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    बिहार: मैराथन बैठक के बाद BJP ने तय की टिकट दावेदारों की लिस्ट, डेढ़ दर्जन सीटिंग विधायकों का कट सकता है टिकट

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    भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर दो दिनों तक चली कोर कमेटी की जिलावार बैठक बैठक पूरी कर ली है. 24 और 25 सितंबर को दो अलग–अलग ग्रुप में बंटे बीजेपी प्रदेश कोर कमेटी के नेताओं के सामने सांगठनिक जिलों के प्रमुख नेताओं ने अपनी बात रखी.

    24 सितंबर को 26 जिलों के प्रमुख नेताओं के साथ कोर कमेटी ने मीटिंग की थी जबकि 25 सितंबर को 14 सांगठनिक जिलों के नेता अलग–अलग तय समय पर मीटिंग को पहुंचे. दो दिनों तक चली इस मैराथन मीटिंग में कोर कमेटी ने लगभग 15 घंटे तक जिलावार समीक्षा की. इस दौरान अलग–अलग जिलों में विधानसभा सीटों की स्थिति पर चर्चा हुई. किस विधानसभा सीट पर बीजेपी खुद मजबूत है और किन सीटों पर कौन सा सहयोगी दल बढ़िया प्रदर्शन कर सकता है, इसपर भी कोर कमेटी ने फीडबैक लिया.

    चुनाव को लेकर संगठन कितना तैयार है, बूथ स्तर पर पार्टी की स्थिति क्या है? इन सवालों के साथ–साथ कोर कमेटी ने जिला स्तरीय नेताओं से यह जानने का भी प्रयास किया कि आखिर चुनाव में जमीनी मुद्दे क्या हो सकते हैं? मौजूदा राज्य सरकार को लेकर क्या एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर जमीनी स्तर पर है? सरकार ने पिछले कुछ अरसे में जो लोकलुभावन फैसले लागू किए हैं, उसका कितना असर है? ऐसे तमाम सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश कोर कमेटी ने की. इन सबके बीच सबसे अहम मसला विधानसभा चुनाव में अलग–अलग सीटों पर टिकट के दावेदारों का रहा.

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    अमित शाह के मॉडल पर हुई मीटिंग

    दरअसल बीजेपी प्रदेश कोर कमेटी की यह जिलावार बैठक पिछले दिनों तब तय हो गई थी जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिहार दौरे पर आए थे. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह ने प्रदेश नेतृत्व को उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाए रखने के लिए इस मॉडल पर मीटिंग करने का निर्देश दिया था. इसके अलावा शाह ने टिकट के दावेदारों की लंबी लिस्ट को छोटा कर केंद्रीय नेतृत्व तक भेजने का टास्क दिया था.

    प्रदेश नेतृत्व ने इसी टास्क के तहत जिलावार बैठक कोर कमेटी के साथ रखी. कोर कमेटी के नेताओं को दो ग्रुप में बांटा गया. पहले ग्रुप को प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने लीड किया, जिसमें केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय के अलावा दीपक प्रकाश, डॉ संजय जायसवाल जैसे प्रमुख नेता शामिल थे. वहीं कोर कमेटी के नेताओं के दूसरे ग्रुप में प्रदेश संगठन मंत्री भीखू भाई दलसानिया और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी समेत अन्य नेता मौजूद रहे.

    हर जिले से 15 से 20 प्रमुख नेताओं को बुलाया गया था. इनमें जिले से आने वाले सांसद, विधायक, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, जिलाध्यक्ष, जिला प्रभारी, पूर्व जिलाध्यक्षों और अन्य प्रमुख नेता शामिल थे. खास बात यह रही कि मीटिंग के दौरान जिलों से आए सभी नेताओं को हर सवाल पर चर्चा के लिए एक साथ रखा गया लेकिन जब बात उम्मीदवारी पर आई तो टिकट के दावेदारों को मीटिंग से बाहर रखा गया. मतलब ये कि अगर किसी दावेदार के नाम पर उसी जिले के किसी प्रमुख नेता को आपत्ति हो तो वे कोर कमेटी के सामने बेबाकी से अपनी बात रख पाए.

    इसका दूसरा पहलू यह भी रहा कि दावेदार अपना दावा सीधे कोर कमेटी के सामने ना रखें बल्कि जिलास्तर पर उनके कितने पैरोकार हैं, इससे उनकी दावेदारी मजबूत हो. सूत्रों की माने तो मीटिंग के दौरान कुछ ऐसे भी नेता रहे जिन्होंने उम्मीदवार के तौर कर खुद का दावा पेश करने का प्रयास भी लेकिन उन्हें कोर कमेटी ग्रुप के नेताओं ने रोक दिया.

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    एक विधानसभा सीट से कितने दावेदार?

    कोर कमेटी ग्रुप के नेताओं के सामने बैठने के पहले ही जिलाध्यक्षों को पहले ही निर्देश दे दिया गया था कि वे हर विधानसभा सीट से केवल मजबूत दावेदारों का नाम लेकर ही मीटिंग में आए. मीटिंग में मौजूद एक नेता ने जो जानकारी दी उसके मुताबिक, सभी विधानसभा सीटों से औसतन 5 से 7 दावेदारों का नाम लेकर जिलाध्यक्ष पहुंचे थे. हालांकि कुछ ऐसी सीटें भी रखीं जहां से दावेदारों की लिस्ट में 10 या उससे ज्यादा नाम भी रहे. ज्यादा दावेदारों वाली सीटों को लेकर कोर कमेटी ने जिलास्तरीय नेताओं को साफ मैसेज दे दिया कि जिनके पास सबसे ज्यादा दावेदारों को अपने साथ लेकर सहमति बनाने की काबिलियत होगी वही मजबूत दावेदारों माने जाएंगे.

    सूत्रों के मुताबिक कोर कमेटी ने दावेदारों की शॉर्ट लिस्टिंग में इस बात खासा फोकस किया की किन नामों पर जिलास्तर के नेताओं से सबसे कम विरोध रहा. साथ–साथ दावेदारों का संगठन में किया हुआ काम और जमीनी स्तर पर जनता के बीच पकड़ के साथ–साथ सामाजिक समीकरण को लेकर भी मंथन हुआ. माना जा रहा है कि दावेदारों को जो लिस्ट प्रदेश स्तर से तैयार कर केंद्रीय नेतृत्व को भेजी जाएगी उसके चयन का आधार ये तमाम फैक्टर रहेंगे. ये भी लगभग तय है कि बीजेपी जिन सीटों पर अपना उम्मीदवार चाहती है उनमें हर सीट पर प्रदेश नेतृत्व की तरफ से 4 से 5 दावेदारों के नाम शॉर्ट लिस्ट कर ऊपर भेजे जाएंगे.

    सीटिंग विधायकों पर संकट

    दो दिनों तक चली मैराथन मीटिंग से जो सबसे अहम जानकारी सूत्रों के जरिए निकल कर सामने आई है उसके मुताबिक बीजेपी के कई सीटिंग विधायकों के ऊपर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. बीजेपी के लगभग डेढ़ दर्जन सीटिंग विधायकों का टिकट कट सकता है. इन विधायकों को लेकर भी मीटिंग में चर्चा हुई है. इस लिस्ट में सबसे ऊपर उन विधायकों का नाम है जो पार्टी के लिए वफादार साबित नहीं हुए हैं.

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    2024 में एनडीए सरकार के शक्ति परीक्षण के दौरान जिन विधायकों की भूमिका संदिग्ध रही इस बार उन्हें बीजेपी बेटिकट कर सकती है. भाजपा सूत्रों के मुताबिक ऐसे विधायक जिनकी उम्र 70 से ज्यादा हो चुकी है और वह ज्यादा सक्रिय नहीं है उनके लिए भी संकट की स्थिति है. इतना ही नहीं 2020 के विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर बीजेपी बेहद कम वोटो के अंतर से जीत हासिल कर पाई वहां भी मौजूदा विधायकों के लिए रिव्यू वाली स्थिति है.

    2020 के विधानसभा चुनाव में 6 ऐसी सीटें बीजेपी के पास आई जहां जीत और हार का अंतर 3 हजार वोट से कम था जबकि 8 ऐसी सीटें रहीं जहां हार–जीत का अंतर 2 हजार वोट से कम था. आंकड़े यह भी बताते हैं कि 2020 के विधानसभा चुनाव में 13 ऐसी सीटें रही जहां बीजेपी उम्मीदवार 11 हजार से अधिक वोट से हारे थे, ऐसी सीटों पर भी बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है.

    डेढ़ दर्जन सीटिंग विधायकों का कट सकता है टिकट

    उम्मीदवारों के चयन प्रक्रिया को लेकर एक और खास जानकारी सामने आई है. 70 की उम्र सीमा को पार कर चुके जिन विधायकों ने अपनी सीट पर परिवार के किसी दूसरे सदस्य को उम्मीदवार बनाने का आग्रह किया है, वैसे विधायकों को भी पार्टी नेतृत्व ने स्पष्ट मैसेज दे दिया है. ऐसे विधायकों को बीजेपी नेतृत्व उनकी सक्रियता के हिसाब फिर से चुनाव लड़ने को कह सकता है लेकिन परिवार के दूसरे सदस्य को एडजस्ट करने का विकल्प मिलना मुश्किल लग रहा है.

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    कुल मिलाकर 15 से 18 सीटिंग विधायकों के ऊपर अपनी उम्मीदवारी बनाए रखने का संकट है. ऐसे विधायकों में सबसे ज्यादा तादाद चंपारण के इलाके से है. पश्चिम और पूर्वी चंपारण को मिलकर कुल 4 विधायकों को लेकर फीडबैक बेहतर नहीं है. वहीं मधुबनी, दरभंगा, गोपालगंज, सारण, वैशाली, भागलपुर, बेगूसराय, पटना और भोजपुर से आने वाले कुछ विधायकों को भी बेटिकट किया जा सकता है. प्रदेश बीजेपी नेतृत्व से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक ने इस बार चुनाव में उम्मीदवारों के चयन को लेकर सबसे बड़ा फैक्टर विनिबिलिटी को रखा है.

    एनडीए में सीट शेयरिंग का आधिकारिक ऐलान भले ही अब तक नहीं हुआ है लेकिन चर्चा ये है कि बीजेपी लगभग 103 सीटों पर उम्मीदवार देगी. बीजेपी नेतृत्व चाहता है कि पार्टी का स्ट्राइक रेट सबसे बेहतर हो. मौजूदा विधानसभा में बीजेपी के 80 विधायक हैं. इस प्रदर्शन को दोहराना या इससे ऊपर का प्रदर्शन करना बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती है. बीजेपी अपनी रणनीति में कितना सफल होती है यह तो चुनाव नतीजे बताएंगे.

    —- समाप्त —-



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