवान हनुमान की शक्तियों को एक सुपरपावर के रूप में पेश करते हुए एक नया सुपरहीरो तैयार किया था. माइथोलॉजी को सुपरहीरो स्टोरी में लाने वाली ‘ब्रह्मास्त्र’ भी इस मामले में एक याद रखने लायक उदाहरण है, जिसे दर्शकों से ठीक-ठाक रिस्पॉन्स मिला था.
हाल ही में रिलीज हुई ‘मिराय’ ने पुराण और सुपरहीरो के मेल से दर्शकों को चकित किया. और इस कलाकारी से इसने वर्ल्डवाइड 140 करोड़ से ज्यादा कलेक्शन कर डाला. ‘महावतार नरसिम्हा’ मिथक को एनिमेशन में पिरोया और हॉरर स्टाइल ट्रीटमेंट के साथ ऐसा धमाका किया जो किसी ने नहीं सोचा था. 40 करोड़ के बजट में 300 करोड़ से ज्यादा ग्रॉस कलेक्शन कर चुकी ये एनिमेशन फिल्म, इस साल की टॉप 5 इंडियन फिल्मों में से एक है.
इसी तरह बॉलीवुड एक्ट्रेस काजोल की फिल्म ‘माँ’ लोककथा और हॉरर का कॉम्बिनेशन थी. अमिताभ बच्चन, प्रभास और दीपिका पादुकोण की ‘कल्कि 2898 AD’ ने तो महाभारत को फ्यूचरिस्टिक साइंस-फिक्शन के साथ जोड़कर एक अनोखा यूनिवर्स तैयार कर दिया है. ये फिल्म वर्ल्डवाइड 750 करोड़ ग्रॉस के साथ सबसे बड़ी इंडियन फिल्मों में से एक है. ये वैरायटी बताती है कि माइथोलॉजी और लोककथा पर बेस्ड फिल्मों का कैनवास अब बहुत बड़ा हो चुका है.
दर्शकों में क्यों पॉपुलर हो रहा ये ट्रेंड?
इस सवाल का जवाब देने वाले कई महत्वपूर्ण फैक्टर हैं. हर दर्शक बड़े पर्दे पर चल रही फिल्म से किसी लेवल पर कनेक्ट करना तो चाहता ही है. ऐसे में माइथोलॉजी या लोककथा पर बेस्ड ये फिल्में भारतीय दर्शकों के लिए एक नेचुरल सांस्कृतिक कनेक्शन लेकर आती हैं. कहानियां जो उसने किसी न किसी रूप में, अलग-अलग इलाकों में थोड़े बहुत बदलाव के साथ सुनी हैं. ये कहानियां अधिकतर दर्शकों की जड़ों और उनकी कल्चरल पहचान के साथ भी कहीं ना कहीं जुड़ी होती हैं.
रूटीन मसाला फिल्मों, एक्शन ड्रामा, सस्पेंस थ्रिलर या रोमांटिक कहानियों की भरमार भी एक वजह है. लगभग हर दूसरी फिल्म इनमें से किसी एक बक्से में फिट हो जाती है. ऐसे में माइथोलॉजी के साथ नए एक्सपेरिमेंट लेकर आ रहीं या अनसुनी, देशज कथाओं को पर्दे पर उतार रहीं फिल्में एक नई चीज हैं.
ये फिल्में ऐसा देसी हीरो भी खड़ा करती हैं जो दर्शकों ने पहले नहीं देखा. जो अगर सुपरहीरो भी है, तो वो हॉलीवुड की थकाऊ हो चुकी सुपरहीरो फिल्मों से इंस्पायर्ड नहीं है. उसकी अपनी पहचान है, जो भारतीय संस्कृति से जुड़ी है.
रिस्क भी है तगड़ा
माइथोलॉजी पर फिल्म बनाना पिछले 3-4 सालों में फायदेमंद तो बहुत रहा है, मगर इसमें जोखिम भी बहुत है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण ‘आदिपुरुष’ है. इस फिल्म का हश्र बताता है कि अगर माइथोलॉजी को संवेदनशीलता और सटीकता से न दिखाया जाए तो यह दर्शकों के गुस्से और विरोध का कारण बन सकता है.
धार्मिक भावनाओं का मसला हमेशा इस जॉनर के साथ जुड़ा रहेगा. साथ ही, अगर हर दूसरी फिल्म इसी विषय पर बनने लगी तो दर्शकों में ऊब हो जाने का खतरा भी है. ‘आदिपुरुष’ का उदाहरण ये भी बताता है कि माइथोलॉजी को ही मॉडर्न अंदाज में दिखाने की बजाय, माइथोलॉजी को आधार बनाकर उस पर एक मॉडर्न कहानी बनाना ज्यादा स्वीकार्य तरीका है.
‘कांतारा चैप्टर 1’ की कामयाबी जहां इस ट्रेंड का एक पीक पॉइंट कही जा सकती है, वहीं इसके बाद और भी खिलाड़ी इस मैदान में आने वाले हैं. ‘जय हनुमान’ (2026) को लेकर पहले से ही बड़ी एक्साइटमेंट है, जिसमें ऋषभ शेट्टी लीड रोल में हैं. जूनियर एनटीआर और त्रिविक्रम की पौराणिक फिल्म की भी चर्चा है, जिसे भगवान कार्तिकेय पर आधारित माना जा रहा है.
विक्की कौशल ‘महावतार’ में भगवान परशुराम बनने जा रहे हैं और ‘हनुमान’ के डायरेक्टर प्रशांत वर्मा ‘महाकाली’ लेकर आ रहे हैं. अभी तो नॉर्थ-ईस्ट, राजस्थान और बंगाल की कई लोककथाएं और क्षेत्रीय मिथक बड़े पर्दे पर नहीं आए हैं. हो सकता है कि नई कहानियों की तलाश में फिल्ममेकर इस तरफ भी रुख करें.
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