अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कई अहम मुद्दों पर बयान देते हुए एक बार फिर दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा. ट्रंप ने कहा कि वह नोबेल शांति पुरस्कार नहीं चाहते, बल्कि उनका लक्ष्य गाज़ा संघर्ष को खत्म कर स्थायी शांति लाना है.
ट्रंप ने कहा कि गाज़ा संघर्ष को लेकर उनका सीज़फायर प्रस्ताव लगभग तय है और सभी अरब व मुस्लिम देश इसमें शामिल हो चुके हैं. उन्होंने कहा, “हमने पूरे मध्य पूर्व को साइन करा लिया है, यह असंभव सा काम था, लेकिन हो गया. अब बस हमास का इंतज़ार है. अगर उन्होंने समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए तो इसका बहुत बुरा अंजाम होगा,”
उन्होंने यह भी साफ किया कि हमास को तीन से चार दिन का समय दिया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर वे मना करते हैं, तो वह इजरायल को “जो करना है, वह करने” की खुली छूट देंगे.
ट्रंप ने चेतावनी देते हुए कहा, “अगर हमास ने डील नहीं मानी तो वे नर्क में भी कीमत चुकाएंगे. हमने 25 हज़ार से ज़्यादा हमास आतंकियों को मार गिराया है और उनकी लीडरशिप को तीन बार खत्म किया है. अब अगर वे शांति चाहते हैं तो अच्छा है, वरना हालात और खराब होंगे.”
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रूस को परमाणु हमले की धमकी
रूस को लेकर ट्रंप ने खुलासा किया कि हाल ही में जब मास्को ने अमेरिका को धमकी दी तो उन्होंने “एक-दो परमाणु पनडुब्बियां रूस के तट पर भेज दीं, जो अब वहीं मौजूद हैं.” उन्होंने कहा- “अगर परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करना पड़ा तो हमारे पास सबकी तुलना में कहीं ज्यादा है.”
इसके अलावा ट्रंप ने वेनेज़ुएला के ड्रग कार्टेल्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार नशीले पदार्थों की तस्करी करने वाले गिरोहों पर ज़मीन और पानी दोनों रास्तों से कार्रवाई करेगी.
ट्रंप ने कहा कि अगर गाज़ा समझौता सफल होता है तो यह मध्य पूर्व में शांति की दिशा में सबसे बड़ा कदम होगा. “यह इतिहास का सबसे अहम पल हो सकता है. अगर शांति आती है तो यह हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि होगी.
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फिर किया भारत-पाकिस्तान विवाद को सुलझाने का दावा
क्वांटिको में सैन्य नेताओं को संबोधित करते हुए ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया कि उन्होंने परमाणु शक्ति से लैस भारत और पाकिस्तान के बीच “बहुत बड़ा” संघर्ष सुलझा दिया. उन्होंने कहा, “हम यहां आए हुए लगभग नौ महीने हो गए हैं, और मैंने सात युद्धों को सुलझाया है. भारत-पाकिस्तान का विवाद बहुत बड़ा था, लेकिन मैंने उसे सुलझाया.” हालांकि भारत इस दावे को लगातार खारिज करता रहा है.
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