अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं को टायलिनॉल (पैरासिटामोल) पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान नहीं लेनी चाहिए, क्योंकि इससे बच्चों में ऑटिज्म बढ़ सकता है. उनका दावा था कि बढ़ते ऑटिज्म मामलों के पीछे इस दवा का हाथ हो सकता है. उनके इस बयान के बाद से दुनिया और देशभर के डॉक्टर्स सामने आए और उन्होंने बताया कि पैरासिटामोल काफी सुरक्षित दवा है और इसका ऑटिज्म का कोई संबंध नहीं है. अब ट्रंप के बयान पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का जवाब सामने आया है.
क्या कहा WHO ने ?
विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूरोपीय दवा एजेंसी (EMA) ने ट्रम्प के इस दावे को पूरी तरह से खारिज किया. WHO ने कहा, अब तक की रिसर्च में पैरासिटामोल और ऑटिज्म के बीच कोई सीधा-सीधा संबंध नहीं पाया गया है. संगठन ने चेतावनी दी कि जिन दवाओं का फायदा साबित हो चुका है, उन्हें राजनीतिक बयानों से शक के घेरे में नहीं डालना चाहिए.
यूरोपीय दवा एजेंसी ने भी कहा है कि पैरासिटामोल प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए दर्द-बुखार का सुरक्षित ऑपशंस है. EMA के चीफ मेडिकल ऑफिसर ने कहा, जो भी साइंटिफिक डेटा उपबल्ध है, उसकी जांच के बाद यह निष्कर्ष निकलता है कि पैरासिटामोल से बच्चों में ऑटिज्म होने का कोई सबूत नहीं है. 2019 के एक रिव्यू में भी यही पाया गया था कि गर्भ में दवा के एक्सपोजर और बच्चों के न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर के बीच कोई संबंध नहीं है.
प्रेग्नेंसी में पैरासिटामोल लेना कितना सुरक्षित?
AIIMS भोपाल के जनरल मेडिसिन डिपार्टमेंट के हेड और प्रोफेसर डॉ. रजनीश जोशी ने Aajtak.in को बताया, ‘पैरासिटामोल बुखार और दर्द के लिए सुरक्षित दवाई है और प्रेग्नेंसी में इसे लिया जा सकता है. स्पेशली अगर कोई प्रेग्नेंट महिला है तो और उसको बुखार होता है तो हमारे पास पैरासिटामोल से सुरक्षित कोई और ऑप्शन नहीं है. अब और जो ये बात कही गई कि पैरासिटामोल महिलाएं न खाएं तो अगर पैरासिटामोल अगर आवश्यकता होती है तभी उसकी जरूरत पड़ती है वो भी मुख्यत: बुखार के लिए.’
‘जो लिंक है पैरासिटामोल और ऑटिज्म का, इसका कोई साइंटिफिक बेसिस नहीं है. वैसे ही वैक्सीन्स और ऑटिज्म का भी कोई साइंटिफिक बेसिस नहीं है. तो अगर साइंस और मेडिकल साइंस की बात करें और मेडिकल कम्युनिटी ने इस स्टेटमेंट का बात का पूरी तरह खंडन किया है.’
‘जितनी गाइडलाइंस हैं और जितनी मेडिकल ट्रीटमेंट के जितने प्रोटोकॉल्स हैं, उसके अंदर सेफ्टी और एविडेंस सबसे पहले आता है. पैरासिटामोल तब ली जाती है, जब फीवर आता है. पहली बात तो ज्यादातर प्रेग्नेंसी में मेडिकल कॉम्प्लिकेशन नहीं होते. कुछ ही प्रेग्नेंसी हैं, जहां पर मेडिकल इश्यूज आते हैं.’
‘अगर प्रेग्नेंसी में फीवर है तो आलरेडी दवाइयां सोच समझ के दी जाती हैं क्यों कि दवाइयों की लिस्टिंग है कि कौन सी प्रेग्नेंसी में दी जा सकती है और कौन सी नहीं. बिना कंसल्ट के कोई भी दवाई ना लें. तो ड्यूरिंग प्रेग्नेंसी मेडिकेशन काफी मिनिमम होता है और प्रिस्क्रिप्शन भी मिनिमम होते हैं तो ये पैरासिटामोल हर प्रेग्नेंट महिला को तो वैसे भी नहीं दी जाएगी. अगर किसी प्रेग्नेंट महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान बुखार है और वो बुखार प्रायः 2 दिन से अधिक होता है तो पैरासिटामोल एडवाइस की जाती है.’
WHO और EMA क्या कहता है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूरोपीय मेडिकल संघ दोनों के अनुसार पिछले कई दशकों के आंकड़े बताते हैं कि जिन शिशुओं की माताओं ने पैरासिटामोल का उपयोग किया है, उनमें जन्मजात विकृतियों का कोई खतरा नहीं बढ़ा है. वहीं कुछ रिसर्चों में ऑटिज्म या एडीएचडी के बीच संबंध का सुझाव दिए जाने के बावजूद भी इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि पैरासिटामोल ही उसका कारण है.
डॉक्टरों के अनुसार, गर्भावस्था में बुखार और दर्द से राहत के लिए पैरासिटामोल एकमात्र सुरक्षित विकल्प है, खासकर एनएसएआईडी (इबुप्रोफेन) जैसे विकल्पों की तुलना में, जिनकी सिफारिश नहीं की जाती है.
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